डिंडौरी: जब शौचालय ही सुरक्षित नहीं तो कैसे सुरक्षित रहेंगी गांव की बेटियां। डिंडौरी जिले के कोतवाली थाना क्षेत्र अंतर्गत छाटा गांव में असामाजिक तत्वों के आतंक का आलम यह है की गाव में असामाजिक तत्वों के चलते कोई भी शासकीय निर्माण सुरक्षित नहीं है। यहाँ तक की स्कूल के शौचालय भी नहीं।
मामला सुनकर आप भी चौक जायेंगे। जी हां ग्राम पंचायत छाटा के प्राथमिक बालक और बालिका स्कूल जहा बने है वहां एक नहीं दो दो शौचालय जिन्हें असामाजिक तत्वों के द्वारा तोड़ फोड़ कर दिया गया है।
दोनों स्कूल के शिक्षक सहित बच्चे भी खौफ में है।शिक्षक और छात्र छात्राए पिछले एक वर्ष से बाहर शौच में जाने को मजबूर हैं। कभी भी बड़ी घटना घट सकती है।
स्कूल प्रबंधन ने ग्राम पंचायत के सरपंच से लेकर विभाग के बीईओ कार्यालय तक इसकी शिकायत की लेकिन आज तक कोई कार्यवाही नहीं हुई। जिसके चलते पूरा स्कूल प्रबंधन सहित छात्र छात्राए भयभीत है।
वही मामले की जानकारी जब मीडिया ने अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक सुनीता रावत को दी तो उन्होंने मामले की गंभीरता को देखते हुए जल्द कार्यवाही की बात कही।
ग्राम पंचायत छाटा में बना प्राथमिक बालक शाला जिसमे बच्चो की सुविधा के लिए दो शौचालय बनवाए गए। शौचालय के बनते ही गांव के ही असामाजिक तत्वों ने स्कूल में डेरा डाल लिया और बच्चो के बने शौचालय को तोड़फोड़ कर जर्जर कर दिया।
कुछ इसी तरह की तोड़ फोड़ प्राथमिक बालिका स्कूल में भी की गई जहा दोनों शौचालय अब छात्राओ के किसी काम के नहीं रहे। यही नहीं शर्मिन्दिगी के चलते यहाँ पढ़ाने वाली शिक्षिका भी बाहर शौच जाने को मजबूर है।
अगर यहाँ पढने वाले छात्र छात्रों की बात की जाये तो ये लोग शौच के लिए खुले में जाते है। प्राथमिक बालिका स्कूल के हेड मास्टर बिहारी लाल सरैया का कहना है कि शिकायत सरपंच से लेकर बीईओ तक कि गई लेकिन कोई कार्यवाही नही की गई। मन में भय बना रहता है। सुरक्षा के मद्देनजर किसी तरह का सहयोग ग्राम पंचायत नहीं करती है।
देश के प्रधानमंत्री का सपना है की शहर से लेकर गाव तक भारत स्वच्छ बने। लेकिन डिंडौरी के इस गाव के हाल को देख यही अंदाजा लगाया जा सकता है की जब शौचालय सुरक्षित नहीं तो कैसे रहेंगी सुरक्षित गांव की बेटिया ? वही मामले की गंभीरता को देखते हुए जिले की अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक सुनीता रावत ने असामाजिक तत्वों के खिलाफ कार्यवाही का भरोसा दिलाया है ।
@दीपक नामदेव