इंजीनियरिंग की पढ़ाई में अनुसूचित जाति-जनजाति समेत अन्य पिछड़ा वर्ग के छात्रों में सीखने की प्रवृति सामान्य वर्ग के छात्रों से अधिक होती है। हालांकि नॉलेज के मामले में सामान्य वर्ग के छात्र सबसे आगे होते हैं।
छात्रों की तुलना में छात्राओं में इंजीनियरिंग का प्रेशर अधिक है। यह दावा स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी, वर्ल्ड बैंक और एआईसीटीई के संयुक्त सर्वे में हुआ है, जो 2019 तक जारी रहेगा। खास बात यह है कि सीखने की प्रवृति में भारत के छात्र चीन और रूस से पीछे हैं।
एआईसीटीई चेयरमैन प्रो. अनिल डी सहस्रबुद्धे और वर्ल्ड बैंक ग्रुप की वरिष्ठ अर्थशास्त्री तारा बेटल ने शुक्रवार को इस सर्वे रिपोर्ट की पहली जानकारी साझा की। तारा के मुताबिक, आईआईटी खड्गपुर, सात एनआईटी और एआईसीटीई से मान्यता प्राप्त इंजीनियरिंग संस्थानों के 45,453 अंडरग्रेजुएट छात्रों पर अकादमिक ज्ञान और उच्च स्तरीय विचार क्षमता का आंकलन किया गया। पहली रिपोर्ट के मुताबिक, पहले साल की शुरुआत में भारतीय छात्र सीखने की प्रवृति में पीछे रहते हैं, लेकिन बाद के तीन सालों में वे आगे हो जाते हैं।
आरक्षित वर्ग के छात्र पहले साल में पीछे रहते हैं, लेकिन बाद में सामान्य वर्ग के छात्रों की तुलना में अधिक सीखते हैं। वहीं, सबसे पिछड़े माने जाने वाले अनुसूचित जनजाति के छात्र सीखने के मामले में सबसे तेज हैं। वे सीखने के मामले में दूसरे स्थान पर हैं। अन्य पिछड़ा वर्ग के छात्र सीखने की क्षमता के मामले में सामान्य वर्ग के छात्रों के लगभग बराबर हैं। वंचित वर्ग के छात्रों में सीखने की ललक ज्यादा होती है और वे प्रयास भी करते हैं।
महत्वपूर्ण बिंदू
– सर्वे रिपोर्ट में 50 नेशनल इंस्टीट्यूट (आईआईटी, एनआईटी व बड़े इंजीनियरिंग कॉलेज रैंक सौ वाले) के 18 हजार छात्रों, 2626 शिक्षकों को रखा गया था।
– पिछड़े व दूरदराज के क्षेत्रों के 118 कालेजों के 27,453 छात्रों और 4252 शिक्षकों को इसमें शामिल किया गया था। कुल 301 विभागाध्यक्ष भी सर्वे में शामिल हुए।
हालांकि इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी होने के बाद भी उनका ज्ञान का स्तर सामान्य वर्ग के छात्रों से कम रहता है। एकेडमिक में मैथमेटिक्स और फिजिक्स को रखा गया था। हायर आर्डर थिकिंग टेस्ट में क्रिटिकल थिकिंग, लिटरेसी, क्रिएटिविटी, टेस्ट ऑफ रिलेशनल रिसुनिंग व कुआनटेटिग के तहत सर्वे में परख की गई।
चीन और रूस से आगे है भारतीय छात्रों की ललक
रिपोर्ट के मुताबिक, भारतीय छात्र इस सर्वे के तहत बेशक ओवरऑल में चीन और रूस से पीछे हैं, लेकिन सीखने की क्षमता में इन सबसे आगे हैं। ज्ञान के मामले में रूस और चीन के छात्र भारतीय छात्रों से बेहतर हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि इसका मुख्य कारण भारतीय स्कूली शिक्षा में गुणवत्ता कम होना मुख्य है। चीन में स्कूली शिक्षा को मुख्य रूप से फोकस किया जाता है। भारतीय छात्रों में मैथमेटिक्स और फिजिक्स सीखने की प्रवृति सबसे अच्छी होती है।
फिजिक्स में लड़कियां पीछे
अध्ययन के मुताबिक, बेशक स्कूली रिजल्ट में बेटियां बेहतर अंक लेकर लड़कों से आगे रहती हैं, लेकिन इंजीनियरिंग की पढ़ाई में वे बेहद दबाव झेलती हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, इंजीनियरिंग के पहले वर्ष में छात्राएं ज्ञान के मामले में छात्रों से पीछे रहती हैं और यह अंतर तीसरे साल तक कायम रहता है। फिजिक्स और मैथ्मेटिक्स में छात्राओं की पकड़ कम होती है, जबकि क्रिटिक्ल थिकिंग में भी वे पीछे रहती हैं।