डिंडौरी : मध्यप्रदेश के आदिवासी बहुल क्षेत्र डिंडौरी के इमलई माल गाँव में पिछले दो दिनों से एक तांत्रिक हर घर में जाकर तंत्रकिर्या को अंजाम दे रहा है। तांत्रिकगाँव के हर घर में जा कर कुछ खोजता हैं तांत्रिक के मुताबिक वह एसी चीजों को तलाश रहा है जो ग्रामीणों को परेशान कर उन्हें नुकसान पंहुचा रही है। ग्रामीणों का भी मानना है की साल 2017 में कई ग्रामीण काल के गाल में समा गए है जिनका डॉक्टरी तो किया गया पर उन्हें बचाया नहीं जा सका इस लिए अब तांत्रिक की मदद लेने पर वे मजबूर है। आखिर क्या है पूरा मामला , क्यों ग्रामीणों को लेने पड़ रही है तांत्रिक की मदद ,डिंडौरी क्र क्या है स्वस्थ सेवाओं का हल देखिए डिंडौरी से दीपक नामदेव की रिपोर्ट।
डिंडौरी से मंडला मार्ग में महज 9 किलो मीटर की दुरी में बसे इमलई माल गाँव मे इन दिनों कथित एक साया का ख़ौफ़ है।इस ख़ौफ़ के चलते ग्रामीण चबूतरे में बैठ कर साया दूर होने की राह तक रहे है ।ग्रामीणों की माने तो 2017 में कई लोगो की अनजानी बीमारी के चलते मौत हो गई।कई गर्भवती महिलाओं की माने तो उनके बच्चे की मौत कौख में भी अनजाने साये के चलते हो गई।गाँव की रेखा बाई का कहना है की हमारे घर से नारियल निकला है बहुत परेशानी थी । घर में नहीं रह पाते थे इधर इधर भटकना पड़ता था । एक लड़की की मौत हो चुकी है प्रेग्नेंसी में। फिर डर है हमको इस लिए यहाँ छोड़ कर मायके में रह रहे है । बच्चे २ है २ बच्चे भी ख़तम हो गए है। रेखा बाई का मानना हैं की कोई भूत है जो तंग कर रहे है । जिसे दूर करने के लिए वे थाल में दिए सजाए तांत्रिक का घर पर स्वागत कर बाधा को हटाने आग्रह कर रही हैं ।
तांत्रिक अपने 4 शागिर्दों के साथ गाव के हर घर पर दस्तक पिछले 2 दिनों से दे रहा है।वह जिस के भी घर जा रहा है उनके आंगन में बैठ कर माला जप कर मंत्रो का उच्चारण कर रहा है।उसके एक शागिर्द हाथ मे चमिटा ओर एक शागिर्द हाथ मे गदा लिए घर पर प्रवेश करते है और सालो से घर पर रखे कपड़े में बंधे नारियल और लोहे के त्रिशूल निकाल कर बोरियों में कैद कर रहे है।
यही नही दिन भर तांत्रिक अपने शागिर्दों के साथ गांव के हर घर मे दस्तक देकर उनके घरों से कुछ न कुछ निकाल बोरियों में भरता रहा। तांत्रिक बाबा का कहना है की गांव के लोग अपने इष्ट देव को छोड़ करके अन्य को देव को मानने लगे है। तांत्रिक के अनुसार प्रत्येक घर में एक से दो तक प्रेत पाए गए है। तांत्रिक के अनुसार प्रेत और देवताओं को माना कर उन्हें पाताललोक भेज दिया जायगा जिस से गांव वाले सुख शांति से जीवनयापन कर सकेंगे। तांत्रिक बाबा रात में गाँव के एक बड़े पेड़ के नीचे आग जाला कर तंत्र साधना करता है।
एक तरफ देश डिजिटल युग में प्रवेश कर आधुनिकता के दौर में जा रहा है वही आदिवासी जिले में स्वास्थ्य व्यवस्था की लचर प्रणाली लोगो को अंधविस्वास के चलते तांत्रिक ,गुनियो ,पंडो के चक्कर में फसने में मजबूर कर रही है जिसका जीता जागता उदहारण इमलई गाँव है।