मुजफ्फरनगर रेलवे स्टेशन में एक अपंजीकृत कुली शाहरुख को तिरंगे का अपमान करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है।
उसे यह बड़ा सा तिरंगा स्वतंत्रता दिवस समारोह के बाद कहीं पड़ा हुआ मिला था। जिसे वह घर ले आया क्योंकि वह ईंटों से बने हुए आधे बने किराए के घर में रहता है उसमें कोई दरवाजा नहीं है लेकिन छत पर एक टिन शेड रखा हुआ है।
मुजफ्फरनगर के रामपुरी क्षेत्र में रहने वाले शाहरुख को लगा कि यह तिरंगा उसके परिवार के 6 सदस्यों जिसमें 6 और 2 साल के बच्चे भी शामिल है, उन्हें सूरज की तेज रोशनी से बचाने का काम करेगा। इसलिए 33 साल के शख्स ने उसे तार के जरिए पर्दा बनाकर टांग दिया।
इसके 21 दिन बाद 5 सितंबर को शिवसेना के कार्यकर्ताओं के साथ पुलिस आई और उसे राष्ट्रीय गौरव अपमान निवारण अधिनियम, 1971 के तहत गिरफ्तार कर लिया।
शाहरुख के बूढ़े मां-बाप और पत्नी नगमा का कहना है कि उन्हें और कुली को भी इस बात की जानकारी नहीं थी कि झंडे को इस तरह लगाना अपराध है। चारों अनपढ़ हैं और उनके दोनों बच्चे स्कूल नहीं जाते हैं।
शाहरुख कमाने वाला अकेला शख्स था। उसके 57 साल के पिता सत्तार ने कहा, ‘मेरा बेटा अगर जानता कि उसने देश का अपमान किया है तो वो ऐसा कभी नहीं करता।’ सत्तार बीमार है और बेड से उठ नहीं पाते हैं।
अपने बच्चों के लिए चिंतित 28 साल की नगमा ने कहा, ‘मेरे पति दिहाड़ी मजदूर हैं जो कुली का काम करके घर के लिए कुछ पैसे लेकर आते हैं। उनकी गिरफ्तारी के बाद हमारे पास अपनी रोजाना की जरुरतों को पूरा करने के लिए पैसा नहीं बचा है। हमारे पड़ोसी हमारे लिए खाना ला रहे हैं।’
परिवार पिछले साल ही रामपुरी घर आया था जिसका वह हर महीने 1200 रुपए किराया देता है। शाहरुख हर महीने 4 से 5 हजार रुपए कमाता था।
शाहरुख के पड़ोसी इकबाल ने शिवसेना पर मामले को बेवजह तूल देने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा, ‘शाहरुख ने जो कुछ भी किया वह गलती से किया। पुलिस उसे चेतावनी दे सकती थी।’
वहीं इस मामले पर शिवसेना के मुजफ्फरनगर इकाई के लोकेश सैनी ने परिवार के दावों को खारिज कर दिया। उन्होंने कहा, ‘हम इस बात को मानने के लिए तैयार नहीं है कि वह इतना अनपढ़ है कि हमारे राष्ट्रीय ध्वज को ना पहचान पाए। हमारे जवानों का शरीर, जो देश के सम्मान के लिए शहीद हो जाते हैं उन्हें तिरंगे में लपेटा जाता है। लेकिन शाहरुख के लिए यह केवल कपड़े का एक टुकड़ा था जिससे वह सूरज की रोशनी से अपने परिवार को बचा रहा था।’