सियासत की आज की सबसे बड़ी ख़बर अहमद पटेल हैं। आखिर अहमद पटेल की जीत और हार में ऐसा क्या है जिसके लिए बीजेपी ने अपनी पूरी ताकत लगा दी है। टूटी फूटी कांग्रेस को बेचारगी की हालत में ला खड़ा किया। दरअसल बात सिर्फ एक सीट भर की नहीं है…बात रणनीति और रणनीतिकार की है। एक तरफ मोदी के महारथी अमित शाह हैं तो दूसरी तरफ सोनिया के सारथी। कांग्रेस ने पिछले कुछ समय में बड़ी हार देखी है लेकिन वो शख़्स जो थिंक टैंक है जो कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के आंख और कान कहा जाता है अगर वो ही हार जाए तो कांग्रेस में क्या कुछ बचेगा…
कांग्रेस के अपने विधायकों ने ही दगा दे दिया
ये चुनाव न सिर्फ पटले की साख से जुड़ा था बल्कि कांग्रेस लीडरशिप के लिए भी अग्निपरीक्षा था लेकिन आज जब इम्तिहान की घड़ी आई तो कांग्रेस के अपने विधायकों ने ही दगा दे दिया। कांग्रेस के कुल 8 विधायकों ने क्रॉस वोटिंग की। इनमें 6 विधायकों पर कांग्रेस को पहले से ही भरोसा नहीं था। शंकर सिंह वाघेला ने भी अहमद पटेल को वोट नहीं दिया। कांग्रेस के एक विधायक करमसी भाई पटेल ने भी क्रास वोटिंग की। पटेल उन 44 विधायकों में शामिल थे जिन्हें पहले बैंगलोर और फिर आणंद के रिजॉर्ट में ठहराया गया था।
ये सब तब हुआ जब कांग्रेस ने अपने विधायकों को टूटफूट और क्रॉस वोटिंग से बचाने के लिए भारी जुगत की। आज सभी 44 विधायकों को बाकायदा एक बस में पोलिंग सेंटर तक लाया गया इसके बावजूद कांग्रेस के दो विधायकों ने खुलेआम बीजेपी को वोट दे दिया। अहमद पटेल को फिर से राज्यसभा पहुंचाने के लिए कांग्रेस ने एड़ी चोटी का जोर लगाया। वो एनसीपी के दो और जेडीयू के एक विधायक की तरफ भी उम्मीदभरी नजर से देख रही थी लेकिन पता चला है कि इन तीनों ने कांग्रेस के बजाय बीजेपी को वोट दिया।
अहमद पटेल को जीत का भरोसा
ऐसी खबरें बाहर आने के बाद इस चुनाव पर सस्पेंस लगातार गहराता गया। हालांकि इसके बावजूद अहमद पटेल यही कह रहे हैं कि उन्हें अपनी जीत का भरोसा है लेकिन उनका गेम बिगाड़ने के लिए पहले से ही बड़ी गोटियां बिछ चुकी थीं। शंकर सिंह वाघेला ने तो वोट डालने के बाद सुबह ही अहमद पटेल की हार की भविष्यवाणी कर दी थी।
इस तरह अहमद पटेल को शिकस्त देने के लिए भीषण चक्रव्यूह रचा गया। ऐसा शायद पहली बार हुआ हो कि राज्यसभा की एक सीट का चुनाव इतनी प्रतिष्ठा का चुनाव बन गया हो।
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