इस्लामाबाद- आतंकियों को सरकारी संरक्षण के खिलाफ पाकिस्तान के भीतर धीरे-धीरे आवाज बुलंद होने लगी है। आतंकवाद को संरक्षण के खिलाफ कुछ सांसदों तथा मीडिया समूहों की आवाज को पाक के पूर्व विदेश मंत्री हिना रब्बानी खार ने भी बुलंद कर दिया है। रब्बानी ने पाकिस्तानी सेना पर आतंकवादियों को संरक्षण देने का आरोप लगाते हुए इस पर तत्काल लगाम लगाने की जरूरत बताई है।
एक पाकिस्तानी चैनल के सवालों का जवाब देते हुए पूर्व विदेशमंत्री हिना रब्बानी खान ने कहा कि किसी भी देश के अंदरूनी तथा पड़ोसियों के साथ संबंधों के मद्देनजर देंखे तो हम आत्मघात की तरफ बढ़ रहे हैं। उनके मुताबिक पाकिस्तान को दुनिया में तन्हा करने की अकेले भारत की कोशिशों से कुछ नहीं होता। इसमें हमारे दूसरे पड़ोसी अफगानिस्तान का समर्थन मिलना चाहिए था।
यदि अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी कह देते कि पाकिस्तान आतंकवाद से लडऩे में हमारी मदद कर रहा है, तो भारत अपनी कोशिशों में कभी कामयाब नहीं हो पाता है। लेकिन समस्या यह है कि हमारे दोनों पड़ोसी एक ही बात कह रहे हैं। हिना रब्बानी के अनुसार न तो विदेशों में बैठे पाकिस्तान के राजदूत नकारा हैं और न ही पाक विदेश विभाग कमजोर है।
हिना रब्बानी खार ने साफ-साफ चेतावनी दी है कि पाकिस्तान को आतंकवादियों को संरक्षण देने की अपनी गलती स्वीकार करनी चाहिए। यदि हम अपनी गलती स्वीकार नहीं करेंगे, तो फिर उसे दुरूस्त भी नहीं करेंगे। उनके अनुसार राजनीतिक दल हमेशा से आतंकियों को पालने का विरोध करती रही है। वहीं सैन्य शासकों ने हमेशा उनको संरक्षण दिया है। मुशर्रफ के शासन काल की ओर इशारा करते हुए उन्होंने कहा कि इस दौरान पाकिस्तान को आतंकवाद पर दोहरे मापदंड का तमगा हासिल हो गया। [एजेंसी]