नई दिल्लीः आयकर विभाग ने टाटा समूह द्वारा संचालित छह ट्रस्टों का रजिस्ट्रेशन रद्द कर दिया है। मुंबई के आयकर आयुक्त ने 31 अक्तूबर को इस संबंध में आदेश जारी किया है। विभाग ने जिन छह ट्रस्ट का रजिस्ट्रेशन रद्द किया है उनमें जमशेदजी टाटा ट्रस्ट, आरडी टाटा ट्रस्ट, टाटा एजूकेशन ट्रस्ट, टाटा सोशल वेलफेयर ट्रस्ट, सार्वजनिक सेवा ट्रस्ट और नवाजभाई रतन टाटा ट्रस्ट शामिल हैं। अब इसको लेकर के टाटा समूह और आयकर विभाग के बीच ठन गई है। समूह ने इस फैसले में देरी लेने के चलते कोर्ट जाने की बात कही है।
इस बारे में टाटा समूह की तरफ से बयान जारी करते हुए कहा गया है कि 2015 में सभी ट्रस्ट ने निर्णय लिया था कि वो अपने रजिस्ट्रेशन को वापस कर देंगे। इसके साथ ही वो ट्रस्ट के नाम पर किसी तरह की आयकर रियायत नहीं लेंगे। ट्रस्ट पहले की तरह अपने परोपकारी कार्य करते रहेंगे।
हालांकि आयकर विभाग को 2015 में ही रजिस्ट्रेशन रद्द कर देना चाहिए था, लेकिन तब उसने नहीं किया था। इस देरी के लिए हम कानूनी विकल्प लेंगे, क्योंकि रद्दीकरण अब प्रभावी हुआ है। इस पर आयकर विभाग ने बीते दिनों इन ट्रस्ट के फिर से मूल्यांकन का फैसला किया था।
इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, हालांकि आयकर विभाग ने कहा है कि वो पिछले चार सालों की देनदारी चुकाने के लिए टाटा समूह के सभी ट्रस्टों को डिमांड नोटिस भेजेगा। यह बकाया राशि कई करोड़ों रुपये में है।
इस साल जुलाई में आयकर विभाग ने सभी ट्रस्टों को नोटिस भेजकर असेसमेंट करने की बात कही थी और 2015 में रजिस्ट्रेशन सरेंडर करने पर भी सवाल उठाए हैं। टाटा घराने के न्यासों ने शुक्रवार को एक बयान में कहा कि पंजीयन लौटाने का निर्णय परमार्थ कार्यों के लिये उपलब्ध संसाधनों को बढ़ाने को ध्यान में रखते हुए लिया गया है।
फिलहाल टाटा ट्रस्ट आयकर विभाग के ताजा फैसले को देखते हुए अपने कानूनी विकल्पों पर विचार कर रही हैं। ट्रस्ट ने ये भी कहा है कि “वह यह साफ कर देना चाहते हैं कि उन्हें आयकर विभाग की तरफ से ट्रस्ट को कैंसिल करने संबंधी कोई नोटिस नहीं मिला है, जैसा कि कई मीडिया रिपोर्ट्स में कहा जा रहा है। यह काफी चौंकाने वाला है कि ट्रस्ट की संपत्ति को सीज करने का मामला आज उठाया जा रहा है!”
बता दें कि जिन ट्रस्ट का रजिस्ट्रेशन कैंसिल किया गया है, उनके पास टाटा संस के बड़े शेयरहोल्डर हैं। फिलहाल टाटा ट्रस्ट आयकर विभाग के ताजा फैसले को देखते हुए अपने कानूनी विकल्पों पर विचार कर रही हैं।