नई दिल्ली- बैंक अकाउंट और मोबाइल नंबर पोर्टेबिलिटी की तरह आप हेल्थ इंश्योरेंस पोर्टेबिलिटी का विकल्प भी है। आप अपनी पुरानी हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी के फायदे आसानी से नई इंश्योरेंस कंपनी में ट्रांसफर करवा सकते हैं। कंपनियां हजारों की संख्या में पॉलिसी होल्डर की सेवा करती हैं लेकिन फिर भी कई ग्राहक कंपनियों की सेवा से संतुष्ट नहीं होते। ये ग्राहक किसी दूसरी कंपनी में जाना चाहते हैं। इसलिए इंश्योरेंस रेगुलेटर आईआरडीएआई ने हेल्थ इंश्योरेंस पोर्टेबिलिटी लॉन्च की है।
किस समय पोर्टेबिलिटी का लाभ उठाएं
अगर आप मौजूदा कंपनी की हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी से खुश नहीं हैं तो आप दूसरी कंपनी में जा सकते हैं। अगर आप इन बातों का ध्यान रखेंगे तो आसानी से पोर्टेबिलिटी पर फैसला कर सकेंगे।
अतिरिक्त कवरेज
अगर किसी कारण से आपकी मौजूदा हेल्थ इंश्योरेंस कंपनी पर्याप्त कवरेज उपलब्ध नहीं करवा पा रही है। इसलिए आप नई कंपनी में अतिरिक्त कवरेज के साथ अपनी पॉलिसी पोर्ट कर सकते हैं।
छिपे हुए नियम
अगर आप हेल्थ इंश्योरेंस कंपनी का चुनाव कर रहे हैं तो पारदर्शिता को देखें। आप जब इंश्योरेंस कंपनी बदलेंगे तो ये नियम आपके लिए दिक्कत खड़ी कर सकते हैं। इसलिए आप ऐसी हेल्थ इंश्योरेंस कंपनी में शिफ्ट करें जो पारदर्शी हो और अपने नियम कायदे न छिपाती हो।
सर्विस अच्छी नहीं
अगर आपकी हेल्थ इंश्योरेंस कंपनी आपको ठीक से सर्विस नहीं दे रही है तो आप नई कंपनी में अपनी पॉलिसी पोर्ट करवा सकते हैं। ऐसी कंपनी के साथ रहने में कोई फायदा नहीं जो क्वालिटी सर्विस न देती हो।
स्पेशलाइज्ड हेल्थ इंश्योरेंस कंपनी
आपने किसी जनरल इंश्योरेंस कंपनी से पॉलिसी ली हो और आप स्पेशलाइज्ड हेल्थ इंश्योरेंस कंपनी के साथ जाना चाहते हैं।
अच्छा ऑफर
अगर आपकी मौजूदा पॉलिसी महंगी है और आपको उससे सस्ते में अच्छी कंपनी से पॉलिसी मिल रही है तो आप कंपनी बदल सकते हैं। बचे हुए पैसे में आप दूसरी पॉलिसी खरीद सकते हैं।
क्लैम सेटलमेंट
अगर आपकी मौजूदा कंपनी ठीक से क्लैम सेटलमेंट नहीं कर रही है तो भी आप दूसरी कंपनी का दामन थाम सकते हैं। कई कंपनियों का क्लेम सेटलमेंट रेश्यो कम होता है। इससे आपका क्लैम सेटल होने में दिक्कत आ सकती है।
पर्सनलाइज्ड पॉलिसी
हेल्थ इंश्योरेंस पोर्टेबिलिटी में ग्राहक के मुताबिक पॉलिसी आफर की जा सकती है। अगर आपकी लाइफ स्टाइल में बदलाव आया है और आपको अतिरिक्त कवर की जरूरत है या परिवार के किसी सदस्य का नाम पॉलिसी में जुड़वाना है।
नया सम अश्योर्ड
पोर्टेबिलिटी के बाद मौजूदा समय अश्योर्ड और बोनस आपकी पॉलिसी में जोड़ दिया जाता है। पोर्टेबिलिटी में आपकी पॉलिसी का नोक्लैम बोनस भी आपके सम अश्योर्ड में जोड़ दिया जाता है।
हेल्थ इंश्योरेंस पोर्टेबिलिटी की कमियां
प्रीमियम ज्यादा
कई बार इंश्योरेंस कंपनियां नई पॉलिसी में ज्यादा फीचर जोड़ देती हैं। इसके चलते आपकी पॉलिसी का प्रीमियम बढ़ जाता है।
फायदे में कमी
अगर कोई पॉलिसी होल्डर ग्रुप इंश्योरेंस पॉलिसी या फैमिली फ्लोटर प्लान से आप सिंगल इंश्योरेंस पॉलिसी में जा रहे हैं तो आपकी मौजूदा पॉलिसी में से कुछ फायदे घट सकते हैं। इसलिए दोनों पॉलिसी की तुलना करने के बाद ही नई पॉलिसी में पोर्ट करें।
समय की दिक्कत
जब आपकी पॉलिसी रिन्यूवल होने वाली रहती है तभी आप पोर्टेबिलिटी विकल्प का उपयोग कर सकते हैं। आप अपनी मर्जी के मुताबिक पॉलिसी के बीच में पोर्टेबिलिटी का फायदा नहीं उठा सकते।
पोर्टेबिलिटी की प्रक्रिया
मौजूदा पॉलिसी के सभी प्रीमियम देने के बाद आप पोर्टेबिलिटी की अर्जी दे सकते हैं। आपको पॉलिसी रिन्यवल से 45 दिन पहले पोर्टेबिलिटी के लिए अर्जी देनी होगी।
नई कंपनी को अर्जी के डाक्यूमेंट देने होंगे
7 दिन के भीतर नई कंपनी आपकी मेडिकल जानकरी निकाल लेगी।
आपकी क्लैम हिस्ट्री को देखकर ही नई कंपनी पोर्टेबिलिटी पर फैसला लेगी
आपकी अर्जी स्वीकार होने के बाद आपके मौजूदा फायदों के साथ नई कंपनी आपको पॉलिसी जारी कर देगी। [एजेंसी]