डिंडोरी ग्रामीणों की सुविधा के लिए आरछित भूमि पर एक दबंग ने कब्ज़ा कर, व्यावसायिक प्रतिष्ठान का निर्माण करा लिया है। जिसकी जानकारी ग्रामीणों ने निर्माण के पूर्व ही प्रशासन को लिखित शिकायत कर दी थी।
लेकिन प्रशासन के नुमाईंदों की मिली भगत का जीता जगता सबूत है। नव निर्मित यह व्यावसायिक प्रतिष्ठान जो की शासकीय उचित मूल्य दुकान की भूमि पर दबंग ने अपने दबंगई के दम पर बना लिया है, पर प्रशासन को सायद इससे कुछ लेना देना ही नहीं, तभी तो दबंग अपने मंसूबों में कामयाब हो जाते हैं।
हालाकि ग्रामीणों ने अभी भी हार नहीं मानी और अभी भी प्रशासन को जगाने का प्रयास जारी है, पर दुखद तो यह है की जिम्मेदारों ने मानो आंख ही मूंद ली और ग्रामीणों के हित को छोड़कर दबंग की यारी निभा रहे हैं।
यह पूरा मामला समनापुर विकासखंड के चाँद किकरिया का है, आपको बता दें ग्रामीणों को खाद्यान लेने के लिए मीलों का सफर तय करना पड़ता था। इतना ही नहीं ग्रामीणों को राशन पाने के लिए एक नहीं बल्कि दो उचित मूल्य की दुकानों के दहलीज जाना पड़ता था।
तितराही और घाटा इतना चलने के बाद भी कभी कभी खाली हाँथ ही लौटना पड़ जाता। तो कभी दुकान के सेल्समेन की खरीखोटी सुनना पड़ता। प्रशासन की लापरवाही का खामियाजा पहले भी ग्रामीणों को भुगतना पड़ता था और आज भी भुगत रहे हैं। जिसके चलते ग्रामीण लामबद्ध हुए और प्रशासन से चाँद किकरिया गांव में उचित मूल्य दुकान खुलवाने की मांग की गई। जिसमें ग्रामीणों को सफलता मिली और वैकल्पिक व्यवस्था के तोर पर गांव के ही भवन में उचित मूल्य दुकान का सञ्चालन शुरू कर दिया गया।
लेकिन राशन रखने की उचित व्यवस्था न होने पर ग्रामीणों ने प्रशासन व जनप्रतिनिधियों से गुहार लगाई और एक बार फिर ग्रामीणों को सफलता मिली और ग्रामीणों ने शासकीय भूमि चिन्हित कर संरझीत कर दिया, पर इस बार ग्रामीणों की आस पर पानी फेरने गांव के लिए एक दबंग अपने लिए उसी जगह पर अपना व्यावसायिक प्रतिष्ठान बना लिया। जो उचित मूल्य दुकान के लिए चिन्हित की गई थी।
जिसके बाद ग्रामीणों ने विरोध करते हुए प्रशासन से रामप्रसाद पिता ननसू के खिलाफ शिकायत की। लेकिन रामप्रसाद के द्वारा प्रशासन के साथ सांथ ग्रामीणों को बल पूर्वक दवाव बनाते हुए खुले तोर पर चुनौती दी गई। जिसका परिणाम आज सबके सामने हे। दूसरी ओर शिकायत के वावजूद भी कार्यवाही न होना प्रशासन के नुमाइंदो पर भी एक बड़ा सवाल खड़ा कर रहा है, की दबंग के पेसो और रसूख के आगे प्रशासन भी नतमस्तक नजर आ रहा है।
रिपोर्ट@दीपक नामदेव