चंडीगढ़: हरियाणा सरकार में ऊर्जा मंत्री रंजीत चौटाला ने पिछले दिनों यह प्रस्ताव दिया था कि बिजली का बिल नहीं भरनेवालों के बच्चों को परीक्षाओं में न बैठने दिया जाए। इस प्रस्ताव पर अभी घमासान मचा था कि सूबे के शिक्षा मंत्री कंवर पाल ने भी चौटाला का समर्थन कर दिया है। पाल ने कहा कि इस तरह की नीति में कोई बुराई नहीं है।
शिक्षा मंत्री ने कहा, प्रस्ताव पर चर्चा हुई है। लेकिन इसे कब लागू किया जाना है, यह तय किया जाना बाकी है। यह चर्चा की गई थी कि नौकरी के लिए आवेदक करनेवालों का बिजली विभाग को कोई बकाया नहीं होना चाहिए।
गुरुवार को ऊर्जा मंत्री ने सिरसा में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कहा था कि प्रतियोगी परीक्षाओं में बैठने के लिए सभी बिजली उपभोक्ताओं के वार्डों के लिए बिजली विभाग से अनापत्ति प्रमाण पत्र अनिवार्य किया जाना चाहिए। उन्होंने दावा किया कि राज्य के ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में बकाएदारों के एक हिस्से से बकाया वसूलने के लिए कठोर उपायों की आवश्यकता है।
चौटाला के सुझाव का समर्थन करते हुए पाल ने कहा, ‘पिछली बीजेपी सरकार ने पहले ही बकाएदारों को पर्याप्त राहत प्रदान की थी। बिजली दरों में भी कमी की थी। पर, कुछ लोगों ने अपने बिजली बिलों को जमा नहीं करने की आदत बना ली है जो कि गलत है।’
शिक्षा मंत्री ने आगे कहा, ‘इसका कारण आर्थिक कमजोरी नहीं है। लोगों को अपनी आदतों को थोड़ा बदलना चाहिए और समय पर अपने बिजली बिलों का भुगतान करना चाहिए। ऐसा करने से, वे न केवल सरकार की मदद करते हैं, बल्कि जुर्माना के साथ अतिरिक्त शुल्क का भुगतान करने से भी बचते हैं।’
इस सवाल पर कि प्रतियोगी परीक्षाओं से छात्रों को रोकना कितना उचित है, पाल ने कहा, ‘किसी के साथ अन्याय नहीं हो रहा है। आदतन बकाएदारों को राशि जमा करना ही उचित है।’