मुंबई- हाजी अली दरगाह के अंदरूनी हिस्से तक महिलाओं को जाने की इजाज़त मिल गई है। बॉम्बे हाइकोर्ट ने 2012 से महिलाओं के जाने पर लगी पाबंदी को हटा लिया है। हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से दरगाह जाने वाली महिलाओं को सुरक्षा मुहैया कराने को कहा है। 2011 तक महिलाओं के प्रवेश पर यहां कोई पांबदी नहीं थी। लेकिन 2012 में दरगाह मैनेजमेंट मे यह कहते हुए महिलाओं की एंट्री पर रोक लगा दी थी कि शरिया कानून के मुताबिक, महिलाओं का कब्रों पर जाना गैर-इस्लामी है।
बता दें कि मुंबई के बीच समुद्र में हाजी अली का दरगाह है, जहां हजारों लोग रोज इबादत करने आते हैं। 2011 से इस दरगाह में महिलाओं को प्रवेश करने की इजाजत नहीं है। इसको लेकर महिलाओं ने बांबे हाईकोर्ट में एक याचिका भी दायर की थी ।
चूंकि मामला धार्मिक है, इसलिए हाईकोर्ट ने हाजी अली दरगाह ट्रस्ट से आपस में राय मशविरा करने की सलाह दी थी, लेकिन कोई हल नहीं निकला। इसके बाद मामला अभी भी कोर्ट में विचाराधीन था । भारतीय मुस्लिम महिला आंदोलन (बीएमएमए) की नूर जहां नियाज ने कहा कि हाजी अली दरगाह में महिलाओं का प्रवेश रोकना इस्लाम और संविधान के खिलाफ है।
विरोध प्रदर्शन के माध्यम से महिलाओं ने कोर्ट से गुहार लगाई थी कि वह संविधान में प्रदत्त अधिकारों के तहत महिलाओं को समानता के अधिकार का लाभ दिलाए।
वहीं, वाघिनी महिला संगठन की नेता ज्योति वेडेकर ने कहा था कि महिलाओं को हर समय अपमान सहन करना पड़ता है। उन्होंने कहा कि हिंदू हो या मुस्लिम सभी धर्म की महिलाओं को इबादत और पूजा का अधिकार मिलना चाहिए।