क्राइम टीवी रियलिटी शो India’s Most Wanted इंडियाज मोस्ट वॉन्टेड फेम सुहैब इलियासी को पत्नी की हत्या के मामले में उम्र कैद की सजा सुनाई गई है। उसे 16 दिसंबर को दिल्ली की कड़कड़डूमा कोर्ट ने दोषी करार दिया गया था।
गौरतलब है कि 11 जनवरी 2000 को सुहैब के घर पर अंजू की संदिग्ध हालात में मौत हो गई थी। मर्डर करने के लिए कैंची का इस्तेमाल किया गया था। बाद में आरोप सुहैब पर ही लगा और उसे 28 मार्च 2000 को गिरफ्तार कर लिया गया था। अब इलियासी को 17 साल बाद सजा मिली है।
की गई थी फांसी की मांग – सरकारी वकील ने इस केस में दोषी करार दिए गए सुहैब के लिए फांसी की सजा की मांग की थी, लेकिन अदालत ने उम्रकैद की सजा सुनाई। परिवार के वकील ने कहा कि ये गुनाहों पर सीरियल बनाता था. लोग इसको देखते थे, लेकिन इसने उसी से सीख लेकर इस घटना को अंजाम दिया। इसने हत्या के मामले को आत्महत्या दिखाने की कोशिश की। ये जघन्य अपराध का मामला है। उससे पहले सुहैब ने कहा, ‘मैं बेकसूर हूं. मैं ऊपरी अदालत में इस आदेश के खिलाफ अपील करुंगा। हाईकोर्ट में सारे सबूत ले कर जाऊंगा।’
उसने कहा, ‘मुझे उम्मीद है कि वहां मुझे न्याय मिलेगा। मेरे खिलाफ कोई ठोस सबूत नहीं है।’ उसके वकील ने कहा कि ये पूरा मामला परिस्थितिजन्य साक्ष्यों पर आधारित है। इसका कोई चश्मदीद गवाह नहीं है। लिहाज़ा इस मामले को दुर्लभ की श्रेणी मे नहीं रखा जा सकता। इसके अलावा इस मामले में बर्बरता या सुनियोजित साजिश नहीं की गई है।
कड़कड़डूमा की सत्र अदालत ने कहा कि अभियोजन द्वारा पेश साक्ष्यों से स्पष्ट है कि अंजू के शरीर पर चाकू से कई वार किए गए थे। इन गहरे जख्मों की वजह से ही उसकी उपचार के दौरान मौत हुई। अदालत ने यह भी माना कि यह वार सुहेब द्वारा ही किए गए थे।
11 जनवरी 2000 की रात अंजू इलियासी को गंभीर हालत में अस्पताल में भर्ती कराया गया था
11 जनवरी 2000 की रात अंजू इलियासी को गंभीर हालत में अस्पताल में भर्ती कराया गया था। उसके शरीर पर 11 गहरे चाकू के घाव थे। शुरुआत में इसे आत्महत्या का मामला माना गया, लेकिन अंजू की मां रुकमा एवं बहन के बयानों के आधार पर फिर इस मामले को दहेज हत्या के तहत दर्ज किया गया। इसके बाद मार्च 2000 में दिल्ली पुलिस ने सुहेब को दहेज हत्या मामले में गिरफ्तार किया था। हालांकि बाद में उन्हें जमानत मिल गई थी।
14 साल बाद हत्या का मुकदमा चलाने की मंजूरी मिली – अंजू इलियासी की मौत के बाद से ही उनकी मां रुकमा सिंह इस घटना को हत्या बता रही थीं। उनका कहना था कि उनकी बेटी को सुहेब कम दहेज लाने के कारण प्रताड़ित किया करता था। अंजू की विदेश में रह रही बहन ने भी इस बाबत यही बयान दर्ज कराया था। रुकमा सिंह लगातार दहेज हत्या के मामले को हत्या में तब्दील कराने के लिए अदालत में कानूनी लड़ाई लड़ती रहीं। आखिरकार अंजू की मौत के 14 साल बाद 31 अगस्त 2014 को दिल्ली हाईकोर्ट ने रुकमा सिंह के पक्ष में निर्णय सुनाते हुए सुहेब इलियासी के खिलाफ हत्या का मुकदमा चलाने को मंजूरी दी थी। इसके बाद नए सिरे से हुई सुनवाई के तहत अदालत ने अब सुहेब को अंजू इलियासी की हत्या का दोषी ठहराया है।
किया था प्रेम विवाह – सुहेब इलियासी व अंजू वर्ष 1989 में जामिया मिलिया इस्लामिया में एक साथ पढ़ रहे थे। तभी दोनों के बीच प्रेम संबंध बने। आईआईटी कानपुर में अधिकारी अंजू के पिता इन दोनों के प्रेम संबंधों के खिलाफ थे। इसके बावजूद सुहेब व अंजू ने वर्ष 1993 में लंदन में विशेष विवाह अधिनियम के तहत प्रेम विवाह किया था।
अंजू ने अपना नाम बदलकर अफसान रख लिया था। मगर वर्ष 2000 आने तक दोनों के संबंधों में खटास बढ़ने लगी थी। अंजू सुहेब से तलाक लेना चाहती थी। इसी बात को लेकर दोनों के बीच झगड़े हो रहे थे। घटना के समय इनकी एक ढाई साल की बेटी भी थी।