नई दिल्ली : कांग्रेस नेता हार्दिक पटेल की 2015 के महसाणा दंगा मामले में सजा पर रोक की मांग वाली याचिका को गुजरात हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया है। ऐसे में हार्दिक पटेल आगामी लोकसभा चुनाव नहीं लड़ सकेंगे। 2015 में दंगा भड़काने के एक मामले में निचली अदालत ने हार्दिक को दो साल की सजा सुनाई है। सजा पर रोक की मांग को लेकर हार्दिक हाईकोर्ट गए थे। दो साल की सजा होने के चलते कानूनन हार्दिक इलेक्शन नहीं लड़ सकेंगे।
हार्दिक पटेल ने उच्च न्यायालय में याचिका दायर कर विसनगर सत्र न्यायालय से मिली अपनी सजा पर रोक लगाने की मांग की थी। सत्र अदालत ने 2015 के मामले में उन्हें दो वर्ष कैद की सजा सुनाई थी। हार्दिक पटेल के कांग्रेस में शामिल होने के बाद से उनके चुनाव लड़ने को लेकर बातें हो रही थीं लेकिन सजा पर रोक ना लगने की वजह से वो चुनाव नहीं लड़ सकेंगे। दो साल की सजा होने पर कोई व्यक्ति चुनाव नहीं लड़ सकता है। हार्दिक मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट जा सकते हैं।
हार्दिक पटेल के नेतृत्व में हो रहे पाजीदार आरक्षण आंदोलन के दौरान मेहसाणा के विसनगर में जुलाई 2015 में हिंसा हुई थी। इसमें स्थानीय विधायक के घर भी तोड़फोड़ हुई थी। इस मामले में एक साल पहले स्थानीय अदलत ने हार्दिक को दोषी पाते हुए दो साल की सजा सुनाई थी। आठ मार्च को हार्दिक ने गुजरात हाईकोर्ट में याचिका दी थी और आगामी लोकसभा चुनाव लड़ने की इच्छा जताते हुए सजा पर रोक की अर्जी दी थी। गुजरात सरकार ने हार्दिक पटेल की उच्च न्यायालय में दायर उस याचिका का विरोध किया था और अदालत को पटेल के हिंसा में शामिल होने के सबूत दिए थे।
पादीदार आंदोलन से चर्चा में आए हार्दिक पटेल 12 मार्च को कांग्रेस में शामिल हुए थे। राहुल गांधी की मौजूदगी में उन्होंने कांग्रेस की सदस्यता ली थी। इसके बाद लगातार उनके चुनाव लड़ने को लेकर कई तरह की चर्चाएं रही हैं।