लखनऊ- रेजीडेंसी का इतिहास केवल लखनऊ तक सीमित न रहें बल्कि पूरे देश में 1857 के स्वतंत्रता संग्राम में उत्तर प्रदेश की भागीदारी की जानकारी आम लोगों तक पहुँचे। 1857 का पहला स्वतंत्रता समर, जिसको अंग्रेजों ने बगावत बताया था, सही तथ्यों के साथ देश के सामने आना चाहिए।
उत्तर प्रदेश के राज्यपाल राम नाईक ने ऐतिहासिक रेजीडेंसी, बड़ा इमामबाड़ा व छोटा इमामबाड़ा का भ्रमण किया। राज्यपाल ने रेजीडेंसी परिसर स्थित ‘1857 स्मृति संग्रहालय‘ की प्रशंसा की। उन्होंने रेजीडेंसी में राष्ट्रीय ध्वज फहराये जाने की सराहना करते हुए कहा कि राष्ट्रीय ध्वज चढ़ाते एवं उतारते समय सम्मान गार्ड की भी व्यवस्था की जानी चाहिए।
उन्होंने कहा कि उचित समय पर एक व्यापक कार्यक्रम का आयोजन किया जाय। राज्यपाल ने यह भी सुझाव दिया कि पर्यटकों की जानकारी के लिए जैसे अण्डमान एवं निकोबार के सेल्यूलर जेल में डिजिटल पद्धति से लाईट एवं साउण्ड कार्यक्रम आयोजित किया जाता है
उसी प्रकार यहाँ भी डिजिटल पद्धति से कार्यक्रम दोबारा शुरू किया जाय। रेजीडेंसी राष्ट्रीय महत्व की इमारत है जहाँ बड़ी संख्या में देश एवं विदेश से लोग आते हैं इसलिए देश के राष्ट्रपति एवं प्रधानमंत्री के चित्र भी कार्यालय में लगाये जाने चाहिए। उन्होंने वहां उपस्थित पुरातत्व विभाग के अधिकारियों से एक प्रस्ताव बनाने की भी बात कही जिससे रेजीडेंसी को पर्यटन मानचित्र पर लाया जा सकें।
राज्यपाल ने बड़ा इमामबाड़ा एवं छोटा इमामबाड़ा भी देखा तथा वहाँ उपस्थित पर्यटकों से भी भेंट की। इमामबाडे़ की स्थापत्य कला की प्रशंसा करते हुए उन्होंने कहा कि इमामबाडे़ की ऐतिहासिक इमारत आधुनिक स्थापत्यशास्त्र से जुडे़ लोगों के देखने लायक चीज है।
हमें ऐसी स्थापत्य कला पर गौरव होना चाहिए। पर्यटन की दृष्टि से पर्यटकों की मूलभूत सुविधाओं में सुधार किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि इमामबाड़ा क्षेत्र पर्यटन की दृष्टि से महत्वपूर्ण स्थान है इसलिए निर्माणाधीन रास्ते का कार्य जल्द से जल्द पूरा किया जाय। उन्होंने इस अवसर पर इमामबाडे़ के सभी हाल, झाडफानूस और अन्य धरोहरों के बारे में बारीकी से जानकारी ली।
रिपोर्ट :- शाश्वत तिवारी