हरियाणा के भिवानी में 15 अगस्त पर कार्यक्रम के दौरान तब बेहद असहज स्थिति पैदा हो गई जब बीजेपी के दलित विधायक को बैठने के लिए कुर्सी ही नहीं मिली। ये वाकया हुआ बवानीखेड़ा से बीजेपी विधायक विशम्भर सिंह बाल्मीकि के साथ।
इस घटना से बीजेपी विधायक इतने नाराज हुए कि वे तुरंत कार्यक्रम छोड़कर वापस जाने लगे। इलाके के विधायक को वापस जाता देख वहां मौजूद अधिकारियों के हाथ-पांव फूल गये। तुरंत विधायक विशम्भर सिंह बाल्मीकि के लिए कुर्सी का इंतजाम किया गया और उनको मनाने की कोशिश की जाने लगी। लेकिन विशम्भर सिंह बाल्मीकि इतने नाराज थे कि उन्होंने कहा कि मैं इस्तीफा दे सकता हूं, लेकिन उस स्टेज पर फिर से नहीं बैठूंगा। उन्होंने अधिकारियों से कहा , मैं आज भी गुलाम हूं, मुझे मंच पर कुर्सी पर बैठने नहीं दिया गया।’
बाद में उन्होंने पत्रकारों से कहा कि ये प्रशासनिक अधिकारियों की जिम्मेदारी थी कि वो हमलोगों के बैठने के लिए स्थान और कुर्सियां तय करते। इस गड़बड़ी के लिए प्रशासन जिम्मेदार है। स्थानीय प्रशासन के रवैये से नाराज विधायक ने कहा कि ये अत्याचार की नीति है और इसे चलने नहीं दिया जाएगा। हालांकि कुछ देर की नाराजगी के बाद विधायक मंच पर आने के लिए तैयार हो गये, इस बार उन्हें एक दूसरे विधायक के बगल में बैठने के लिए कुर्सी दी गई।
भिवानी के डिप्टी कमिश्नर अंशज सिंह ने बताया कि उनलोगों ने आंगतुकों के बैठने के लिए उचित व्यवस्था की थी। लेकिन एक एसएचओ की लापरवाही की वजह से ये स्थिति पैदा हुई। डिप्टी कमिश्नर अंशज सिंह ने कहा, ‘एक एसएचओ पूरी व्यवस्था देख रहे थे, जब विधायक मंच पर आए तो स्वतंत्रता दिवस का कार्यक्रम चल रहा था, और सभी लोग उसी में व्यस्त थे, कुछ लोग विधायक के लिए निर्धारित सीट पर बैठ गये इसी वजह से गलतफहमी पैदा हुई, भेदभाव का तो कोई सवाल ही नहीं है।