लखनऊ: इस सम्मेलन का उद्देश्य सदस्य देशों के मध्य संसदीय समस्याओं पर अपने अनुभवों का विचार-विमर्श करना है। लोकतांत्रिक मूल्यों के संरक्षण और संवर्धन की दिशा में गतिशील होना है।भारत जैसे प्रगतिशील और लोकतांत्रिक देशों में इस प्रकार के सम्मेलन सदस्य देशों की संसदीय परंपराओं और प्रक्रियाओं को समझने, उनमें एकरूपता लाने तथा उन्हें और अधिक मजबूत करने की दिशा में सहायक होते हैं।
लोकतंत्र का स्वरूप लगातार विस्तृत हो रहा है। भारत जैसे विकासशील देशों में नवीन संसदीय परंपराओं का निरंतर विकास हो रहा है। विधायी संस्थाएं अपनी परंपरागत भूमिकाओं के अतिरिक्त अन्य विभिन्न क्षेत्रों में भी क्रियाशील हो रही है। जनप्रतिनिधियों की भूमिका भी व्यापक और बहुमुखी होना स्वाभाविक है। जनप्रतिनिधियों पर काम का बोझ बढ़ा है। इसी को देखते हुए इस सम्मेलन का मुख्य विषय ‘रोल ऑफ लेजिस्लेटर’ (जनप्रतिनिधियों की भूमिका) प्रासंगिक है। सर्वथा उपयुक्त भी है। यह सम्मेलन के दौरान दो पूर्ण सत्र भी होंगे। इनमें चर्चा के दो महत्वपूर्ण विषय निर्धारित किए गए हैं। इस सम्मेलन के माध्यम से इन विषयों पर महत्वपूर्ण चर्चा होगी। हम सब एक-दूसरे के विचारों और अनुभवों से लाभान्वित होंगे।
राष्ट्रमंडल संसदीय संघ, भारत क्षेत्र के सातवें सम्मेलन का आयोजन का मौका उत्तर प्रदेश को मिला। लखनऊ में आयोजित यह सम्मेलन लोकतंत्र और संसदीय प्रणाली के विकास को नई दिशा प्रदान करने में सफल होगा।
उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ एक ऐतिहासिक नगरी है। यही इस सम्मेलन का आयोजन किया गया है। उत्तर प्रदेश के ही सुंदर महानगर के सुंदर और खुशनुमा वातावरण में आए हुए सभी मेंहमानो का खुले दिल से स्वागत किया गया।देश की राजधानी लखनऊ में पहली बार राष्ट्रमंडल संसदीय संघ भारत क्षेत्र का 7वां सम्मेलन आयोजित हुआ।
2018 में आयोजित राष्ट्रमंडल संसदीय संघ, भारत क्षेत्र का 06वा सम्मेलन बिहार के पटना में हुआ था। पटना में ‘सतत विकास कार्यों की प्राप्ति में संसद और सांसदों की भूमिका’ इस विषय पर सार्थक चर्चा हुई थी।
उत्तर प्रदेश विधान सभा के अध्यक्ष हृदय नारायण दीक्षित ने राष्ट्रमण्डल संसदीय संघ में पधारे लोकसभा के अध्यक्ष, ओम बिरला एवं विभिन्न प्रदेशों के विधान मण्डलों से आये पीठासीन अधिकारियों एवं विदेशी प्रतिनिधियों का स्वागत किया। उद्घाटन बैठक में मध्य प्रदेश के राज्यपाल लाल जी टण्डन, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री, योगी आदित्यनाथ, नेता प्रतिपक्ष राम गोविन्द चैधरी ने भी सम्बोधित किया। विधान परिषद के सभापति द्वारा धन्यवाद प्रस्ताव किया गया।
इस अवसर पर प्रकाशित स्मारिका ‘‘राष्ट्रमण्डल संसदीय संघ का उत्तर प्रदेश में प्रथम ऐतिहासिक अधिवेशन भारतीय परिक्षेत्र’’ का विमोचन भी किया गया।सम्मेलन में निर्धारित विषय ‘‘बजटीय प्रस्तावों की समीक्षा के संबंध में विधायकों का क्षमता निर्माण’’ पर शुभारम्भ राज्य सभा के उपाध्यक्ष हरिवंश नारायण सिंह ने प्रारम्भ किया। उसके उपरांत बिहार विधान सभा अध्यक्ष विजय कुमार चैधरी, कर्नाटक विधान सभा अध्यक्ष विश्वेश्वर हेगड़े केगेरी, अरूणांचल विधान सभा अध्यक्ष पसंग दोरजी सोना, उड़ीसा विधान सभा अध्यक्ष, डाॅ0 सुरज्या नारायणा पात्रो, राजस्थान विधान सभा अध्यक्ष, डाॅ0 सी0पी0 जोशी, गुजरात विधान सभा अध्यक्ष राजेन्द्र त्रिवेदी, मलेशिया के सांसद करूपईया मुटुसमी, असम विधान सभा अध्यक्ष हितेन्द्र नाथ गोस्वामी, झारखण्ड विधान सभा अध्यक्ष रवीन्द्र नाथ महतो, हरियाणा प्रदेश के विधान सभा अध्यक्ष ज्ञानचन्द्र गुप्ता एवं उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी के सांसद अजय कुमार मिश्र (टेनी) सहित 12 सदस्यों ने भी अपने विचार प्रकट किए।
लखनऊ में आयोजित राष्ट्रमंडल संसदीय संघ एक कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के तौर पर इस सम्मेलन के सभापति एवं लोकसभा के अध्यक्ष ओम बिरला, राज्यपाल मध्यप्रदेश लालजी टंडन, राज्यपाल उत्तर प्रदेश आनंदीबेन, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, उत्तर प्रदेश विधान परिषद के सभापति रमेश यादव, उत्तर प्रदेश विधानसभा के अध्यक्ष हृदय नारायण दीक्षित, विधान मंडलों के पीठासीन अधिकारी, विदेशों के प्रतिनिधि, विधायी निकायों के महासचिव, प्रमुख सचिव एवं सचिवगण विशेष तौर पर मौजूद हुए।
जनप्रतिनिधियों की संख्या बढ़ाने जैसे महत्वपूर्ण विषय पर व्यापक चर्चा विधानसभा के मुख्य भवन में लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला के संचालन में यह चर्चा शुरू हुई।
इस सम्मेलन ने कई विषयों पर व्यापक चर्चा की गई। खासकर बजट पर चर्चा में प्रखर वक्ता के तौर पर राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश ने बहुत बेहतर ढंग से बजट के सभी प्रावधानों को रखा।उत्तर प्रदेश के साथ-साथ गुजरात, बिहार, आसाम, नागालैंड, मणिपुर, सिक्किम, मेघालय, गोवा के प्रतिनिधियों ने शिरकत की।
@शाश्वत तिवारी