हर वर्ष चैत्र माह की शुक्ल प्रतिपदा को मनाया जाता है। सभी महीनों में चैत्र को बहुत पावन माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि इसी दिन ब्रह्मा ने सृष्टि की रचना की थी। इसे लोग हिंदू समाज के नव वर्ष के रूप में मनाते हैं। साल 2020 में ये पर्व 25 मार्च, बुधवार को मनाया जाएगा।
भारत में छोटे बड़े ऐसे कई त्योहार हैं जिनके साथ लोगों की सच्ची आस्था और अटूट विश्वास जुड़ा हुआ है। इन त्योहारों पर अलग अलग देवी देवताओं को पूजा जाता है। भारत के इन्हीं त्योहारों की फेहरिस्त में शामिल है गुड़ी पड़वा। इस पर्व को हिंदू धर्म के नए वर्ष के आगाज के रूप में मनाया जाता है। खासतौर से महाराष्ट्र के लोगों में गुड़ी पड़वा उत्सव की अलग ही धूम देखने को मिलती है। वहीं दक्षिण भारत में ये दिन फसल उत्सव के तौर पर मनाया जाता है। पूरे भारत में अलग अलग नामों से इस त्योहार को मनाने के साथ ही अनुष्ठान भी कराया जाता है।
गुड़ी पड़वा का पर्व
हर वर्ष चैत्र माह की शुक्ल प्रतिपदा को मनाया जाता है। सभी महीनों में चैत्र को बहुत पावन माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि इसी दिन ब्रह्मा ने सृष्टि की रचना की थी। इसे लोग हिंदू समाज के नव वर्ष के रूप में मनाते हैं। साल 2020 में ये पर्व 25 मार्च, बुधवार को मनाया जाएगा।
प्रतिपदा तिथि आरंभ – 14:57 (24 मार्च 2020)
प्रतिपदा तिथि समाप्त – 17:26 (25 मार्च 2020)
गुड़ी पड़वा से जुड़ी कथाएं
गुड़ी पड़वा काफी लोकप्रिय त्योहार है। कहा जाता है कि इस दिन भगवन राम अयोध्या वापस लौटे थे और उनका राज्याभिषेक हुआ था। महाभारत काल में इसी शुभ दिन पर युधिष्ठिर का भी राज्याभिषेक हुआ था। ये भी माना जाता है कि इसी दिन से सतयुग की शुरुआत हुई थी। ब्रह्मा ने इसी दिन ब्रह्मांड का निर्माण किया था और जीवन की शुरुआत की थी। इसी दिन भगवान विष्णु ने मत्स्य अवतार लिया था।
गुड़ी पड़वा का महत्व
महाराष्ट्र में गुड़ी पड़वा तो आंध्र प्रदेश और कर्नाटक में ये दिन उगादि के रूप में मनाया जाता है। वहीं उत्तर भारत में इस शुभ दिन से चैत्र नवरात्रि की शुरुआत होती है।
कैसे मनाया जाता है गुड़ी पड़वा
गुड़ी का अर्थ होता है विजय पताका। गुड़ी फहराने के बाद लोग उसके आसपास खूबसूरत रंगोली भी बनाते हैं। इस दिन छोटे बड़े जुलूस सड़कों पर निकलते हैं। महिलाएं घर और प्रवेश द्वार को सजाती हैं। इस दिन लोग नए वस्त्र पहनते हैं। हर घर में पारंपरिक व्यंजन तैयार किया जाता है। इस दिन लोग पूरन पोली, पुरी और श्रीखंड, मीठे चावल (सक्कर भात) खाते हैं।