आगरा: उत्तर प्रदेश के आगरा में एक जज साहब को कोर्ट रूम में पुलिस कर्मी की वर्दी उतरवाकर खड़ा करना महंगा पड़ गया। यूपी के डीजीपी द्वारा इस मामले में ट्वीट करने और आगरा के एसएसपी द्वारा मामले को हाईकोर्ट को रेफर करने के बाद जज साहब का तुरंत तबादला कर दिया गया। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एसीजेएम को महोबा जाने का आदेश दिया है।
पुलिस लाइन में तैनात ड्राइवर घूरेलाल शुक्रवार को जिला जेल से दो किशोरों को लेकर वज्र वाहन से जा रहे थे। उनके साथ पुलिस लाइन के ही तीन सिपाही आलोक, मनीष और रुपेश थे। सुबह करीब 11 बजे वज्र वाहन ग्वालियर रोड से सिरौली जाने वाली लिंक रोड पर चल रहा था। तभी पीछे मजिस्ट्रेट की गाड़ी पहुंच गई। उनकी गाड़ी ने हॉर्न के साथ ही हूटर और सायरन भी बजाया, मगर करीब दो किलोमीटर दूरी तक उन्हें वज्र वाहन से साइड नहीं मिली। इस पर मजिस्ट्रेट को गुस्सा आ गया, अपनी कोर्ट पहुंचते ही उन्होंने वज्र वाहन के चालक घूरेलाल को तलब कर लिया।
घूरेलाल का आरोप है कि मजिस्ट्रेट ने एसएसपी से बात करके नौकरी से निकलवाने की धमकी दी। इसके बाद टोपी, बेल्ट निकालकर वर्दी उतारने को कहा। डरे-सहमे घूरेलाल ने अपनी वर्दी उतार दी। अन्य पुलिसकर्मी और कोर्ट में मौजूद कर्मचारी कुछ न बोल सके। करीब 30 मिनट तक सिपाही उसी हालत में खड़ा रहा। किसी ने 11.59 बजे यूपी 100 पर कॉल करके घटना की सूचना दी। इसके बाद यूपी 100 की पीआरवी 46, चीता मोबाइल और एसओ मलपुरा महेश यादव पहुंचे। थोड़ी देर में सीओ अछनेरा नम्रता श्रीवास्तव भी पहुंचीं। तब तक मजिस्ट्रेट कोर्ट से उठ चुके थे। सीओ ने सिपाही को वर्दी पहनवाई।
सीओ ने एसएसपी बबलू कुमार को पूरे घटनाक्रम की जानकारी दी। इसके बाद जांच के लिए एसपी पश्चिम रवि कुमार पहुंचे। उन्होंने कहा कि जांच के बाद रिपोर्ट दी जाएगी। इसके बाद एसएसपी ने घूरे लाल और तीनों सिपाहियों को पुलिस लाइन बुलाकर उनका बयान दर्ज किया। एसएसपी बबलू कमार ने बताया कि न्यायिक अधिकारी द्वारा कोर्ट में पुलिस के ड्राइवर की वर्दी उतरवाए जाने का मामला सामने आया है। इसकी रिपोर्ट हाईकोर्ट के प्रशासनिक जज, रजिस्ट्रार जनरल और जिला जज को भेजी जा रही है।