मध्यप्रदेश के बागी कांग्रेसी विधायक बंगलूरू में प्रेस कांफ्रेस कर रहे हैं। जिसमें उन्होंने कहा कि हम कमलनाथ सरकार की कार्यशैली से खुश नहीं है। हमें किसी ने कैदी नहीं बनाया। हम सभी विधायक साथ हैं। 22 विधायक इस प्रेस कांफ्रेस में मौजूद हैं। सभी ने इस्तीफा दिया तो केवल छह के मंजूर क्यों हुए।
भोपाल : मध्यप्रदेश में सियासी उठापटक जारी है। भाजपा ने जहां बहुमत परीक्षण कराने के लिए उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है। वहीं राज्यपाल ने एक बार फिर कमलनाथ को पत्र लिखकर मंगलवार को विधानसभा में बहुमत परीक्षण कराने के लिए कहा है। इससे पहले राज्यपाल के निर्देशानुसार सोमवार को बहुमत परीक्षण होना था लेकिन विधानसभा अध्यक्ष एनपी प्रजापति ने कोरोना वायरस के चलते विधानसभा की कार्यवाही को 26 मार्च तक के लिए स्थगित कर दिया। आज न्यायालय बहुमत परीक्षण पर सुनवाई करेगा।
मध्यप्रदेश के बागी कांग्रेसी विधायक बंगलूरू में प्रेस कांफ्रेस कर रहे हैं। जिसमें उन्होंने कहा कि हम कमलनाथ सरकार की कार्यशैली से खुश नहीं है। हमें किसी ने कैदी नहीं बनाया। हम सभी विधायक साथ हैं। 22 विधायक इस प्रेस कांफ्रेस में मौजूद हैं। सभी ने इस्तीफा दिया तो केवल छह के मंजूर क्यों हुए।
राज्य में जारी सियासी घमासान के बीच सोमवार को भाजपा ने मुख्यमंत्री कमलनाथ, विधानसभा अध्यक्ष एनपी प्रजापति और मुख्य सचिव के खिलाफ उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है। भाजपा ने अपनी याचिका में अदालत को बहुमत परीक्षण कराने का निर्देश देने को कहा है। जिसपर अदालत सुनवाई के लिए तैयार है और आज कोई अहम फैसला सुना सकती है।
लालजी टंडन ने सोमवार को कमलनाथ को लिखे पत्र में कहा, ‘यह खेद की बात है कि आपने मेरे द्वारा दी गई समयावधि में बहुमत सिद्ध करने की जगह, पत्र लिखकर विधानसभा में शक्ति परीक्षण कराने में असमर्थता व्यक्त की/आनाकानी की, जिसका कोई औचित्य और आधार नहीं है। आपने अपने पत्र में शक्ति परीक्षण नहीं कराने के जो कारण लिए हैं, वे आधारहीन तथा अर्थहीन हैं।’
राज्यपाल ने कहा, ‘आपने पत्र में सर्वोच्च न्यायालय के जिस निर्णय का जिक्र किया है वह वर्तमान परिस्थितियों और तथ्यों में लागू नहीं होता। जब यह प्रश्न उठे कि किसी सरकार को सदन का विश्वास है या नहीं, तब सर्वोच्च न्यायालय द्वारा कई निर्णयों में निर्विवाद रूप से स्थापित किया गया है कि इस प्रश्न का उत्तर सदन में शक्ति परीक्षण के से ही हो सकता है। आपसे पुन: निवेदन है कि सांविधानिक एवं लोकतंत्रीय मान्यताओं का सम्मान करते हुए 17 मार्च तक बहुमत सिद्ध करें, अन्यथा माना जाएगा कि वास्तव में आपको विधानसभा में बहुमत प्राप्त नहीं है।’