संसद में गुरुवार को पेमेंट ऑफ ग्रेच्युटी अमेंडमेंट बिल (ग्रेच्युटी संशोधन विधेयक) पास कर दिया गया। इसके बाद अब 10 लाख की बजाय 20 लाख रुपए तक की ग्रेच्युटी टैक्स फ्री हो जाएगी।
1961 एक्ट के मुताबिक कर्मचारियों को दी जाने वाली अधिकतम ग्रेच्युटी की सीमा 10 लाख निर्धारित थी, लेकिन अब इस सीमा को हटा दिया गया है। इसमें कहा गया है कि इसकी सीमा को केंद्र सरकार की ओर से अधिसूचित किया जा सकता है।
बिल में संशोधन के बाद अब प्राइवेट सेक्टर में काम करने वाले कर्मचारियों को 20 लाख रुपए तक टैक्स फ्री ग्रेच्युटी मिला सकेगी। वहीं केंद्र सरकार के कर्मचारियों के लिए पहले ही 20 लाख रुपए तक टैक्स् फ्री ग्रैच्युटी का प्रावधान है।
संसद ने गुरुवार को उस अहम बिल को पास कर दिया जो कि सरकार को कर मुक्त ग्रेच्युटी की राशि तय करने का अधिकार देगा और साथ ही इस बिल की मदद से अब केंद्र सरकार मैटरनिटी लीव की अवधि तय करने के लिए कार्यकारी आदेश भी पारित कर पाएगी।
बिना चर्चा के ग्रेच्युटी (संशोधन) भुगतान बिल को मंजूरी
राज्य सभा, जो कि विभिन्न दलों के विरोध प्रदर्शनों के कारण पिछले 15 दिनों के दौरान किसी भी महत्वपूर्ण मुद्दे पर बात करने की दिशा में नाकाम रही है, उसने आज बिना चर्चा के ग्रेच्युटी (संशोधन) भुगतान बिल को मंजूरी दे दी। यह बिल श्रम मंत्री संतोष कुमार गंगवार की ओर से पेश किया गया जिसे ध्वनिमत से पारित कर दिया गया। इससे पहले पिछले हफ्ते इस बिल को लोकसभा में मंजूरी मिल चुकी है।
बिल से क्या होगा फायदा?
इस बिल की मदद से अब सरकार कर मुक्त ग्रेच्युटी की अधिकतम सीमा को बढ़ाकर 20 लाख रुपए कर पाएगी। अभी तक यह सीमा मात्र 10 लाख रुपए की है। ऐसा पेमेंट ऑफ ग्रेच्युटी एक्ट के तहत होगा। 7वें वेतन आयोग के कार्यान्वयन के बाद, केंद्र सरकार के कर्मचारियों के लिए ग्रेच्युटी राशि की अधिकतम सीमा दोगुनी होकर 20 लाख हो गई है। यह सरकार को महिला कर्मचारियों के लिए मातृत्व अवकाश की अवधि तय करने की अनुमति भी देता है। मौजूदा समय में यह अवधि सिर्फ 12 सप्ताह है। इस बिल की मदद से सरकार अब मैटरनिटी लीव (मातृत्व अवकाश) की अवधि को बढ़ाकर 26 हफ्ते कर सकती है।
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