नई दिल्ली : इस साल की पहली मौद्रिक समीक्षा में रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) ने रेपो रेट में कटौती करके लोगों को राहत दी है। इसे 25 बेसिस पॉइंट घटाकर 6.5% से 6.25 कर दिया गया है।
वहीं, नई मौद्रिक नीति के तहत रिवर्स रेपो रेट घटकर 6 प्रतिशत जबकि बैंक रेट 6.50 प्रतिशत पर आ गया है। इस कटौती से आम आदमी को भी फायदा होनेवाला है। रेपो रेट में कटौती के बाद नया लोन सस्ता होगा, लोन का टर्म कम हो सकता है जबकि कुछ असर जमा रकम के ब्याज पर भी पड़ेगा।
रेपो रेट क्या है?
बैंकों को अपने दैनिक कामकाज के लिए प्राय: ऐसी बड़ी रकम की जरूरत होती है जिनकी मियाद एक दिन से ज्यादा नहीं होती। इसके लिए बैंक जो विकल्प अपनाते हैं, उनमें सबसे सामान्य है केंद्रीय बैंक (भारत में रिजर्व बैंक) से रात भर के लिए (ओवरनाइट) कर्ज लेना। इस कर्ज पर रिजर्व बैंक को उन्हें जो ब्याज देना पड़ता है, उसे ही रेपो दर कहते हैं।
रेपो रेट का यह असर
रेपो रेट कम होने से बैंकों के लिए रिजर्व बैंक से कर्ज लेना सस्ता हो जाता है और इसलिए बैंक ब्याज दरों में कमी करते हैं, ताकि ज्यादा से ज्यादा रकम कर्ज के तौर पर दी जा सके।
रेपो दर में कमी का सीधा मतलब यह होता है कि बैंकों के लिए रिजर्व बैंक से रात भर के लिए कर्ज लेना सस्ता हो जाएगा। साफ है कि बैंक दूसरों को कर्ज देने के लिए जो ब्याज दर तय करते हैं, वह भी उन्हें घटाना होगा।
बदलेगा MCLR, ग्राहकों को फायदा
ग्राहकों को नीतिगत ब्याज दर में कटौती का फायदा देने के लिए बैंकों में कर्ज देने का बीपीएलआर की जगह एमसीएलआर सिस्टम लागू किया है। मार्जिनल कॉस्ट पर आधारित लेडिंग रेट यानी एमसीएलआर सिस्टम 1 अप्रैल 2016 से लागू है।
आरबीआई गवर्नर रघुराम राजन ने एमसीएलआर की वकालत करते हुए कहा था कि बैंक बेस रेट के तहत ग्राहकों को नीतिगत ब्याज दर में कटौती का फायदा उतना नहीं देते जितना जितना देना चाहिए।
कैसे मिलेगा फायदा?
बेस रेट और बीपीएलआर के तहत बैंक कर्ज की न्यूनतम दर तय करने के लिए अपना अपना तरीका इस्तेमाल करते थे, लेकिन एमसीएलआर सिस्टम के तहत सभी बैंकों को एक ही फार्म्युले के आधार पर लेडिंग रेट तय करनी होती है। ऐसे में रेपो रेट घटने के कारण नया लोन सस्ता हो जाएगा।
वैसे पहले ही लोन ले चुके लोगों की ईएमआई या रीपेमेंट पीरियड में कटौती की संभावना होती है, लेकिन रेट कट का फायदा उन्हें जरूर मिलता है जो बैंक से नया लोन लेने की सोच रहे हैं। अब उन्हें कम ब्याज दर पर बैंक से कर्ज मिल सकेगा।
आपने भी ले रखा है लोन तो
अगर आपका किसी बैंक में पहले से लोन चल रहा है तो भी आपके पास रेपो रेट में कटौती का फायदा उठाने के रास्ते खुले हैं। इसके लिए आप किसी दूसरे बैंक में अपना लोन ट्रांसफर करवा सकते हैं।
हालांकि, ऐसा करने से पहले पहले नए बैंक की ब्याज दर और लोन ट्रांसफर फी का पता कर लें क्योंकि हो सकता है कि लोन ट्रांसफर चार्ज पर ही इतना हो जिससे आपके पैसे बचाने का प्लान पर पानी फिर जाए।
इसके अलावा आप अपने बैंक से संशोधित एमसीएलआर के मुताबिक लोन रीपेमेंट की व्यवस्था करने की मांग कर सकते हैं। ऐसा हुआ तो आपका लोन पीरियड कम हो सकता है।