योग दिवस से पहले सरकारी स्कूलों में शारीरिक शिक्षकों की नियुक्ति का रास्ता खुल गया है। हाईकोर्ट ने द्वितीय एवं तृतीय श्रेणी शारीरिक शिक्षकों की 2013 की भर्ती के तहत नियुक्ति को हरी झंडी दे दी है। हाईकोर्ट की खंडपीठ ने उम्र में छूट के एकलपीठ के जनवरी 2016 के फैसले को रद्द कर दिया है, लेकिन योग्यता, खेल प्रमाण पत्र, धौलपुर व भरतपुर के जाट अभ्यर्थियों को आरक्षण के मामले में एकलपीठ के आदेश को बहाल रखा है।
न्यायाधीश अजय रस्तोगी व न्यायाधीश दिनेश चन्द्र सोमानी की खंडपीठ ने राज्य सरकार, गणेश नारायण माली व अन्य की 35 अपीलों पर 18 मई को सुनवाई पूरी की थी और गुरुवार को खंडपीठ ने अपीलों को निस्तारित करते हुए फैसला सुनाया। कोर्ट ने सरकार को भर्ती प्रक्रिया पूरी करने की अनुमति दी। अदालत ने कहा, वर्ष 2013 की भर्ती को सरकार बिना देरी पूरी करे।
सरकार की ओर से अभ्यर्थीयों को आयु सीमा में छूट देने के एकलपीठ के आदेश को चुनौती दी थी, अन्य अपीलार्थियों ने एकलपीठ के पूरे आदेश को चुनौती दी थी। अपीलार्थियों की ओर से कहा था कि बीपीई उत्तीर्ण अभ्यर्थियों को भर्ती के लिए पात्र नहीं मानना गलत है, क्योंकि बीपीई पाठ्यक्रम सीपीएड और डीपीएड पाठ्यक्रम से ऊपर है। एेसी स्थिति में बीपीई उत्तीर्ण अभ्यर्थियों को भर्ती से बाहर नहीं किया जा सकता।
राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षण परिषद ने बीपीई को बीपीएड के समान माना है। कोर्ट ने स्पष्ट रूप से कहा है कि शैक्षणिक योग्यता हासिल करने से पहले खेल प्रमाण पत्र था या नहीं, सरकार को यह जांचने का अधिकार नहीं है।
तृतीय श्रेणी शारीरिक शिक्षकों के 2858 व द्वितीय श्रेणी शारीरिक शिक्षकों के 1041 पदों के लिए सितम्बर 2013 को भर्ती प्रक्रिया शुरू हुई। कोर्ट में 11 बिन्दुओं को लेकर मामला पहुंचा। सभी पक्ष 5 बिन्दुओं तक सीमित रहने को राजी हो गए।
कोर्ट ने 7 अप्रैल 2016 को नियुक्तियों को अपीलों के निर्णय के अधीन रखने का आदेश दिया। एकलपीठ ने एक साल भर्ती नहीं होना मानते हुए आयुसीमा में एक साल की छूट देने को कहा था, जिस पर खंडपीठ ने कहा कि 2011 की भर्ती के आवेदनों के लिए 15 जनवरी 2012 अंतिम तारीख होने के कारण वर्ष 2013 की भर्ती में आयुसीमा में एक साल की छूट नहीं दी जा सकती।