बाबरी मस्जिद का विवादित ढांचा तोड़ने पर बीजेपी के सीनियर नेताओं पर कानूनी शिकंजा कसा है। ऐसे में पार्टी के पूर्व सांसद और रामजन्म भूमि न्यास के सदस्य और पूर्व बीजेपी सांसद राम विलास वेदांती का बयान पार्टी की मुश्किलें बढ़ा सकता है।
वेदांती का बयान
वेदांती ने दावा किया कि अयोध्या में बाबरी ढांचा उनके कहने पर तोड़ा गया। वेदांती की मानें तो उन्होंने ही कार सेवकों को ढांचा तोड़ने के आदेश दिये थे. उनके मुताबिक वीएचपी के दिवंगत नेता अशोक सिंघल के अलावा महंत अवैधनाथ भी इस साजिश में शामिल थे। वेदांती का कहना था कि भले ही उन्हें फांसी हो जाए लेकिन वो अपने बयान से नहीं पलटेंगे।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश की वजह से चर्चा में है मामला
सुप्रीम कोर्ट के नए आदेश के बाद बाबरी मस्जिद विध्वंस मामला फिर से चर्चा में है। सुप्रीम कोर्ट ने वरिष्ठ बीजेपी नेता लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी और उमा भारती समेत 13 लोगों के खिलाफ आपराधिक साजिश का मुकदमा चलाने का आदेश दिया है। हालांकि, इनमें से तीन का निधन हो चुका है तो अब 10 लोगों के खिलाफ मुकदमा चलेगा। अदालत ने दो साल के अंदर सुनवाई पूरी करने समेत कई बड़े फैसले किए हैं। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि मामले को दोनों पक्ष बातचीत के जरिये सुलझाएं।
क्या था मामला?
बाबरी मस्जिद विध्वंस का मामला दरअसल 6 दिसंबर 1992 का है। जब हजारों की संख्या में कारसेवकों ने अयोध्या पहुंचकर बाबरी मस्जिद को ढहा दिया। इसके बाद बाद देश भर में सांप्रदायिक दंगे हुए। सीबीआई ने कोर्ट से बीजेपी के वरिष्ठे नेता लालकृष्ण आडवाणी, यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह, मुरली मनोहर जोशी और मध्य प्रदेश की पूर्व सीएम उमा भारती सहित 13 नेताओं के खिलाफ आपराधिक साजिश का मुकदमा चलने की मांग की थी। सीबीआई की ओर से पेश वकील नीरज किशन कौल ने सुप्रीम कोर्ट से अपील की थी कि रायबरेली की कोर्ट में चल रहे मामले को भी लखनऊ की स्पेशल कोर्ट में ट्रांसफर कर ज्वाइंट ट्रायल चलाया जाए।