इलाहाबाद- उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद में एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है ! मंदिर में पूजा करने को लेकर उठा विवाद इतना बढ़ गया कि गोलियां चलने लगीं, जिसमें तीन पुलिस वालों समेत पांच लोगों की मौत हो गई ! वारदात के बाद से इलाके में तनाव है ! पुलिस ने मामले में 6 लोगों को हिरासत में लिया है ! तनाव को देखते हुए इलाके में पीएसी तैनात की गई है ! बताया जा रहा है कि घटना इलाहाबाद जिले के कौंधियारा थाना क्षेत्र के एकौनी गांव की है ! मंदिर में पूजा करने को लेकर यहां कुछ लोगों के बीच विवाद हुआ और देखते ही देखते बंदूकें निकल आईं !
इलाहाबाद के कौंधियारा स्थित एकौनी गांव में रविवार शाम मंदिर के लिए पांच लोगों के कत्ल से पूरा इलाका दहल गया। गांव और परिवार में हाहाकार मच गया। देर रात तक गांव में पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों की आवाजाही के बीच चीख-पुकार मची रही। मृतकों के घर में विलाप गूंजता रहा। हर शख्स स्तब्ध था। चेहरों पर दहशत और दुख झलक रहा था। पीड़ित परिवार के लोग रोते-कलपते रहे जबकि आसपास के लोग घबराए रहे। रात में पुलिस ने छापेमारी की तो खलबली मची। पुलिस ने दोनों तरफ के सात लोगों को हिरासत में ले लिया। दोनों परिवार के ज्यादातर पुरुष फरार हो गए।
एकौनी गांव में मंदिर के लिए पूर्व दरोगा शिवसेवक पांडेय और उसके पट्टीदार रामकैलाश पांडेय के बीच तीन साल से तनातनी बनी थी। मंदिर में पूजा करने से रोकने पर शिवसेवक ने कह दिया था कि वह दूसरा मंदिर बनवाएगा। उसके सभी भाई भी इसी पर अड़ गए जबकि रामकैलाश और उसका पुत्र दरोगा सुरेश पांडेय विरोध करते रहे। दोनों पक्ष अपने पर अड़े रहे। मंदिर का झगड़ा इस कदर बढ़ा कि रविवार शाम कत्लेआम हो गया। दरोगा सुरेश पांडेय ने तीन लोगों को गोली मारी तो दूसरे पक्ष ने उसे भी पिता रामकैलाश समेत मार डाला।
रामकैलाश स्थानीय मोतीलाल नेहरू इंटर क़ॉलेज से लिपिक पद से रिटायर हुआ था। उसके दो बेटों में दरोगा सुरेश पांडेय बड़ा था। छोटा पुत्र राकेश पांडेय शहर में रहकर वकालत करता है। बताया गया कि घटना के वक्त वह गांव में नहीं था। दरोगा सुरेश की पत्नी प्रवीण देवी है जबकि बारह साल का एक पुत्र और दो बेटियां हैं। उधर, पूर्व दरोगा शिवसेवक पांडेय पांच भाइयों में दूसरे नंबर पर थे। मारा गया उनका भाई कृष्ण सेवक तीसरे नंबर पर था। कृष्ण सेवक ने सीआरपीएफ से मेडिकल आधार पर वीआरएस लिया था।
दरोगा की गोली से मारा गया विमल पुत्र रामसेवक के बारे में बताया गया कि वह दो भाइयों में छोटा था। उसका भाई प्रेमसेवक और पिता रामसेवक भी घटना में गंभीर रूप से घायल हुआ। उन दोनों को अस्पताल ले जाया गया है। घटना की जानकारी पाकर दूसरे गांव से रिश्तेदार मृतकों के घर आए तो पुलिस ने उन्हें भी हिरासत में लेकर कौंधियारा थाने पहुंचा दिया। आधी रात तक आला अफसर थाने में डटे रहे। पुलिस अधिकारी गांव में शांति-व्यवस्था बनाए रखने की रणनीति तैयार करते रहे।
घटना के करीब चार घंटे बाद पुलिस अफसरों के आने पर पुलिस फोर्स मृतक विमल के घर में घुसी तो उसका पिता रामसेवक भी एक कोने में बेसुध मिला। वह खून से लथपथ था। सिर से खून बहकर कपड़ों में फैला था। चोट गोली लगने से पहुंची या लाठी से? यह साफ नहीं हो सका। पुलिस ने उसे पानी के छींटे डालकर होश में लाने की कोशिश की फिर अस्पताल भेज दिया। वारदात की जानकारी पाकर पुलिस अफसर गांव पहुंचे और मृतकों तथा घायलों को उठाकर गांव स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र ले गए,वहां मृत घोषित किए जाने पर मृतकों शिवसेवक पांडेय, कृष्णसेवक और विमल के शव पुलिस गाड़ी में रखकर पोस्टमार्टम हाउस भेजने की तैयारी में थी तभी मारे गए दरोगा सुरेश पांडेय के तरफ से आए लोगों ने हंगामा करते हुए शव रोक लिए और कहा कि पहले कातिलों की गिरफ्तारी की जाए तब शव ले जाने दिया जाएगा। इस पर एसपी यमुनापार और सीओ ने पुलिस फोर्स के साथ लाठीचार्ज कर किसी तरह शवों को चीरघर भेजा।