खंडवा- हाउसिंग बोर्ड ने वत्सला विहार काॅलोनी के भवनों में दूसरी बार वृद्धि करके मकान खरीदने वाले पंजीयनकर्ताओं पर कुठाराघात किया। हाउसिंग बोर्ड की इस एक तरफा कार्रवाही से परेषान होकर सभी पंजीयन कर्ता मूल्यवृद्धि कम करने के लिए हाउसिंग बोर्ड आयुक्त से भोपाल मे जाकर मिले और उन्हें मय सबूतों के आवेदन दिया है।
खंडवा हाउसिंग बोर्ड कार्यालय नें बोर्ड के 219 वें सम्मेलन में पारित प्रस्ताव को नजर अंदाज करते हुए एक तरफा मूल्यवृद्धि की जबकि पंजीयन वर्ष के समय ही भूखंड का मूल्य फ्रीज हो जाना चाहिए था। वत्सला विहार काॅलोनी में पार्क मे सेप्टिक टंैक बने हुए है उसे बैटर लोकेषन बताते हुए पाॅच प्रतिषत और एक मुख्य मार्ग बना ही नही उसके सामने मकान वालों से दस प्रतिषत अतिरिक्त राषि वासूली जा रही है। वत्सला विहार काॅलोनी को नगर निगम में हस्तांतरित करने के बदले जो 85 लाख रूपया नगर निगम को दिया उसे भी नये मकान खरीदने वालों पर डाल दिया । आयुक्त हाउसिंग बोर्ड भोपाल नें एक महिने के अंदर इस पूरे प्रकरण का निराकण करने का भरोसा दिलाया है। हाउसिंग बोर्ड की इस एक तरफा मूल्यवृद्धि से परेषान होकर आधे से ज्यादा पंजीयन कर्ताओं नें पैसा वापस लेने का मन बना लिया है।
हाउसिंग बोर्ड नें सन 2012 में वत्सला विहार काॅलोनी में एच.आई.जी., एम.आई जी, और एम.आई. डीलक्स श्रैणी के 71 मकानों का विज्ञापन निकाला था। उस समय भवनों की जो कीमत निर्धारित की गई थी उससें आज लगभग 60 प्रतिषत से ज्यादा बढोतरी हो गई है। इतनी ज्यादा कीमत बढने से लोगो को भारी आर्थिक मुसीबतो का सामना करना पड रहा है।
जो एचआईजी मकान पहले 24 लाख रूपय मे बुक कराये थे वह आज लगभग 37 लाख के हो गए। एमआई डीलक्स 15.50 लाख से बढकर लगभग 23 लाख हो गए। हाउसिंग बोर्ड कार्यालय ने पहले तो 2 वर्ष देरी से निर्माण प्रारंभ किया उसके बावजूद दो बार मूल्यवृद्धि कर दी। पहली मूल्यवृद्धि 2013 मे की तब पंजीयनकर्ता चुप रहे लेकिन 2015 मे मकान आवंटन की बारी आई तो फिर मूल्यवृद्धि कर दी गई। इसे देख सभी पंजीयनकर्ता भडक गए और भोपाल जाकर आयुक्त से मिले। मुख्यालय के निर्णय को नजर अंदाज किया।
दिनांक 02 दिसम्बर 2011 में बोर्ड की मिटींग हुई थी जिसके संकल्प कम्रंक 44504-13/219/12/2011 यह निर्णय हुआ था कि जिस वित्तीय वर्ष मे हाउसिंग बोर्ड का भवन पंजीयन किया जाएगा। उसी वित्तीय वर्ष की कलेक्टर गाईड लाईन मूल्य से भूखंड का मूल्य निर्धारन किया जाएगा। और इस निर्णय का प्रकाषन हाउसिंग बोर्ड के विज्ञापन मे भी किया जाएगा। लेकिन खंडवा कार्यालय ने बोर्ड के उक्त निर्णय को अनदेखा किया साथ ही योजना के विज्ञापन में इस बात का उल्लेख करने के बजाए उलटा यह प्रकाषित किया की भवन का मूल्य निर्धारन आवंटन वर्ष की नियत दरो पर किया जाएगा। इस आदेष को खंडवा कार्यालय के द्वारा दबा दिया गया। जब सभी भवन पंजीयनकर्ता भोपाल पहुंचे और आयुक्त हाउसिंग बोर्ड से इस बारे में चर्चा की वह भी हैरान रह गए। तीन साल की देरी के कारण जो भूखंड का मूल्य बढ़ा उसका ठीकरा हाउसिंग बोर्ड खंडवा ने मकान खरीदने वालो पर ड़ाल दिया।
पार्क मे बने है सेप्टिक टैंक, नक्षे बेटर लोकेशन
वत्सला विहार काॅलोनी में 17 एमआईजी डीलक्स भवनों का पंजीयन हुआ था। इन भवनों के सामने पेपर पर पार्क बना हुआ है। लेकिन हकीकत में इस पार्क मे सेप्टिक टैंक बने हुए है। जो कि पूर्व मे निर्मित भवनों के समय बने हुए थे। खंडवा कार्यालय ने पार्क के सामने स्थित होन कारण इनसे भूखंड राषि का पाॅच प्रतिषत अतिरिक्त पैसा मागा है। जबकि मेटेनेस नही होने कारण इन सेप्टिक टैंकों से बदबू चारो तरफ फैलती है।
रोड और नालियंा नहीं बनी और मकान बेचने की तैयारी
वत्सला विहार के एचआईजी 17 भवनों के सामने सर्विस रोड नही बने है और नालियां भी नहीं बनाई गई। हाउसिंग बोर्ड का कहना है कि यह दोनो काम नगर निगम करवाएगा। जबकि खरीदारों का कहना है कि जब हाउसिंग बोर्ड पूरा पैंसा ले रहा है तो काम भी पूरा करवाए उसके बाद ही रजिस्ट्री करना चाहिए लेकिन हाउसिंग बोर्ड के अधिकारी मकान आवंटन की तैयारी मे है। जो कि वैधानिक नहीं है।
मुख्य मार्ग के नाम पर दस प्रतिषत अतिरिक्त
वत्सला विहार काॅलोनी मे एचआईजी 17 भवनों में 1-9 भवनों के सामने खुली जगह है जिसे मुख्य मार्ग के नाम पर छोडा गया है। यह मुख्य मार्ग लगभग 300 मीटर का है जिस पर दोनो तरफ से अतिक्रमण है। इस मार्ग पर पैदल भी चलना मुष्किल है। और यह मार्ग किसी भी रास्ता से जुडा हुआ नही है। इन रहवासियों के लिए इसकी कोई उपयोगिता नही है बावजूद इसके हाउसिंग बोर्ड खंडवा कार्यालय के द्वारा भूखंड मूल्य की दस प्रतिषत अतिरिक्त राषि वासूली जा रही है।
नगर निगम को दिया गया पैसा वसूला जा रहा है।
वत्सला विहार काॅलोनी अक्टूबर 2014 में नगर निगम को हंस्तारित की गई । इस काॅलोनी के पार्ट अ और ब दोनो के बदले लगभग 85 लाख रूपये से ज्यादा की राषि नगर निगम को दी गई । हाउसिंग बोर्ड काॅलोनी में पहले से ही लगभग 200 मकान बने हुए है। हाउसिंग बोर्ड खंडवा कार्यालय ने नगर निगम को दी गई हंस्तातरण की राषि को 71 नये खरीदारों के उपर डाल दिया। इस वजह से पूरी काॅलोनी का बोझ नये खरीदारों के उपर आने से मकानों की बेहतासा कीमत बढ गई ।
बाजार से ज्यादा निर्माण लागत
हाउसिंग बोर्ड ने जो मकान बनाए है उन मकानों की निर्माण लागत मे इतने घटक जोड दिए है कि उसकी लागत लगभग 1500 सौ रूपये से ज्यादा आ रही है। जबकि खंडवा मे निजी ठेकेदार इसी क्वालिटी का निर्माण लगभग 900 रूपये तक पडता है। हाउसिंग बोर्ड कार्यालय ने अपने आवंटन आदेष में यह भी स्पष्ट नही किया की मूल्य निर्माण लागत में कौन-कौन से घटक जोडे गए।
जर्जर सडकेें और टूटी फूटी ड्रेनेज लाईन
हाउसिंग बोर्ड नें लगभग 15 साल पहले इस काॅलोनी का निर्माण कार्य प्रारंभ किया था। उसी समय जो रोड और ड्रेनेज लाईन बनी थी उसका मेंटेनेस नही होने के कारण हालात खराब है हाउसिंग बोर्ड ने कभी भी रिपेंयरिंग कार्य नही किया । अब नगर निगम को सौंपने की बात कहकर अपना पल्ला झाड रहे है । यहां रहने वाले रहवासी बारिष के समय में जल भराव के कारण पहले से ही मुसीबत झेलते आ रहे है ।
उपरोक्त सभी बाते भोपाल जाकर नयें खरीदारों ने आयुक्त के सामने रखी है। इन खरीदारों ने साफ कहा कि भूखंड मूल्य की गणना पंजीयन वर्ष की कलेक्टर गाईड लाईन के आधार पर की जाए जिससे एक तरफा मूल्य वृद्धि नियंत्रित की जा सके और प्रारंभिक मूल्य पर ही भवन दिया जाए।