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Saturday, November 2, 2024

लेडीज अंडरगार्मेंट्स के तीन सौ सालों के इतिहास की झलक

ORIGINAL Victoria and Albert museumलंदन के विक्टोरिया एंड अल्बर्ट म्यूज़ियम में इन दिनों एक ख़ास नुमाइश लगी हुई है ! इसमें पिछले तीन सौ सालों में महिलाओं के अंडरगारमेंट्स का इतिहास बताने की कोशिश की गई है ! इस नुमाइश में ब्रिटेन, फ्रांस, रूस और अमेरिका में अलग-अलग दौर के अंडरगारमेंट्स रखे गए हैं. और अलग-अलग दौर में अंतर्वस्त्रों का इतिहास भी लोगों को बताने की कोशिश की जा रही है !

इस नुमाइश में सन 1770 और 1790 के बीच ब्रिटेन में चलन में रही सिल्क की जामदानी रखी गई है ! इस जामदानी की मदद से औरतों के बदन की लचक को और बेहतर तरीक़े से पेश करने की कोशिश की जाती थी ! अठारहवीं सदी का ये चलन आज आपको भौंडा और बकवास भले लगे ! मगर उस दौर में रेशम की ये जामदानी पहनना, रईसी की निशानी मानी जाती थी !

इस नुमाइश की निगरानी की ज़िम्मेदारी एडविना एहर्मेन निभा रही हैं ! वो अंडरगारमेंट्स को लेकर बहुत दिलचस्प क़िस्से बताती हैं ! एडविना कहती हैं कि अठारहवीं सदी के महिलाओं के अंडरगारमेंट्स का मक़सद, महिलाओं की सेक्स अपील को बढ़ाना था ! इसलिए आराम को ज़्यादा तरजीह नहीं दी जाती थी. इसका इस्तेमाल, समाज के ऊंचे दर्जे के लोग ही करते थे !

इसी तरह, म्यूज़ियम में लगी नुमाइश में सत्रहवीं सदी की चोलियां भी रखी गई हैं ! एडविना बताती हैं कि बड़े घरों में उस वक़्त महिलाओं के बढ़िया क्वालिटी के लिनेन की बनी चोलियों को इस्तेमाल का चलन था ! इनके ऊपरी किनारों पर मलमल के घेरे लगाए जाते थे !

अंतर्वस्त्रों की इस प्रदर्शनी में उन्नीसवीं सदी में चलन में रही क्रिनोलाइन को भी रखा गया है ! ये जालीदार कपड़ा देखकर अभी तो आपको समझ में ही नहीं आएगा कि भला इसका क्या इस्तेमाल था ! असल में उस वक़्त चौड़े घेरों वाली स्कर्ट का चलन था ! इसके लिए महिलाएं ऐसे जालीदार पेटीकोट पहनती थीं जिससे स्कर्ट का घेरा खुलकर दिखे ! साथ ही उनकी ख़ूबसूरती भी !

इसलिए स्टील और लिनेन के मेल से बनाई जाती थी ये क्रिनोलाइन ! इनका चलन ब्रिटेन से लेकर जापान तक में था ! हालांकि औरतों की आज़ादी की तरफ़दारी करने वाली महिलाएं इसे एक बड़ी बंदिश मानती थीं ! क्रिनोलाइन का पुरज़ोर विरोध किया गया. इसे फैशन की दुनिया का सबसे बड़ा हादसा माना जाता है !

आज की महिलाओं की लांजरी एकदम बदल चुकी है ! मगर, एक चीज़ जो तब भी हिट थी और आज भी है, वो है कॉर्सेट. फ़ैशन के तमाम दौर पिछली तीन सदियों में आए और गए ! मगर अठारवीं सदी से इक्कीसवीं सदी तक आते-आते भी कॉर्सेट में लोगों की दिलचस्पी कभी कम नहीं हुई !

विक्टोरिया एंड अलबर्ट म्यूज़ियम में 1890 में बनी एक कॉर्सेट को नुमाइश के लिए रखा गया है ! सिल्क की बनी इस ग़ुलाबी कॉर्सेट के बारे में कहा जाता है कि शायद ये ब्रिटेन में बनी थी ! एडविना कहती हैं कि कॉर्सेट को इसलिए भी ख़ूब पसंद किया गया क्योंकि ये कमर को पतली और हिप्स के उतार चढ़ाव को बेहतर तरीक़े से दिखाती थी !

प्रदर्शनी में साल 1900 में बने बेहद सेक्सी जुराबों को भी रखा गया है ! कहा जाता है कि ये जुराबें राजकुमारी एलेक्ज़ेंड्रिया ने पहनी थीं ! वो बाद में डेनमार्क की महारानी बनीं ! उनके बारे में कहा जाता था कि उनके कपड़े नए फैशन को जन्म देते थे ! वो बहुत फ़ैशनेबल मानी जाती थीं !

पहले कपड़ों के भीतर से जुराबों का झांकना बुरा माना जाता था ! मगर एडविना कहती हैं कि राजकुमारी एलेक्ज़ेंड्रिया ने ऐसी ख़ूबसूरत जुराबें पहनकर इस पाबंदी को हमेशा के लिए ख़त्म कर दिया !

आज की ब्रा के चलन में आने से पहले इसी तरह की चोली का चलन आया था, बीसवीं सदी की शुरुआत में ! सिल्क और कॉटन की बनी ये चोलियां, ज़्यादा आरामदेह और इस्तेमाल में आसान मानी गईं ! यही आगे चलकर ब्रा के तौर पर दुनिया के सामने आईं !

नुमाइश में कुछ नेकरें भी रखी गई हैं ! इनमें से एक पिछली सदी की शुरुआती दौर की है ! प्रदर्शनी में एक ब्रिटिश राजनैतिक की बीवी की इस्तेमाल की गई नेकर भी रखी गई है ! इन्हें फ्रेंच निक्कर कहा जाता था ! लेडी बेटी नाम की इस महिला ने अपनी डायरी में लिखा था कि इनकी मदद से उन्होंने बग़दाद की महिलाओं से राब्ता बनाया था ! क्योंकि, दोनों ही एक दूसरे की ज़ुबान नहीं समझती थीं !

1940 के आते आते नायलॉन के इस्तेमाल से महिलाओं के अंडरगारमेंट्स का रूप-रंग दोनों ही बदल गया ! ये इस्तेमाल में आसान थे ! धोने में आसान थे ! मॉडर्न लगते थे ! एडविना कहती हैं कि नायलॉन के बने अंडरगारमेंट्स को महिलाओं ने हाथों-हाथ लिया और देखते देखते ये दुनिया भर में छा गए !

एडविना बताती हैं कि साठ के दशक में पश्चिमी देशों में कमरबंद पहनने का चलन भी ख़ूब रहा ! इसकी वजह साफ़ थी, ये औरतों की उम्र छुपा लेता था और इसके इस्तेमाल से महिलाएं आज़ाद भी महसूस करती थीं. लाइक्रा के बने ये कमरबंद ख़ूब चले !

बीसवीं सदी के सत्तर के दशक के आते आते दुनिया भर में महिलाओं की मुक्ति के आंदोलन तेज़ हो चुके थे ! इस आंदोलन की अगुवा महिलाओं को ब्रा भी पुरुषवादी समाज की प्रतीक लगती थीं ! पश्चिमी देशों में कई जगह ब्रा जलाने की मुहिम तक चलाई गई थी. हालांकि आम महिलाओं ने इससे तौबा नहीं की !

हां, इनसे नया आर्ट ज़रूर चलन में आ गया ! जैसे इस प्रदर्शनी में रखा ब्रा का ऐसा रूप है जिसे देखकर आप यक़ीन ही नहीं करेंगे कि ब्रा को इस शेप में भी देखा जा सकता है ! मगर हेलेन न्यूमैन नाम की एक आर्टिस्ट ने कांसे की बनी ब्रा को ठोक-पीटकर एकदम नया, आर्टिस्टिक लुक दे दिया है !

बहरहाल, विक्टोरिया एंड अलबर्ट म्यूज़ियम में लगी इस नुमाइश में आप महिलाओं के अंतर्वस्त्रों के तीन सौ सालों के इतिहास की झलक देख सकते हैं ! इन्हें तब भी सेक्स अपील से जोड़कर देखा जाता था और आज भी ! हां, अब आराम को भी बराबर की अहमियत दी जाती है !

[BBC]

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