नोएडा- बंदूक के लिए लाइसेंस नोएडा में ई-रिक्शा चलाने वाले फुरकान अहमद बागपथ के जिला प्रशासन दफ्तर के चक्कर काटते काटते थक चूका था इतना ही नहीं बंदूक का लाइसेंस पाने को पिछले 6 साल से चक्कर काट रहे फुरकान ने अपना धर्म भी बदल लिया, माथे पर टीका भी लगाने लगे और शिखा (चोटी) भी रख ली। वो अब फुरकान अहमद से फूल सिंह बन चुके हैं फिर भी उनका काम नहीं बना।
फुरकान का मानना है कि उन्हें लाइसेंस सिर्फ इसलिए नहीं दिया गया क्योंकि वो मुस्लिम हैं। उन्होंने बताया कि वो बागपथ की बड़ौत तहसील के किरथल गांव के रहने वाले हैं। उन्होंने बताया कि वो अब फुरकान अहमद से फूल सिंह बन चुके हैं। उन्होंने अपना सिर मुंडवा लिया है। वो अब धोती पहनते हैं और माथे पर तिलक भी लगाते हैं। उन्होंने बताया कि पिछले 6 सालों से वो बंदूक का लाइसेंस पाने के लिए ट्राइ कर रहे थे, लेकिन उन्हें सफलता हांथ नहीं लगी, इसलिए उन्होंने असहायता के चलते ऐसा किया।
उन्होंने बताया कि वो नोएडा में ई-रिक्शा चलाते हैं और दिन में 200 से 250 रुपए कमा पाते हैं। इसमें से उन्हें रोजाना 200 रुपए मकान के किराए के देने होते हैं। ऐसे में उनके लिए बच्चों को पालना मुश्किल है। इसलिए वो बंदूक का लाइसेंस पाना चाहते थे ताकि वो सिक्योरिटी गार्ड की नौकरी कर आराम से 15 से 20 हजार रुपए कमाकर अपने परिवार को पाल सकें।
अहमद ने बताया कि साल 2010 में उन्होंने बंदूक के लाइसेंस के लिए आवेदन किया था। लेकिन उन्हें नहीं मिला। इसके लिए उन्होंने एक आरटीआई भी दाखिल की थी, जिसमें उन्हें बताया गया कि साल 2010 से अब तक कुल 380 बंदूक के लाइसेंस जारी किए गए हैं जिसमें से सिर्फ 2 या तीन लोग ही मुस्लिम थे। 18 फीसदी मुस्लिम आबादी वाले बागपथ में अहमद इसे मुसलमानों के साथ ज्यादती मानते हैं।