गृहमंत्री अमित शाह ने तीन तलाक को लेकर विपक्ष पर हमला किया। अमित शाह ने रविवार को दिल्ली में कहा कि वोट बैंक के लिए तीन तलाक बिल का विरोध किया गया।
शाह ने कहा कि तीन तलाक बिल पास होने से मुस्लिम महिलाओं को हक मिला। तीन तलाक बिल का तुष्टिकरण के लिए विरोध हुआ।
अमित शाह ने आगे कहा कि कुछ पार्टियों को वोट बैंक की चिंता थी इसीलिए उन्होंने इसका विरोध किया।
कुछ दलों ने संसद में बिल का विरोध किया लेकिन वो जानते थे कि यह एक अन्याय है जिसे समाप्त करने की आवश्यकता है फिर भी उनके पास ऐसा करने का साहस नहीं था।
कांग्रेस पर हमला करते हुए अमित शाह ने कहा कि 23 अप्रैल 1985 को, सुप्रीम कोर्ट ने शाह बानो के पक्ष में आदेश दिया था, अदालत ने तीन तालक को समाप्त करते हुए कहा था कि पत्नी को खर्चा देना अनिवार्य है और तलाक के लिए एक कारण दिया जाना चाहिए।
लेकिन, राजीव गांधी ने रूढ़िवादी मुसलमानों के दबाव में और वोट बैंक के लिए अदालत के फैसले को पलट दिया था।
शाह ने कहा, आज भी, कांग्रेस को कोई शर्म नहीं है, वो कहते हैं कि वो तीन तलाक के पक्ष में हैं और इसे बना रहना चाहिए। क्यों? उनके पास कोई जवाब नहीं है।
उन्होंने अपने स्टैंड के लिए एक भी औचित्य नहीं दिया और केवल विरोध दर्ज करने के लिए तर्क दिया ताकि उनका वोट बैंक बरकरार रहे।
अमित शाह ने आगे कहा कि मैं यह स्पष्ट करना चाहूंगा कि तीन तालक (बिल) केवल मुस्लिम समुदाय के हित के लिए है, किसी और चीज के लिए नहीं। हिंदू, ईसाई और जैन इससे लाभान्वित नहीं होने जा रहे हैं क्योंकि उन्हें इसका खामियाजा कभी नहीं भुगतना पड़ा।
गृहमंत्री ने आगे कहा, वोट बैंक की राजनीति ने राष्ट्र को कई तरीकों से नुकसान पहुंचाया है। तीन तालक एक ऐसा उदाहरण है, वोट बैंक की राजनीति के लिए इस बुरी प्रथा को इतने सालों तक चलने दिया गया।