दुनिया की सबसे शक्तिशाली अमेरिकी सेना अपनी बादशाहत को कायम रखने के लिए अक्सर नए-नए हथियार बनाती रहती है। अब अमेरिकी सेना एक ऐसा हाईटेक चश्मा बना रही है जिससे उसके इन्फैंट्री के सैनिक सुरक्षित रूप से बैठे हुए बाहर की दुनिया को आसानी से देख सकेंगे। इस नए उपकरण के अमेरिकी सेना में शामिल होते ही सैनिक घटनास्थल की वास्तविक परिस्थितियों को काफी कम समय में अच्छे से समझ सकेंगे। अक्सर युद्ध के मैदान में जा रहे सैनिक अपने बख्तरबंद के अंदर लगे छोटी-छोटी खिड़कियों पर ही बाहरी हलचल को पाने के लिए निर्भर होते हैं। लेकिन, इस सिस्टम का उपयोग करने वाला हर सैनिक आसानी से बाहरी दुनिया को देख सकता है। इस सिस्टम को इंट्रीग्रेटेड विजुअल ऑग्मेंटेशन सिस्टम (आईवीएएस) नाम दिया गया है।
इसे शहरी क्षेत्र में उग्रवाद, आतंकवाद जैसे क्लोज कॉम्बेट ऑपरेशन करने वाली स्पेशल फोर्स के अलावा टैंकों के अंदर और उनके साथ बाहर यात्रा करने वाले जवानों को दिया जाएगा। अमेरिकी सेना शुरुआती ऑर्डर के रूप में इस सिस्टम के कम से कम 40 हजार पीस का ऑर्डर देने की योजना बना रही है। इन इंट्रीग्रेटेड विजुअल ऑग्मेंटेशन सिस्टम के जरिए सैनिक घुप अंघेरे, घरों और ऑपरेशन साइट के कोनों में तो देख सकेंगे ही साथ में इनके लेंस पर डिजिटल मैप दूसरे डेटा भी प्रॉजक्ट किए जा सकते हैं।
दीवार के पार आसानी से देख सकेंगे सैनिक
चूंकि, ये चश्मे बख्तरबंद वाहनों के बाहर लगे ऑम्निडायरेक्शनल कैमरों से फीड लेते हैं। इसलिए, ब्रेडली या स्ट्राइकर इन्फैंट्री वाहन में चलने वाले छह सैनिकों का दस्ता दीवार के पार भी देख सकने में सक्षम होगा। इसस सैनिकों के अंदर घटनास्थल की समझ तेजी से बढ़ेगी। जिसके बार सही निर्णय और घातक हमले के जरिए दुश्मनों को आसानी से खत्म किया जा सकेगा। अमेरिकी सेना के 1-2 स्ट्राइकर ब्रिगेड कॉम्बैट टीम के सार्जेंट फिलिप बार्टेल ने बताया कि इस चश्मे को पहनने के बाद कोई भी सैनिक दुश्मनों के इलाके में गाड़ी या बख्तरबंद वाहन के बाहर खतरनाक स्थिति में भी लटका नहीं रहेगा। हमें अंदर बैठे-बैठे ही बाहर की हर हरकत और परिस्थिति का पता चल जाएगा। इससे हमारी लड़ाई करने की क्षमता कई गुना बढ़ जाएगी। इससे गाड़ी के अंदर बैठा कमांडर अपने साइट को चारों तरफ घुमाकर बख्तरबंद वाहनों की सुरक्षा से बाहर निकलने बिना चारों तरफ की स्थिति के बारे में रियल टाइम में अपडेट पा सकता है। इस तरह की जानकारी से युद्ध या किसी मुठभेड़ के दौरान होने वाले नुकसान या सैनिकों के हताहत होने की संख्या को कम करेगा।
फाइटर पायलट के हेड-अप डिस्प्ले के जैसे काम करेगा यह चश्मा
डिजाइन ब्यूरो ने IVAS चश्मे को किसी फाइटर पायलट के हेड-अप डिस्प्ले जैसे समान तरीके से कार्य करने के के लिए बनाया है। फाइटर पायलट अपने हेड-अप डिस्प्ले की सहायता से विमान का सभी डेटा अपने हेलमेट के स्क्रीन पर ही प्राप्त करता है। जिसके जरिए वह कम समय में न केवल विमान को उड़ाने के संबंधित जानकारियां पा जाता है, बल्कि आसानी से दुश्मनों को निशाना भी बना सकता है। ठीक वैसे ही आईवीएएस के ये चश्में भी काम करने वाले हैं। जिसमें इस पहनने वाले सैनिक को उस इलाके के मैप्स, वीडियो और नाइट विजन सहित सभी जरूरी जानकारी हेलमेट के स्क्रीन पर ही मिल जाएगी। सैनिकों को युद्धक्षेत्र में काम करने के लिए बहुत सारे डेटा की जरुरत होती है, हालांकि अपने साजोसामान, गोला-बारूद और अन्य जरूरी उपकरणों के कारण वे डेटा को सीमित मात्रा में ही रखते हैं। अब इस नए हेडअप डिस्प्ले की सहायता से वे युद्धक्षेत्र में आधुनिक, ज्यादा सटीक और जल्दी ही कई तरह के डेटा का एक्सेस कर पाएंगे। युद्ध के क्षेत्र में सैनिक अपने पॉकेट में रखे प्लास्टिक लेमिनेटेड मैप की जगह डिजिटल मैप का इस्तेमाल कर प्रभावी कार्रवाई को अंजाम दे सकते हैं।
राइफल के स्कोप और माइक्रो ड्रोन से जुड़ सकता है चश्मा
बड़ी बात यह है कि अगर दुश्मन आंखों के सामने हो तो ये उससे नजर हटाए बिना किसी भी डेटा को एक्सेस कर सकते हैं। यह चश्मा अपने सैनिक को चारों तरफ की स्थिति को बताने के लिए राइफल-माउंटेड थर्मल इमेजिंग नाइट विजन स्कोप का भी उपयोग कर सकता है। यह स्कोप राइफल के ऊपर लगा होता है, जिसकी मदद से सैनिक अपना निशाना बेहतर बनाता है। इस तकनीकी से कोई भी सैनिक युद्ध के क्षेत्र में एक सुरक्षित आड़ में अपने राइफल को चारों तरफ घुमाकर वहां की परिस्थिति की आसानी से निगरानी कर सकता है। इसके लिए उसे अपना कवर छोड़ने की जरुरत भी नहीं पड़ती है। इससे सैनिक को उस समय की स्थिति की जानकारी भी मिल जाती है और वह दुश्मन के निशाने से भी बचा रह सकता है। इसके अलावा इस चश्में को माइक्रो ड्रोन कैमरे से भी जोड़ा जा सकता है। जिसे युद्धक्षेत्र में उड़ाकर सैनिक वहां की स्थिति के बारे में बिना पहुंचे ही जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
जंग के मैदान में अमेरिकी सेना की बढ़ेगी ताकत
आईवीएएस सिस्टम पर 2020 की एक रिपोर्ट बताती है कि सैनिक इस नई तकनीक के साथ कैसे ट्रेंड होते हैं। अमेरिकी सेना के ऑपरेशनल टेस्ट एंड एनवायरनमेंट डॉयरेक्टर के अनुसार, इस चश्में को लगाए हुए सैनिक युद्ध के दौरान उस क्षेत्र की हर एक जानकारी को तुरंत पा सकते हैं। मैकेनाइज्ड इंफ्रैंट्री, कैवेलरी और इंजिनियर्स सभी युद्ध के मैदान में आर्मर्ड वीकल के जरिए जाते हैं। वे जानते हैं कि उन्हें कहां ले जाया जा रहा है, उन्हें यह भी पता होता है कि उतरने के बाद उन्हें करना क्या है, लेकिन ये सभी सैनिक अक्सर एक स्क्रीन या वीकल को चलाने वाले ड्राइवर पर भरोसा करते हैं ताकि उन्हें पता चल सके कि वे वास्तविक समय में कहां हैं। जब वीकल युद्धक्षेत्र में रुकता है तो रैंप के खुलते ही सैनिक बिना आसपास के बारे में जाने की दौड़कर किसी सुरक्षित ठिकाने की ओर जाते हैं। वहां से वे निर्धारित करते हैं कि दुश्मन कहां है और उसके खिलाफ क्या रणनीति अपनाई जानी चाहिए। लेकिन, इस चश्मे की बदौलत अब गाड़ी में बैठे हुए सैनिक आसानी से स्टील और लोहे के आर्मर के बाहर भी देख सकेंगे। जिससे उन्हें उस समय की परिस्थिति का बेहतर अंदाजा होगा।