नई दिल्ली – हार्दिक पटेल की उम्र महज 22 साल है, लेकिन उन्होंने गुजरात की राजनीति में तूफान ला दिया है। हार्दिक एक ऐसे आंदोलन का नेतृत्व कर रहे हैं, जिसने आनंदीबेन पटेल सरकार को सकते में डाल दिया है।
पटेल गुजरात की राजनीति का प्रभावशाली समुदाय है, हालांकि पिछले 42 दिनों से ये समुदाय आरक्षण की मांग को लेकर आंदोलनरत है। गुजरात के पटेल सरकारी नौकरियों और स्कूलों, कॉलेजों में दाखिले में आरक्षण की मांग कर रहे हैं।
हार्दिक पटेल समुदाय के उन नेताओं में से एक हैं, जो आंदोलन का नेतृत्व कर रहे हैं। हार्दिक का दावा है कि वह किसी राजनीतिक पार्टी के सदस्य नहीं है, जबकि उनके पिता भाजपा के सदस्य हैं। हार्दिक के बारे में ये भी कहा जा रहा है कि उन्हें कांग्रेस ने ‘प्लांट’ किया है। हालांकि हार्दिक इस मसले पर कहते हैं कि यदि किसी राजनीतिक संगठन के साथ उनके रिश्ते सामने आए तो वह आंदोलन के नेतृत्व से हट जाएंगे।
पटेल समुदाय को पिछड़ी जाति का दर्जा दिलाने के लिए हार्दिक और उनके साथियों ने पाटिदार अनामत आंदोल समिति बना रखी है। ‘अनामत’ गुजराती भाषा का शब्द है, जिसका मतलब आरक्षण होता है। आरक्षण आंदोलन का नेतृत्व करने के कारण हार्दिक इन दिनों गुजरात के पटेलों के बीच चर्चा का मुद्दा बने हुए हैं।
हार्दिक के बयान भी ऐसे हैं, जिससे गुजरात की नई छवि बन रही है। ये छवि उस ‘तिलिस्मी छवि’ से बिलकुल ही अलग है, जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुजरात का मुख्यमंत्री रहते हुए गढ़ी थी। लोकसभा चुनावों से पहले नरेंद्र मोदी ने गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में राज्य के विकास और विकास के मॉडल की सराहना देश के कोने-कोने में की। मोदी के भाषणों की बदौलत ही ‘गुजरात मॉडल’ का जादुई फार्मूला तैयार किया गया, जिसके जरिए देश के विकास का स्वप्न देखा गया।
हालांकि हार्दिक कहते हैं कि गुजरात में खेती की हालत बहुत ही खराब है। अपने समुदाय के लिए आरक्षण मांग रहे हार्दिक का दावा है कि खेती की हालत खराब होने के कारण पटेलों की हालत खराब हो रही है। गुजरात में 17 से 20 फीसदी आबादी होने के बाद पटेल आर्थिक रूप से पिछड़े हैं। युवाओं का नौकरियां नहीं मिल रही हैं।
हार्दिक का कहना है कि गुजरात में महज एक या दो फीसदी ही अमीर हैं। एक-दो फीसदी अमीर होने से पूरा का पूरा समाज अमीर नहीं हो जाता। हार्दिक का कहना है कि सौराष्ट्र का किसान दिन भर हल चलाता है, फिर भी शाम को उसके घर चूल्हा नहीं जलता।
हार्दिक के पिता अहमदाबाद के ग्रामीण इलाके में सबमर्सिबल पंप का करोबार करते हैं। पटेल समुदाय के आरक्षण के पक्ष में उनका संगठन तकरीबन 100 रैलियां कर चुका है। लगभग 70 रैलियों में हार्दिक खुद शामिल रहे है।
हाल ही पाटिदार अनामत आंदोल समिति ने मेहषाणा और सूरत में विशाल रैलियां की थी, जिसमें हजारों पाटीदार युवा आरक्षण की मांग में सड़क पर उतरे। हार्दिक बीकॉम पास हैं। वह अहमदाबाद के विरांगम के रहने वाले हैं।
हार्दिक के उभार और पटेलों की आरक्षण की मांग से राज्य आनंदीबेन पटेल सरकार और भाजपा सकते में है। पटेल भाजपा का वोट बैंक रहा है। यही कारण है कि मौजूदा आंदोलन पर भाजपा पैनी निगाह रखे हुए है।