नई दिल्ली : करीब 9 साल पहले अजमेर की ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती दरगाह पर हुए बम ब्लास्ट की घटना में 3 लोगों की जान भी गई थी और 15 लोग जख्मी हुए थे, जिसका फैसला शनिवार को आना था, लेकिन इसे जिला एवं सेशन न्यायालय जयपुर ने टाल दिया है. अब 8 मार्च फैसला सुनाया जाएगा ।
इससे पहले सभी आरोपियों को कोर्ट में पेश किया गया । वहीं अदालत ने कहा मामला बड़ा होने के चलते केस का शनिवार तक पूरा विश्लेषण नहीं हो पाया है इसलिए फैसला 8 मार्च को सुनाया जाएगा ।
2007 के अजमेर दरगाह बम विस्फोट मामले में आज जयपुर में एनआईए की विशेष अदालत ने अपना फैसला टाल दिया है। अब ये फैसला 8 मार्च को सुनाया जाएगा। इस मामले में स्वामी असीमानंद, देवेंद्र गुप्ता, चंद्रशेखर लेवे, मुकेश वसानी, भारत मोहन रतेश्वर, लोकेश शर्मा और हर्षद सोलंकी पर मुकदमा दर्ज है।
इन सभी पर धमाके की साजिश रचने, विस्फोटक रखने, हत्या और सांप्रदायिक सद्भाव को खराब करने समेत कई आरोप लगाए गए हैं। 11 अक्टूबर 2007 को हुए इस धमाके में तीन लोगों की मौत हो गयी थी जबकि 17 से अधिक लोग घायल हो गए थे।
2011 में इस केस को एनआईए को सौंप दिया गया था। उसके बाद एनआईए ने आरोप पत्र दाखिल किया था, जिसमें असीमानंद को मास्टरमाइंड बताया गया था।
बता दें कि इस केस में तब एक नया मोड़ आ गया था जब गवाह भावेश पटेल ने तत्कालीन गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे और कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह समेत कई कांग्रेसी नेताओं पर यह आरोप लगाया था कि वे लोग उस पर आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत और इंद्रेश कुमार को फंसाने का दवाब डाल रहे हैं।