सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जस्टिस चेलमेश्वर ने शुक्रवार को बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि मामले कोर्ट में लंबित होने के बावजूद सरकार राम मंदिर निर्माण के लिए कानून बना सकती है।
उन्होंने कहा कि विधायी प्रक्रिया द्वारा अदालती फैसलों में अवरोध पैदा करने के उदाहरण पहले भी रहे हैं।
वहीं, संध परिवार लगातार राम मंदिर निर्माण के लिए कानून बनाने की मांग कर रहा है। ऐसे समय में पूर्व जस्टिस चेलमेश्वर की यह टिप्पणी काफी अहम हो जाती है।
वह कांग्रेस पार्टी से जुड़े संगठन ऑल इंडिया प्रोफेशनल्स कांग्रेस (एआईपीसी) की ओर से आयोजित एक परिचर्चा में बोल रहे थे।
पूर्व जस्टिस चेलमेश्वर अपने बयानों के लिए जाने जाते हैं। वह सुप्रीम कोर्ट के उन चार सीनियर जजों में शामिल थे जिन्होंने संवाददाता सम्मेलन कर तत्कालीन चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा के कामकाज के तौर-तरीके पर सवाल उठाए थे।
शुक्रवार को परिचर्चा सत्र में जब चेलमेश्वर से पूछा गया कि सुप्रीम कोर्ट में मामला लंबित रहने के दौरान क्या संसद राम मंदिर के लिए कानून पारित कर सकती है, इस पर उन्होंने कहा कि ऐसा हो सकता है।
उन्होंने कहा, ‘‘यह एक पहलू है कि कानूनी तौर पर यह हो सकता है (या नहीं)। दूसरा यह है कि यह होगा (या नहीं)। मुझे कुछ ऐसे मामले पता हैं जो पहले हो चुके हैं, जिनमें विधायी प्रक्रिया ने सुप्रीम कोर्ट के निर्णयों में अवरोध पैदा किया था।’’
चेलमेश्वर ने कावेरी जल विवाद पर सुप्रीम कोर्ट का आदेश पलटने के लिए कर्नाटक विधानसभा द्वारा एक कानून पारित करने का उदाहरण दिया।
उन्होंने राजस्थान, पंजाब एवं हरियाणा के बीच अंतर-राज्यीय जल विवाद से जुड़ी ऐसी ही एक घटना का भी जिक्र किया।