खंडवा : इंदौर रोड स्थित बड़केश्वर हनुमान मंदिर प्राचीन समय का होने के कारण लोगो की मानता हे, की मंदिर की मुर्ति प्राचीन होने के साथ सिद्ध भी है जिसके कारणवश हनुमान जयंती पर खास तरह से हनुमान जी का जन्मदिन मनाया जाता है। इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में महंत बाबा माधवदास गुरु हरनामदास महाराज के द्वारा चोला चढ़ाया जाता हैं। भगवान का विशेष रूप श्रृगार किया जाता है। इसके पश्चात विशेष आरती व हनुमान चालीसा का पाठ होता है। इसके उपरान्त यह भक्त बड़ी सख्या में भगवान के दर्शन का लाभ उठाते है और मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए, सुख समृद्धि के लिए भगवान से प्रार्थना करते है। जिसके बाद भंडारे का आयोजन होता हैं सेकड़ो की तागाद में भक्त प्रशादी ग्रहण करते है।
मंदिर के महंत बाबा माधवदास ने बताया की इस मंदिर और इसके नाम के पीछे एक पौराणिक कहानी मानी जाती है।उन्होंने बताया की मंदिर का इतिहास वर्षो पुराना वे स्वयं 35 वर्ष से भगवन की सेवा करते आ रहे है। उनके गुरु ने उन्हें बताया था की मंदिर के पीछे पहले गांव बस्ता था। जिसके बहार गांव की रक्षा के लिए ग्राम वासियो ने हनुमान जी की एक मुर्ति की स्थापना की थी। डाकू और लुटेरों के बढ़ते आतंक से परेशान लोग गांव से पलायन कर गए और अपने साथ में हनुमान जी की मुर्ति भी लेकर चले गए। जिसके बाद भगवन ने गांव के लोगो को दर्शन दे कर कहा, आप पुनः मुझे मेरे स्थान पर स्थापित कर दो। जिसके बाद ग्रामवासियो ने उसी स्थान पर एक बड़ के पेड़ के निचे उस मुर्ति को विराजित कर दिया। जब से ही इस मंदिर का नाम बड़केश्वर हनुमान के नाम से प्रसिद्धा हों गया। जो भी व्यक्ति यह मनोकामना करता है वह पूरी होती है। 5 मंगलवार या शनिवार आप को बजरंग बलि को चोला चढ़ाना होता है। जिससे पांचवे चोले तक मनोकामना पुर्ण हो जाती है
इस तरह दी जाती है,जन्मदिन की बधाई
पौराणिक कथाओ के अनुसार हनुमान जी का जन्म चैत्र मास की पूर्णिमा को हुआ था। इस दिन को हनुमान जयंती के रूप में मानते है। इसी दिन बजरंग भक्त मंदिर पर केक काट कर भगवान का जानन्मोत्सव मनाते है। तो कुछ पूजा पाठ के बाद भगवान का प्रिय भोग गुड़ चना उनके मुख में खिलते है,यह सिर्फ वर्ष में 1 दिन ही इस तरह से भगवान को प्रशादी खिला सकते है। इस तरह से हमुमान जयंती के दिन उनका जनन्मोत्सव उनके भक्त बनाते है।
प्रत्येक वर्ष हनुमान जयंती चैत्र मास (हिन्दू माह) की पूर्णिमा को मनाई जाती है। कई स्थानों पर कार्तिक मास (हिन्दू माह) के कृष्ण पक्ष के चौदहवें दिन भी मनाई जाती है।
आपके लिए प्रस्तुत है हनुमान जयंती के पावन मुहूर्त
मार्च 30, 2018 को 19.36.38 से पूर्णिमा आरंभ।
मार्च 31, 2018 को 18.08.29 पर पूर्णिमा समाप्त।
हनुमान जयंती की प्रामाणिक व्रत-पूजन विधि
हनुमान जयंती को पूरे भारत में बड़े ही उल्लासपूर्ण और उत्साह के साथ मनाया जाता है। इस दिन न सिर्फ हनुमानजी की पूजा होती है बल्कि श्रीराम और सीताजी का भी पूजन-स्मरण किया जाना चाहिए।
* व्रत की पूर्व रात्रि को जमीन पर सोने से पहले भगवान राम और माता सीता के साथ-साथ हनुमानजी का स्मरण करें।
* यदि इस दिन ब्रह्मचर्य का पालन कर सके तो बेहतर होगा।
* प्रात: जल्दी उठकर दोबार राम-सीता एवं हनुमानजी को याद करें।
* जल्दी सवेरे स्नान व ध्यान कर हाथ में गंगाजल लेकर व्रत का संकल्प करें।
* साफ-स्वच्छ वस्त्रों में पूर्व दिशा की ओर भगवान हनुमानजी की प्रतिमा को स्थापित करें।
* विनम्र भाव से बजरंग बली की प्रार्थना करें।
* ध्यान रहे कि मन में कोई कुविचार न आने पाए।
* इसके पश्चात षोडशोपचार की विधि-विधान से श्री हनुमानजी की आराधना करें।
* हनुमानजी की पूजा में हनुमत कवच मंत्र का जाप अवश्य करें। कवच मंत्र का जाप तुरंत फलदायी होता है। इससे उनका आशीर्वाद मिलता है।
इस कवच का मूल मंत्र है-
‘ॐ श्री हनुमंते नम:’, जिसके ‘हं हनुमंते नम:’ का पाठ भी अवश्य करें।
रिपोर्ट @ तुषार सेन