भोपाल : मध्य प्रदेश के दर्जनों राजनेताओं और अन्य हस्तियों को अपने जाल में फंसाकर उनके आपत्तिजनक वीडियो तैयार करने के चर्चित हनी ट्रैप मामले में स्थानीय अदालत ने सभी पांचों महिला आरोपियों को मंगलवार को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया।
कोर्ट ने पुलिस रिमांड बढ़ाने की मांग खारिज कर दी। इधर, महिला आरोपियों के वकीलों का कहना है पुलिस के पास कुछ नही है। पुलिस अंधेरे में तीर चला रही है। उनका कहना है कि पुलिस के पास कुछ भी नहीं है। पुलिस केवल हाथ-पैर मार रही है। पूरा मामला टांय-टांय फिस्स हो गया है। कोर्ट ने सभी पांच महिलाओं को जेल भेज दिया है।
पुलिस हिरासत की अवधि पूरी होने के बाद आरती दयाल, मोनिका यादव, श्वेता विजय जैन, श्वेता स्वप्निल जैन और बरखा सोनी को प्रथम श्रेणी न्यायिक मजिस्ट्रेट (जेएमएफसी) मनीष भट्ट के समक्ष पेश किया गया। अदालत ने पांचों आरोपियों को 14 अक्टूबर तक के लिए न्यायिक हिरासत में भेजने का आदेश दिया।
आरोपियों में शामिल श्वेता विजय जैन के वकील धर्मेन्द्र गुर्जर ने संवाददाताओं से पुलिस पर आरोप लगाया कि पूछताछ के दौरान उन्होंने उनकी मुवक्किल के साथ मारपीट की और उसे इस कदर मानसिक रूप से परेशान किया कि उसने शौचालय में कांच से अपनी कलाई काट ली।
गुर्जर ने दावा किया कि तथाकथित हनी ट्रैप मामले में पुलिस के पास कोई ठोस सबूत नहीं है। दरअसल, यह मामला पुलिस के गले की हड्डी बन चुका है।
इस बीच, जिला अभियोजन पदाधिकारी मोहम्मद अकरम शेख ने बचाव पक्ष के वकील के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि पुलिस हिरासत में किसी भी आरोपी को शारीरिक या मानसिक रूप से प्रताड़ित नहीं किया गया।
उन्होंने बताया कि एक स्थानीय अस्पताल में पांचों महिला आरोपियों की मेडिकल जांच के बाद ही उन्हें अदालत में पेश किया गया था।
19 सितंबर को हुआ था मामले का खुलासा
मालूम हो कि इंदौर नगर निगम के एक आला अधिकारी की शिकायत पर पुलिस ने 19 सितंबर को हनी ट्रैप गिरोह का औपचारिक खुलासा किया था। गिरोह की पांच महिलाओं और उनके चालक को भोपाल और इंदौर से गिरफ्तार किया गया था।
जांचकर्ताओं को संदेह है कि इस गिरोह ने महिलाओं का इस्तेमाल कर राजनेताओं और नौकरशाहों समेत कई रसूखदारों को जाल में फंसाया और इन लोगों से धन उगाही के अलावा अपनी अलग-अलग अनुचित मांगें जबरन पूरी कराई।