सरकार ने एसबीआई में उसके 5 सहायक बैंकों स्टेट बैंक ऑफ पटियाला, स्टेट बैंक ऑफ हैदराबाद, स्टेट बैंक ऑफ बीकानेर ऐंड जयपुर, स्टेट बैंक ऑफ त्रावणकोर और स्टेट बैंक ऑफ मैसूर का विलय किया था। इसके अलावा भारतीय महिला बैंक को भी एसबीआई में ही समाहित कर दिया गया था। इसके बाद 2018 में बैंक ऑफ बड़ौदा में विजया बैंक और देना बैंक का विलय हुआ था। फिर आईडीबीआई बैंक को जनवरी 2019 में निजी बैंक घोषित कर दिया गया। इसके बाद सरकार ने एक बार फिर से विलय की योजना पर काम करते हुए 10 बैंकों का विलय करते हुए उन्हें 4 में तब्दील करने का फैसला लिया।
नई दिल्ली : केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार अब देश में सरकारी बैंकों की संख्या को घटाकर 5 तक सीमित करने की योजना पर काम कर रही है। एक समाचार संस्थान में प्रकाशित एक रिपोर्ट के मुताबिक इस बार सरकार बैंकों का आपस में विलय करने की बजाय निजीकरण की राह पर आगे बढ़ना चाहती है। यदि ऐसा होता है तो मोदी राज में ही सरकारी बैंकों की संख्या घटकर 27 से 5 पर आकर ठहर जाएगी। अप्रैल 2017 से पहले तक देश में बैंकों की संख्या 27 थी, लेकिन मोदी सरकार ने सरकारी बैंकों के विलय की योजना पर काम करते हुए भारतीय स्टेट बैंक से शुरुआत की थी।
सरकार ने एसबीआई में उसके 5 सहायक बैंकों स्टेट बैंक ऑफ पटियाला, स्टेट बैंक ऑफ हैदराबाद, स्टेट बैंक ऑफ बीकानेर ऐंड जयपुर, स्टेट बैंक ऑफ त्रावणकोर और स्टेट बैंक ऑफ मैसूर का विलय किया था। इसके अलावा भारतीय महिला बैंक को भी एसबीआई में ही समाहित कर दिया गया था। इसके बाद 2018 में बैंक ऑफ बड़ौदा में विजया बैंक और देना बैंक का विलय हुआ था। फिर आईडीबीआई बैंक को जनवरी 2019 में निजी बैंक घोषित कर दिया गया। इसके बाद सरकार ने एक बार फिर से विलय की योजना पर काम करते हुए 10 बैंकों का विलय करते हुए उन्हें 4 में तब्दील करने का फैसला लिया।
कोरोना संकट से निपटने के लिए लागू लॉकडाउन के बीच ही 1 अप्रैल 2020 से देश में 4 नए बैंक अस्तित्व में आए, जबकि 6 उनमें ही समाहित हो गए थे। इलाहाबाद बैंक का इंडियन बैंक में विलय हुआ है। इसके अलावा पीएनबी में ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स और युनाइटेड बैंक का विलय किया गया है। वहीं यूनियन बैंक ऑफ इंडिया में आंध्र बैंक और कॉरपोरेशन बैंक को शामिल किया गया।
सिंडिकेट बैंक का केनरा बैंक में विलय किया गया है। बैंक ऑफ बड़ौदा में देना बैंक और विजया बैंक का विलय किया गया है। इस तरह से सरकारी बैंकों की संख्या मोदी राज में कम होते हुए 27 से 12 पर आकर ठहर गई है। अब सरकार विलय की बजाय निजीकरण की ओर जा सकती है। सूत्रों के मुताबिक सरकार बैंक ऑफ इंडिया, सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया, इंडियन ओवरसीज बैंक, यूको बैंक, बैंक ऑफ महाराष्ट्र और पंजाब ऐंड सिंध बैंक में हिस्सेदारी बेच सकती है।
सिर्फ से 4 से 5 सरकारी बैंक बनाए रखने का प्लान: न्यूज एजेंसी रॉयटर्स ने एक सरकारी अधिकारी के हवाले से लिखा, ‘सरकार की योजना सिर्फ 4 से 5 बैंक बनाए रखने की है।’ हालांकि वित्त मंत्रालय ने अब तक इस पर कोई टिप्पणी नहीं की है। गौरतलब है कि कई सरकारी समितियों और भारतीय रिजर्व बैंक की ओर से देश में सिर्फ 4 से 5 सरकारी बैंक होने की सिफारिश की गई है।