नई दिल्ली- देशभर की निगाहें आज राज्यसभा में पेश होने वाले जीएसटी बिल पर टिकी है। एक देश एक टैक्स का सपना पूरा होने वाला है। यह विधेयक पिछले साल लोकसभा में पारित हो चुका है और एक साल से राज्यसभा में लंबित पड़ा है। इसको लेकर कई दलों ने समर्थन देने का एलान किया है। राज्यसभा सांसद सचिन तेंदुलकर ने भी जीएसटी बिल का समर्थन किया है।
जीएसटी बिल का समर्थन करते हुए राज्यसभा सांसद सचिन तेंदुलकर ने कहा है कि, एक देश एक टैक्स से देश को फायदा होगा। इस बिल में गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स की दर 18 फीसदी रखे जाने की चर्चा है। अगर ऐसा हुआ तो जिन चीजों पर टैक्स की मौजूदा दर 18 फीसदी से ज्यादा है, वो टैक्स का बोझ घटने से सस्ती हो जाएगी और जिन पर टैक्स 18 फीसदी से कम है, वो टैक्स बढ़ने की वजह से महंगी हो सकती हैं।
इधर, कांग्रेस भी अब मान गई है। कांग्रेस को इस विधेयक के कुछ प्रावधानों को लेकर आपत्तियां थीं। जिसमें से कुछ आपत्तियों को सरकार ने मान ली है और इसमें परिवर्तन की बात कही है। इसलिए बिल पास होने में अब अड़चन नहीं दिख रही है। इधर, जदयू के पूर्व अध्यक्ष शरद यादव ने भी जीएसटी पर सरकार का समर्थन की बात कही है।
वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) आखिर है क्या। क्यों केंद्र सरकार जीएसटी को राज्यसभा से पास कराने के लिए जद्दोजहद कर रही है। सभी दलों को राजी करने के लिए क्यों सरकार ने सर्वदलीय बैठक भी की और क्यों है ये कर जरूरी और क्या नुकसान हैं, किस डर से राज्य इसे नहीं लागू होने देना चाह रहे थे, ये जानना जरूरी है।
क्या है जीएसटी ?
जीएसटी यानी वस्तु एवं सेवा कर भारत में बहुप्रतीक्षित विधेयक है, जिसमें एक अप्रैल 2016 से पूरे देश में एकसमान मूल्य वर्धित कर (वैट) लगाने का प्रस्ताव है। इस कर को वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) कहा गया है। ये अप्रत्यक्ष कर होगा जो पूरे देश में निर्मित प्रोडक्ट्स और सेवाओं के विक्रय और उपयोग पर लागू होगा।
राज्यों के बीच वित्तीय बाधा दूर करना GST का लक्ष्य
जीएसटी अप्रत्यक्ष कर सुधार योजना है। इसका उद्देश्य राज्यों के बीच वित्तीय बाधाओं को दूर करके एक समान बाजार को बांध कर रखना है। यह पूरे भारत में वस्तुओं और सेवाओं पर लगाया जाने वाला एकल राष्ट्रीय एकसमान कर है।
अभी की बात करें तो भारत में अप्रत्यक्ष कर प्रणाली के तहत विभिन्न स्तरों पर केंद्र और राज्य सरकार द्वारा टैक्स लगाया जाता है। जैसे आबकारी कर, चुंगी, केंद्रीय बिक्री कर (सीएसटी) और वैल्यू एडेड टैक्स आदि। जीएसटी में ये सभी कर एक एकल शासन के तहत सम्मिलित हो जायेंगे।
क्या कहते हैं विशेषज्ञ
अगर जीएसटी लागू होता है तो विसंगतियों को दूर करके कर प्रशासन को अत्यंत सरल बना देगा। केंद्र और राज्य वस्तुओं और सेवाओं पर निर्धारित और एक समान टैक्स लगा सकेंगे। कर विशेषज्ञों का मानना है कि सरकार द्वारा एक प्रतिशत के अतिरिक्त अंतरराज्यीय कर को हटाने के प्रस्ताव से वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) सुगम होगा और भ्रम समाप्त होगा।
एक फीसदी कर समाप्त करने से क्या फायदा
बीएमआर एंड एसोसिएट्स एलएलपी के भागीदार महेश जयसिंह ने कहा कि सरकार के अंतरराज्यीय आपूर्ति पर एक प्रतिशत का अतिरिक्त कर समाप्त करने के प्रस्ताव से जीएसटी सरल होगा। उनका मानना है कि इस कर से अंतरराज्यीय आपूर्ति पर व्यापक असर पड़ता। साथ ही इससे कंपनियों द्वारा भंडारगृह तथा लॉजिस्टिक्स पर निवेश का फैसला भी प्रभावित होता।
देश की आर्थिक वृद्धि दो फीसदी बढ़ेगी
विश्लेषकों का मानना है कि जीएसटी से देश की आर्थिक वृद्धि दर में दो प्रतिशत अंक का इजाफा होगा।
जानिए जीएसटी लागू होने से फायदा
इससे टैक्स चोरी में कमी आएगी और टैक्स कलेक्शन बढ़ेगा। टैक्स का ढांचा ट्रांसपैंरेंट होगा और असमानता नहीं होगी। टैक्स विवाद में भी कमी आएगी। ढेरों टैक्स कानून और रेग्युलेटरों का झंझट नहीं होगा। सब कुछ ऑनलाइन होगा। जीएसटी के बाद पूरे देश में एक रेट पर टैक्स लगेगा। कई तरह से टैक्स खत्म हो जाएंगे, सब जीएसटी में आएंगे।
किस बात पर है भ्रम
राज्य इस बात पर चिंता कर रहे हैं कि टैक्स स्लैब क्या होगा, राज्यों को जो नुकसान होगा उसकी भरपाई कौन करेगा। टैक्स रेट क्या होगा क्योंकि सारे अधिकार फिर केंद्र के पास होंगे।
आजादी के बाद ऐसा पहली बार होगा
राज्यसभा में आज आजादी के बाद देश के सबसे बड़े अप्रत्यक्ष कर सुधार पर चर्चा होगी। इसके बीच सरकार ने प्रमुख विपक्षी दल की वस्तुओं की अंतरराज्यीय आवाजाही पर एक प्रतिशत के अतिरिक्त कर को हटाने की मांग स्वीकार कर ली है। इसके अलावा राज्यों को पहले पांच साल तक पूरे राजस्व नुकसान की भरपाई करने पर भी सहमति बनी है।
साल 2010 से करना था लागू
जीएसटी को पूर्व कांग्रेस नेतृत्व वाली संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार ने सबसे पहले पेश किया था। साल 2006-07 के आम बजट में वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने कहा था कि सरकार 1 अप्रैल 2010 से जीएसटी लागू करेगी। लेकिन ऐसा नहीं हो सका। राज्यों के वित्त मंत्रियों के उच्चाधिकार प्राप्त समिति को जीएसटी का मॉडल और उसे लागू करने की जिम्मेदारी दी गई है।
एक साल से राज्यसभा में अटका बिल
जीएसटी को पिछले साल लोकसभा की अनुमति मिल गई थी। लेकिन एक साल से राज्यसभा में बिल अटका हुआ है। दलों के विरोध की वजब से उच्च सदन से बिल पास नहीं हो पा रहा था। राज्यसभा में कांग्रेस के भारी विरोध के चलते पारित नहीं किया जा सका।
सर्वदलीय बैठक कर पीएम मोदी ने कहा साथ आएं
सरकार को जीएसटी के पारित होने की पूरी उम्मीद है। सरकार ने सभी दलों को मनाने के लिए सर्वदलीय बैठक भी बुलाई थी और कांग्रेस को छोड़कर सभी दलों ने जीएसटी का समर्थन किया था। केंद्रीय कैबिनेट ने कांग्रेस के कुछ सुझाव मान लिए थे जिससे उम्मीद जताई जा रही है कि बिल पास हो जाएगा।