नई दिल्ली: लोकसभा चुनाव से पहले गूगल Google अपने विज्ञापन पॉलिसी में बड़े बदलाव करने जा रहा है, जिसके मुताबिक अब देश की राजनीतिक पार्टियों कों अपनी एड देने से पहले इस सर्च इंजन प्लेटफॉर्म को जानकारियां देनी होगी। इस नई पॉलिसी के मुताबिक, किसी भी राजनीतिक पार्टी को गूगल पर अपना विज्ञापन देने से पहले भारतीय चुनाव आयोग (ईसीआई) से प्री-सर्टिफिकेट दिखाना होगा। राजनीतिक पार्टी के सर्टिफिकेट को वेरिफाई करने के बाद गूगल अपने प्लेटफॉर्म पर विज्ञापन चलाएगा। अमेरिकी सर्च इंजन कंपनी गूगल की यह नई पॉलिसी भारत में अगले महीने 14 फरवरी से लागू होगी।
गूगल के इस वरिफिकशन के बाद यूजर्स के लिए भी जानना आसान हो जाएगा कि कौनसी पार्टियां अपने विज्ञापन के लिए कितने रुपये खर्च कर रही है। ऑनलाइन चुनावी विज्ञापनों में पारदर्शिता लाने के लिए गूगल पॉलिटिकल एडवर्टाइजिंग इनफॉर्मेशन रिपोर्ट और पॉलिटिकल एड्स लाइब्रेरी भी पेश करेगी। इससे बड़े स्तर पर राजनीतिक पार्टियों के विज्ञापन पर होने वाले खर्च का पता चलेगा। विज्ञापनों का वेरिफिकेशन गूगल 14 फरवरी से शुरू करेगा और इसकी पारदर्शिता रिपोर्ट मार्च में लाइव होगी।
गौरतलब है कि अमेरिका में पिछले साल हुए मध्यावधि चुनाव में भी गूगल ने पॉलिटिकल एड्स लाइब्रेरी शुरू की थी, ताकि चुनावी विज्ञापनों में पारदर्शिता बरती जा सके। भारत में नए नियम एवं शर्तों की घोषणा करते हुए गूगल ने अपने बयान में कहा कि उनका मकसद ऑनलाइन चुनावी विज्ञापनों में पारदर्शिता लाना और वोटरों को चुनावी से जुड़ी जानकारी देना है। बता दें कि इसी महीने ट्विटर भी ऐसी ही घोषणा की थी, जिसमें उनके प्लेटफॉर्म पर एक नया डेशबॉर्ड दिखाई देगा जहां राजनीतिक पार्टियों के विज्ञापन के खर्च का पता चल जाएगा।
लोकसभा चुनाव से पहले ही सरकार ने सभी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स को चेतावनी देते हुए चुनावी प्रक्रियाओं में बाधा पहुंचाने वाले सभी लोगों पर कड़ी कार्रवाई करने के लिए कहा है। फेसबुक ने पिछले साल दिसंबर में ही कह दिया था कि आने वाले चुनावों में ऑनलाइन विज्ञापन से पहले राजनीतिक पार्टियों को यूजर्स के सामने अपनी आइडेंटिटी और लोकेशन का खुलासा करना होगा।