गांधीनगर- बिहार विधानसभा चुनाव में हार के बाद भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने अब सारा ध्यान गुजरात के लोकल बॉडी इलेक्शन पर लगा दिया है। 22 नवंबर को होने वाले इस चुनाव में पार्टी ने बड़ी संख्या में मुस्लिम उम्मीदवारों को उतारा है। कुल 8,434 उम्मीदवारों में से 500 से अधिक मुस्लिम हैं। यह पिछली बार की तुलना में 40 फीसदी अधिक है।
नरेंद्र मोदी के मुख्यमंत्री रहते हुए हिंदुत्व की लेबेरेट्री के तौर पर पहचान बना चुके गुजरात में 2010 में पहली बार 300 मुस्लिम उम्मीदवारों को लोकल बॉडी इलेक्शन में टिकट दिया था। उनका यह प्रयोग सफल भी रहा था। 300 में से करीब 250 कैंडिडेट्स जीते थे।
जानकार मानते हैं कि बिहार में हुई हार और गुजरात में पाटीदारों के विरोध के चलते भाजपा ने इस बार 500 मुस्लिम उम्मीदवारों पर दांव खेला है। पार्टी ने सारा समीकरण दरकिनार कर केवल जीत की संभावना को देखते हुए उम्मीदवार चुना है।
पार्टी के सूत्र बताते हैं कि पाटीदार आरक्षण आंदोलन की वजह से मुख्यमंत्री आनंदी बेन पटेल को डर है कि कहीं उनकी पार्टी का वोटबैंक खिसक न जाए। पाटीदारों के नेता हार्दिक पटेल ने करीब दस लाख लोगों की रैली कर ली थी।
पाटीदार इस चुनाव में भी काफी सक्रिय हो गए हैं। वे खुल कर भाजपा का विरोध कर रहे हैं। यहां तक कह रहे हैं कि खूंखार अपराधी को चुन लो, पर भाजपा को वोट मत दो। ऐसे में भाजपा को मुस्लिम उम्मीदवारों से बड़ा भरोसा है। बीजेपी ने वेरावल-सोमनाथ से 10 मुस्लिम उम्मीदवारों को टिकट दिया है।
यह वही जगह है, जहां से बीजेपी के सबसे वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी ने 1990 में अयोध्या के लिए ‘रथयात्रा’ की शुरुआत की थी। इतनी बड़ी संख्या में मुस्लिम कैंडिडेट उतारने से बीजेपी काडर नाराज है, लेकिन पार्टी लीडरशिप कोई जोखिम नहीं उठाना चाहती है। न
रेंद्र मोदी के बाद गुजरात का मुख्यमंत्री पद संभालने वाली आनंदी बेन पटेल के लिए पहली बड़ी चुनौती है। यही कारण है कि पार्टी उसी उम्मीदवार को टिकट दे रही है, जिसकी जीत की संभावना 100 प्रतिशत हो। इसी रणनीति के चलते पहली बार, बीजेपी ने अहमदाबाद में 4, जाम नगर में 6 और राजकोट में 2 मुस्लिम कैंडिडेट उतारे हैं। भाजपा के उम्मीद है कि 500 में से 350-400 मुस्लिम उम्मीदवार जीतेंगे। बता दें कि गुजरात में 22 नवंबर को 56 नगर निगमों, 31 जिला पंचायतों और 230 तालुका पंचायतों के चुनाव होने हैं।