राजस्थान का मूर्ति उद्योग दुनियाभर में मशहूर है। देवी-देवताओं की मूर्तियां यहां से देशभर में जाती है। लेकिन चीन की सस्ती मूर्तियों की वजह से पहले से ही मंदी की मार झेल रहे मूर्ति उद्योग पर पहली बार टैक्स लगा है। इनका आरोप है कि मुगलों ने भी मूर्ति उद्योग पर टैक्स नहीं लगाया था, लेकिन हिंदूवादी सरकार ने सीधे 28 फीसदी टैक्स मूर्तियों पर लगा दिया है।
जयपुर के खजानेवाले रास्ते में रजवाड़ों के जमाने से भगवान की मूर्तियां बनाने का काम किया जाता है। यहां घर-घर में मूर्ति कलाकर मूर्ति बनाते हैं. कल से ही इन्होंने अनिश्चितकाल के लिए मूर्तियों की दुकानें बंद कर रखा है। अयोध्या के प्रस्तावित राम मंदिर तक के लिए भी यहीं से खजानों के रास्ते से भगवान राम की मूर्ति गई है।
राजस्थान में जयपुर समेत करीब 10 से 12 जिलों में मूर्ति व्यवसाय होता है, जिससे लाखों लोग जुड़े हुए हैं। मूर्ति कला के नाम पर इन पर कभी टैक्स नहीं लगा। ज्यादातर साधु-संत मदिरों के लिए या फिर आम जनता पूजा-पाठ के लिए भगवान की मूर्तियां इनसे बनवाते हैं। इसके अलावा शहीदों या फिर लोग अपने दिवंगत माता-पिता की मूर्तियां बनवाते हैं।
पिछले कुछ समय से राजस्थान का मूर्ति उद्योग चीन की सस्ती मूर्तियों की वजह से परेशान चल रहा है। चीन से मशीनों की बनी सस्ती मूर्तियां देशी और अंतरराष्ट्रीय बजार में खूब आ रही हैं। इनका डर है कि ग्राहक महंगी मूर्तियां खरीदने की बजाए चीनी मूर्तियां खरीदने लगेंगे। ये लोग राजस्थान सरकार और भारत सरकार के प्रतिनिधियों से भी मिले थे, लेकिन अभी तक केवल आश्वासन ही मिला है। माना जाता है कि राजस्थान में मूर्तियों का व्यवसाय 100 करोड़ से ऊपर का है।
पाण्डेय मूर्ति मंडल के मालिक सत्यनारायण बताते हैं कि हमारे पास तो साधु-संत ही मूर्ति खरीदने आते हैं। हम पर तो मुगलों ने भी कभी टैक्स नहीं लगया लेकिन हिंदूवादी सरकार ने ही टैक्स लगा दिया। इससे हमारा व्यापार चौपट हो जाएगा। देव मूर्ति भंडार के मनोज अग्रवाल का कहना है कि जब तक सरकार जीएसटी की 28 फीसदी दर वापस नहीं लेगी तब तक हम अपनी दुकानें नहीं खोलेंगे।