जेवर-बुलंदशहर मार्ग पर बुधवार आधी रात को जो कुछ हुआ वो दिल दहला देने वाला है। पीड़ित और उनके दो परिजनों और एक प्रत्यक्षदर्शी की जुबानी यह बताने की कोशिश की है कि दरिंदगी के उन दो घंटों में शकील और उसके रिश्तेदारों के साथ क्या हुआ है।
अच्छा होता बदमाश हम चारों को भी मार देते
हमारे बच्चों की आंखों के सामने बदमाश हमारे साथ दरिंदगी कर रहे थे लेकिन वे कुछ नहीं कर सके। तमंचों, चाकू और सरिये से लैस छह बदमाशों ने हमें जानवरों की तरह मारा पीटा। कार से खींचने के बाद वे हम सभी औरतों को बाल पकड़कर करीब एक किलोमीटर तक खेतों में घसीट कर ले गए। दर्द के मारे जब हमने उनसे बख्श देने की विनती की तो बदमाशों ने हमें नीचे गिरा मुंह को जूतों से दबा दिया।
इसके बाद जब भी हम चिल्लाते तो वे सरिये से मारते। उन्होंने हम चारों के साथ बारी-बारी से रेप किया। हैवानियत की हद पार कर चुके बदमाशों ने हमारे कान भी बुरी तरह से काट लिए थे। गले और चेहरे को भी जख्मी कर दिया। यही नहीं हमारे सामने ही हमारे घर के सबसे छोटे बच्चे को भी मार देना चाहते थे। शकील के हाथ जोड़ने पर उन्होंने बच्चे को छोड़ दिया पर शकील की छाती पर गोली मार दी। बदमाशों ने हमे जिंदा छोड़ दिया, लेकिन ऐसी जिंदगी का क्या? अब हम इस तरह से जीकर क्या करेंगे। हमें यूं अधमरा छोड़ने से बेहतर होता कि बदमाश शकील की तरह हमें भी मार डालते।
सारा पैसा-जेवर ले लो, लेकिन हमें छोड़ दो
बदमाशों से परिजनों को बचाने के लिए मामू ने हर संभव कोशिश की। उन्होंने उनसे ये भी कहा कि हमारा सारा पैसा-जेवर ले लो। मैं घर जाकर और भी पैसा ला दूंगा, लेकिन हमें छोड़ दो, लेकिन बदमाशों का दिल नहीं पसीजा। उन्होंने सभी लोगों से पहले पैसे छीने। इसके बाद महिलाओं के जेवरात उतरवा लिए। महिलाओं के दुपट्टे फाड़कर उन्हें बांध दिया। इसके बाद हैवानियत को अंजाम दिया। मामू ने इसका विरोध किया पर इसकी कीमत उन्हें अपनी जान देकर चुकानी पड़ी।
मेरे ननिहाल में सबसे समझदार व्यक्ति थे शकील मामू। हर फैसला वह करते थे और परिवार का बहुत बड़ा सहारा थे। अब उनके न रहने पर उनके बच्चों का क्या होगा, यह सोच-सोचकर मेरा दिल बैठा जा रहा है। इस वक्त मामी भी गर्भवती हैं। समझ नहीं आ रहा कि उनसे जब मुलाकात होगी तो उन्हें किन शब्दों में सांत्वना दूंगी। सुबह फोन पर यह खबर मिलते ही मैं अपने पति के साथ तुरंत नोएडा जिला अस्पताल पहुंच गई, लेकिन मुङो मेरे अपने परिवार से मिलने की इजाजत नहीं दी गई। मैं पुलिसवालों के आगे गिड़गिड़ाई, पर उन्होंने मेरी एक न सुनी।
बेचारगी
भईया अल्लाह के लिए हम पर रहम करो
मेरा भाई और भाभियां एक और सवा बजे के बीच घर से निकले थे। 15 या 20 मिनट बाद ही मेरे भाई का फोन आ गया। उसने बताया कि साबौता गांव से आगे कार के दो टायर पंक्चर हो गए है। एक स्टैपनी कार में है। बाइक से आ जाओ। दूसरे टायर में पंक्चर लगवा लाएंगे। अभी वह बता ही रहा था कि मोबाइल के जमीन पर गिरने की आवाज आईं। कुछ लोग जोर-जोर से गालियां बक रहे थे।
मैं इधर से हैलो-हैलो चिल्ला रहा था। हमारे घर की महिलाएं जोर-जोर से रो रही थीं। वह बोल रही थीं, भईया अल्लाह के लिए हम पर रहम करो। हमें छोड़ दो। हमने आपका क्या बिगाड़ा है। उधर से गालियों और मारपीट की आवाजें आती रहीं। करीब दो मिनट तक ये बातें मैंने सुनीं। उसके बाद सब शांत हो गया। मैंने तुरंत पुलिस को कॉल की। लेकिन मदद के लिए पुलिस को उन तक पहुंचने में घंटों लग गए। चाचा 20 मिनट तड़पते रहे : शकील के भतीजे आजाद ने बताया कि हमारे सामने ही बदमाशों ने चाचा पर दो गोलियां दागी। वह 20 मिनट तक तड़पते रहे, लेकिन हम कुछ नहीं कर पाए।
बेबसी
साहब, बदमाशों के सिर पर शैतान सवार था
मैंने महिलाओं के रोने की आवाज सुनी। चारपाई से उठा और बदमाशों से कहा, भईया इन्हें छोड़ दो। क्यों परेशान कर रहे हो। उन्होंने मुङो ही पीटना शुरू कर दिया। साहब, उनके सिर पर शैतान सवार था। बेचारी महिलाओं और उनके साथ वाले लोगों को सड़क पर पीटना शुरू कर दिया। मैंने महिलाओं की चीख पुकार सुनी और सड़क पर जाकर उन लड़कों से कहा, अरे क्या कर रहे हो, इन्हें छोड़ दो। इस पर उनमें से एक युवक गाली देकर बोला, यह वही बुड्ढ़ा है जिसने हमें आम नहीं तोड़ने दिए थे।
इसके बाद दूसरे युवक ने मुङो कई चांटे मारे और मेरे सिर में मारने के लिए हथौड़ा उठाया। मैंने तुरंत हाथ जोड़कर जान बख्शने की गुहार लगाई। इसके बाद वे मुङो भी पकड़कर खेतों में ले गए। वहां ले जाकर हमें महिलाओं के दुपट्टों से बांध दिया। इसके बाद बदमाशों ने एक-एक करके महिलाओं को दूसरे खेत में ले जाना शुरू कर दिया। हर दस मिनट बाद एक महिला को लेकर जाते थे। उन लोगों ने हैवानियत करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। मैं तो उन्हें इंसान नहीं मान सकता। उन्हें कड़ी से कड़ी सजा मिलनी चाहिए। मैं उन्हें जानता तो नहीं हूं लेकिन सामने आने पर पहचान जरूर लूंगा।
@एजेंसी