16.1 C
Indore
Monday, December 23, 2024

मुझे भी सम्मान की दरकार, क्या सम्भव है?

Star award against gradient background

पाठकों मैं वादा करता हूँ कि यदि मुझे कोई सम्मान मिला तो मैं उसे कभी भी किसी भी परिस्थिति में लौटाने की नहीं सोचूँगा। एक बात और बता दूँ वह यह कि मेरी कोई पहुँच नहीं और न ही मैंने राजनीति के शिखर पर बैठे लोगों, माननीयों का नवनीत लेपन ही किया है। मुझे चाटुकारिता से नफरत रही है, शायद इन्हीं सब कारणों से सम्मान पाना तो दूर मैं सरकार व संगठनों की निगाह में भी नहीं आ सका।

आज मुफलिसी का यह आलम है कि मैं दो रोटी और तन ढकने के लिए वस्त्र का मोहताज हूँ। यह इसलिए कह रहा हूँ यदि ऐसा न होता तो मेरे परिवारीजन यह न कहते कि आज जो जिन्दा हो वह हमारी दी गई रोटी का ही नतीजा है, वरना तुम्हारे जैसे लोग परलोक गमन कर गये होते। अपनों के ये शब्द मेरे हृदय में तीक्ष्ण बाण की तरह लगते हैं और मैं मानसिक रूप से अपसेट हो जाता हूँ। किससे शेयर करूँ, हमउम्र, हमपेशा भी सम्भवतः कुछ इन्हीं परिस्थितियों से गुजर रहे हैं। मैं उन्हें अपनी वेदना बता कर और दुःखी नहीं करना चाहता। 

बीते दिवस एक समाचार पढ़ा-सुना था कि उत्तर प्रदेश सूबे के पुलिस महकमें के एक वरिष्ठ आई.पी.एस. अधिकारी अमिताभ ठाकुर ने मुख्यमंत्री अलिखेश यादव से यशभारती अवार्ड की मांग की है, सोचा क्यों न मैं भी ठाकुर की तरह कुछ डिमाण्ड करूँ। यद्यपि मैंने किसी भी सम्मान के लिए मुख्यमंत्री एवं सरकारी/गैरसरकारी संगठनों से यह मांग नहीं की है। अपनी इच्छा मैं सिर्फ आप पाठकों के समक्ष रख रहा हूँ, यदि आपकी राय व सम्मान प्राप्ति में सहयोग मिला तो मुझे अतीव प्रसन्नता होगी। इस समय मैं कुछ भी नहीं कर रहा हूँ। कहने मात्र के लिए रीता द्वारा संचालित/सम्पादित वेब पोर्टल रेनबोन्यूज डॉट इन में एक संरक्षक के रूप में मेरा नाम अंकित है, जिससे मुझे अपार आत्मतुष्टि मिल रही है, और मैं अपने आप को 40 वर्ष पूर्व का एक युवा, तेज-तर्रार, डायनमिक पत्रकार महसूस करते हुए शेष जीवन जी रहा हूँ।

कभी-कभार जब ऐसी परिस्थितियाँ उत्पन्न होती हैं जो मुझे मेरे ईमानदार होने का कुफल दिलाती हैं तब लोगों में रोने और अपनी अन्तस की पीड़ा को साझा करने के बजाए मैं लिखना शुरू कर देता हूँ। मैंने अपनी यह इच्छा वर्षों पूर्व लिखा था जिसका प्रकाशन लगभग सभी सम्पादकों ने अपने-अपने प्रकाशनों में किया था। मुझे तत्समय बहुत खुशी हुई थी, लेकिन मैं और मेरा नाम सम्मान प्राप्तकर्ताओं की सूची में शामिल नहीं हो सका। आज जब घर के कमाऊ सदस्यों ने ताना मारते हुए यह कहा कि तखत पर लेटे-लेटे मौत की प्रतीक्षा कर रहे हो वह इसलिए नहीं आ रही है क्योंकि तुम हमारे द्वारा दिए गए रोटी के टुकड़े खा रहे हो।

मुझे उनके शब्दबाणों का कोई असर नहीं हुआ क्योंकि इस तरह की बातें मैं कई वर्षो से सुनता चला आ रहा हूँ। रिश्तों की लाज न होती तो शायद मैं अब तक कथित अपनों द्वारा किए जा रहे अपने प्रति व्यवहार का प्रचार-प्रसार कर चुका होता, लेकिन चाहकर भी ऐसा नहीं कर सका, क्योंकि मुझे लगा कि सभी लोग उन्हीं का साथ देंगे, समर्थन करेंगे, जिनके टुकड़ों पर कथित रूप से मैं पल रहा हूँ। बहरहाल! कुछ भी हो, अब आप मेरे द्वारा की गई सम्मानित होने की पूर्व कामना को पढ़ें, जिसे मैंने अपने पुराने अनुभवों के साथ लिखा है।

मैं यदि संपादकों से मलाल करूँ कि वह लोग मेरे लेखादि प्रकाशित करने के एवज में कुछ नहीं देते हैं तो शायद कितनों को यह अटपटा लगेगा और कुछेक एडिटर तो लेखों को ‘डस्टविन’ में डाल देंगे। मैं किसी संस्था का मुलाजिम नहीं स्वतंत्र लेखन कार्य करता हूँ। लोगों से सुना है कि नामचीन लेखकों को छोड़कर किसी अन्य के लेख एवं संवादों के प्रकाशन पर प्रकाशक/संपादक एवं संस्थाओं के प्रबन्ध तन्त्र की तरफ से किसी भीं प्रकार का पारिश्रमिक ‘देय’ नहीं अनुमन्य किया गया है। बस लिखो, अपनी फोटो छपवा लो जवानी, बुढ़ापा सफल हो जाएगा। नाम कमाओ पैसों की फिक्र छोड़ो। काश! मैं किसी संस्थान में वेतनभोगी मीडिया कर्मी होता तो अच्छी पगार पाता और अब तक रिटायर भी हो गया होता। घर-परिवार के लोग सीधे मुँह बातें तो करते।

समाज में प्रतिष्ठा होती-अच्छा घर, घोड़ा गाड़ी और भी सब कुछ होता जो होना चाहिए। बहरहाल समय गुजर गया है अब तो बस छूँछ पैलगी जिव झन्न ही हो रहा है। मिलने जुलने वाले जो हैं भी वे लोग 50 पैसा वाला गुटखा तक नहीं खिलाते, बस प्रशंसा ही करते हैं। आज हमें बताया जाता है कि 21वीं सदी चल रही है। चलिए हम मान भी लेते हैं। प्रकृति अपने को परिवर्तित करती रहती है, इतिहास दुहराता है तो क्या हम ‘आदिमयुग’ में तो नहीं जा रहे हैं-? क्योंकि एवरेस्ट जैसी उच्चतम चोटी पर पहुँचने के बाद हर किसी को पुनः धरातल पर ही आना पड़ता है वह चाहे एडमण्ड हिलैरी, शेरपा तेनसिंग या फिर बछेन्द्री पाल अथवा संतोष यादव हों। पिछले कई वर्षों से यह तमन्ना रही कि ईहलोक गमन के पूर्व किसी प्रकाशक/संपादक/संस्थान प्रबन्धतन्त्र द्वारा पुरस्कृत किया जाऊँ? बहुत लिखा है जिस स्तर का लेखन रहा, उसे पाठकों ने पढ़ा भी है, सराहा है, लेकिन एक शाल और प्रशस्ति पत्र तथा गाँधी बाबा छपा कोई एकाध कागज का टुकड़ा पुरस्कार में नहीं मिला है।

एक सीनियर हैं-प्रायः उनसे भेंट मुलाकात होती रहती है। प्रसंगवश वार्ता छिड़ने पर वह कहते हैं बच्चू कलम घसीट संस्थाएँ अभी तुम्हारे शरीर को शाल से क्यों ढँकें-जीवित हो मरोगे तो दो गज जमीन के नीचे दफन अथवा चिता की अग्नि में भस्मीभूत होने के पूर्व शाल से भी लम्बा वस्त्र देंगे। चिन्ता मत करो तुम्हारे विरोधी मीडिया कर्मी मारे खुशी में लिखेंगे कि भूपेन्द्र सिंह गर्गवंशी नहीं रहे। वह अपने जीवन भर स्वयं से लड़ते रहें, समाज की व्यथा को अपनी पीड़ा समझ कर लिखते रहें वह बड़े जुझारू एवं मुफलिस कलमघसीट थे। फिर एक मनगढ़न्त आपात बैठक करके श्रद्धांजलि अर्पित करने के साथ-साथ शोक संवेदनाओं से कामल भर देंगे। मरने के बाद ही यह सब कुछ होगा उसके पहले नहीं। मैं सीनियर की बातों को सहज ढंग से मान लेता हूँ। मैं कोई नामचीन ‘हैसियत’ नहीं। लिखना-पढ़ना तो यह लगभग सभी जानते हैं मैं किस खेत की मूली जो लिख दिया वह ‘अकाट्य’ हो। बहस करने वाले तर्क नहीं ‘कुतर्क करने लगते हैं।

तीसमार खाँ के अन्दाज में हाई टेक युग के राइटर/क्रिटिक्स बनते हैं। मुझे तो उनके बहस में लोमड़ी सी चालाकी और दि ग्रेट चाटुकार की ‘स्पूनिंग’ सुस्पष्ट परिलक्षित होती है। बहरहाल सब को अपने तरीके से जीने की ‘स्वतच्छन्दता’ है। मैं किसी की लाइफस्टाइल बदल ही नही सकता। एक कहावत है कि टेढ़ी पूँछे कभी सीधी नहीं होतीं, मैं सीधा करने का प्रयास भी नहीं करता (अपनी नहीं औरों की)।25 वर्ष पहले की बात है। एक मास्साब थे नाम था डॉ0 स्वामी नाथ पाण्डेय। फैजाबाद के ‘रामभवन’ में गुमनामी बाबा के नाम से रहे महात्मा जी की मृत्यु उपरान्त उन्हें लोगों ने नेताजी सुभाषचन्द्र बोस कहा। नए लोग फैजाबाद से प्रकाशित होने वाला एक अति निर्भीक निष्पक्ष अखबार था उसमें गुमनामी बाबा से सम्बन्धित खबरें कई किश्तों में छपी।

डॉ. पाण्डेय जी नेताजी के पास परम अनुयायी थे, वह बस स्टेशन फैजाबाद से सटे पश्चिम तरफ रामभवन के बाहर तत्कालीन जिला प्रशासन की कारगुजारियों पर दर्जनों साथियों के साथ डेरा डाले थे, लेकिन माइट इज राइट यानि ‘‘जिसकी लाठी भैंस उसी की’’ प्रशासन ने रामभवन से मिले गुमनामी बाबा के सामान को ‘सीज’ कर कचेहरी में स्नान तालों के भीतर रखवा दिया। उस समय जनमोर्चा नामक समाचार-पत्र के सम्पादक नए लोग की खबर से बौखला गए क्योंकि इस प्रकरण से नए लोग (संपादक दिनेश माहेश्वरी जिनकी बाद में मृत्यु का समाचार मिला और नए लोग का प्रकाशन बन्द हो गया, अशोक टण्डन की रिपोर्ट्स, कुछेक और पत्रकार भाई थे नाम नहीं याद आ रहा है लगातार तथ्यों/साक्ष्यों के साथ छपने से) रातों रात लोगों द्वारा हाथों हाथ लिया जाने लगा जनमोर्चा हिन्दी दैनिक जैसा पुराना समाचार-पत्र नम्बर दो पर हो गया था। शीतला सिंह संपादक कोलकाता तक गए और लौटकर लिखा कि ‘नए लोग’ में छपने वाली गुमनामी बाबा से सम्बन्धित खबरें बकवास हैं (आल द रबिश) कुछ इसी तरह के कमेन्ट्स तत्कालीन फैजाबाद के डी.एम. इन्दु कुमार पाण्डेय ने की थी। उस समय मुझ जैसे लोगों की रिर्पोट्स से खुश होकर डॉ0 पाण्डेय ने कहा था कि बेटा भूपेन्द्र जब मैं मरूँगा तो ये अखबार वाले किसी कोने में खबर छाप कर खाना पूर्ति कर देंगे।

वह इसलिए कि जब गुमनामी बाबा जैसे प्रकरण को झूठा सिद्ध किया जा रहा है तब स्वामीनाथ पाण्डेय की क्या बिसात। इतना कहकर वह भावुक होकर रोने लगे थे।एक अर्सा हो गया, मेरे लेख, कविताएँ, व्यंग्यादि सामग्रियाँ जनमोर्चा में छपा करती थीं, तत्समय जनमोर्चा पाठकों उससे सम्बद्ध लेखकांे/पत्रकारों की जुबान पर मेरा नाम रहा करता था, अब वह संस्था भी हाईटेक हो गई है, आर्टिकिल्स भेजने के बाद प्रे, निवेदन, अनुरोध, आग्रह करना पड़ता है। उसमें लिखना बन्द कर दिया। एक पत्रकार ने कहा था कि जनमोर्चा स्वयं सहकारिता पर आधारित समाचार-पत्र है यह तो सहयोग लेता है लेखन/रिपोर्टिंग के एवज में कुछ नहीं देता।

बात समझ में आ गई थी, लेकिन उस कथित लोकल न्यूज पेपर में लेखादि छपने के लिए भेज देता था। छपते थे लोग पढ़ते थे एक दशक से यह कार्य भी बन्द कर दिया। हाँ तो मैने बात शुरू किया था कि क्या मैं भी कभीं किसी अखबार, पत्रिका या संस्था द्वारा सम्मानित किया जाऊँगा? पाठकों बता दूँ कि हिन्दी के लगभग सभी लोकप्रिय और स्तरीय पत्र-पत्रिकाओं में छपने का सौभाग्य प्राप्त होने के बावजूद अभी तक पुरस्कृत होने से वंचित हूँ। मैं मरने से पूर्व शाल ओढ़ना चाहता हूँ, प्रशस्ति-पत्र एवं महात्मा गाँधी जी की फोटो वाली हरी, लाल, पीली आई0एन0आर0 हाथों मे पकड़ कर खाली पाकेट (जेब) में रखना चाहता हूँ।

प्रदेश की राजधानी से 40 वर्ष पूर्व प्रकाशित होने वाले कई समाचार-पत्र जो अब बन्द हो चुके हैं, उनमें खूब लिखा है। मुम्बई से प्रकाशित चर्चित समाचार पत्र में लम्बे संवाद/कविताएँ छपी हैं, कई पत्रिकाएँ भीं प्रकाशित होना बन्द हो चुकी हैं। मैनें उनमें भी लिखा है, कुछेक हैं जिनमें प्रकाशित लेखों के 50/60 रूपए प्रति लेख पारिश्रमिक भी पा चुका हूँ। लेकिन इधर अब कुछ भी हाथ नहीं लग रहा है।

डॉ.मुकुन्द देव शर्मा जी स्थानीय संपादक दैनिक जागरण लखनऊ थे। मैं जागरण में (79-84) लिखता था रिपोर्टिंग करता था, सोचा एक एजेन्सी खुलवा दूँ तो लोग मेरे संवाद/आलेख पढ़ेंगे, मैं पापुलर हो जाऊँगा। एक युवक को लेकर गया, स्व0 डॉ0 शर्मा जी ने मुझे बुलाया और डाँट पिलाते हुए कहा कि तुम और हम पत्रकार लेखक हैं। यह कारोबार पूर्णचन्द और नरेन्द्रमोहन का है वह लोग प्रचार-प्रसार कराएँ। बहरहाल बात वहीं समाप्त हो गई। दैनिक जागरण लखनऊ 79-84 में 60 रूपए पोस्टेज चार्ज मिलता था। कागज, रिफिल आदि प्रेस कार्यालय से प्राप्त होते थें, तब की बात ही कुछ और थी। वह युवक आज स्वयं का समाचार-पत्र प्रकाशित करता है और मेरा उस तत्कालीन एजेन्ट से कोई सम्बन्ध नहीं है। अब भी आस लगाए हुए हैं कि मुझे मरणोपरान्त नहीं अपितु उसके पूर्व शाल, प्रशस्ति-पत्र और गाँधी बाबा की फोटो छपी नोट मेरे हाथों में रखकर सम्मानित कर दें ताकि मरने के बाद इन सब चीजों के लिए ‘आत्मा’ को भटकना न पड़े। बस अब इतना ही।

लेखक:- डॉ. भूपेन्द्र सिंह गर्गवंशी

Related Articles

स्मार्ट मीटर योजना: ऊर्जा बचत के दूत बन रहे हैं UP MLA

लखनऊ। केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी RDSS (रीवैम्प्ड डिस्ट्रीब्यूशन सेक्टर स्कीम) ने एक बार फिर अपने उद्देश्य को सार्थक किया है। आम जनता के मन...

EVM से फर्जी वोट डाले जाते है! BSP देश में अब कोई भी उपचुनाव नहीं लड़ेगी- मायावती

बसपा प्रमुख मायावती ने कहा पहले देश में बैलेट पेपर के जरिए चुनाव जीतने के लिए सत्ता का दुरुपयोग करके फर्जी वोट डाले जाते...

Sambhal Jama Masjid Survey- संभल शाही जामा मस्जिद के सर्वे के दौरान पथराव,हंगामा उपद्रवियों को हिरासत में लिया

Jama Masjid Survey Live: एसपी ने कहा कि उपद्रवियों ने मस्जिक के बाहर उपनिरिक्षकों की गाड़ियों में आग लगाई थी. साथ ही पथराव किया...

इंदौर में बसों हुई हाईजैक, हथियारबंद बदमाश शहर में घुमाते रहे बस, जानिए पूरा मामला

इंदौर: मध्यप्रदेश के सबसे साफ शहर इंदौर में बसों को हाईजैक करने का मामला सामने आया है। बदमाशों के पास हथियार भी थे जिनके...

पूर्व MLA के बेटे भाजपा नेता ने ज्वाइन की कांग्रेस, BJP पर लगाया यह आरोप

भोपाल : मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले ग्वालियर में भाजपा को झटका लगा है। अशोकनगर जिले के मुंगावली के भाजपा नेता यादवेंद्र यादव...

वीडियो: गुजरात की तबलीगी जमात के चार लोगों की नर्मदा में डूबने से मौत, 3 के शव बरामद, रेस्क्यू जारी

जानकारी के अनुसार गुजरात के पालनपुर से आए तबलीगी जमात के 11 लोगों में से 4 लोगों की डूबने से मौत हुई है।...

अदाणी मामले पर प्रदर्शन कर रहा विपक्ष,संसद परिसर में धरने पर बैठे राहुल-सोनिया

नई दिल्ली: संसद के बजट सत्र का दूसरा चरण भी पहले की तरह धुलने की कगार पर है। एक तरफ सत्ता पक्ष राहुल गांधी...

शिंदे सरकार को झटका: बॉम्बे हाईकोर्ट ने ‘दखलअंदाजी’ बताकर खारिज किया फैसला

मुंबई :सहकारी बैंक में भर्ती पर शिंदे सरकार को कड़ी फटकार लगी है। बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर पीठ ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे...

सीएम शिंदे को लिखा पत्र, धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री को लेकर कहा – अंधविश्वास फैलाने वाले व्यक्ति का राज्य में कोई स्थान नहीं

बागेश्वर धाम के कथावाचक पं. धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री का महाराष्ट्र में दो दिवसीय कथा वाचन कार्यक्रम आयोजित होना है, लेकिन इसके पहले ही उनके...

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.

Stay Connected

5,577FansLike
13,774,980FollowersFollow
136,000SubscribersSubscribe
- Advertisement -

Latest Articles

स्मार्ट मीटर योजना: ऊर्जा बचत के दूत बन रहे हैं UP MLA

लखनऊ। केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी RDSS (रीवैम्प्ड डिस्ट्रीब्यूशन सेक्टर स्कीम) ने एक बार फिर अपने उद्देश्य को सार्थक किया है। आम जनता के मन...

EVM से फर्जी वोट डाले जाते है! BSP देश में अब कोई भी उपचुनाव नहीं लड़ेगी- मायावती

बसपा प्रमुख मायावती ने कहा पहले देश में बैलेट पेपर के जरिए चुनाव जीतने के लिए सत्ता का दुरुपयोग करके फर्जी वोट डाले जाते...

Sambhal Jama Masjid Survey- संभल शाही जामा मस्जिद के सर्वे के दौरान पथराव,हंगामा उपद्रवियों को हिरासत में लिया

Jama Masjid Survey Live: एसपी ने कहा कि उपद्रवियों ने मस्जिक के बाहर उपनिरिक्षकों की गाड़ियों में आग लगाई थी. साथ ही पथराव किया...

इंदौर में बसों हुई हाईजैक, हथियारबंद बदमाश शहर में घुमाते रहे बस, जानिए पूरा मामला

इंदौर: मध्यप्रदेश के सबसे साफ शहर इंदौर में बसों को हाईजैक करने का मामला सामने आया है। बदमाशों के पास हथियार भी थे जिनके...

पूर्व MLA के बेटे भाजपा नेता ने ज्वाइन की कांग्रेस, BJP पर लगाया यह आरोप

भोपाल : मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले ग्वालियर में भाजपा को झटका लगा है। अशोकनगर जिले के मुंगावली के भाजपा नेता यादवेंद्र यादव...