मुख्य कोच की कमी और आईपीएल पर अधिक निर्भरता ऐसे तीन प्रमुख कारण बनकर उभरे हैं, जिसकी वजह से टीम इंडिया बांग्लादेश के खिलाफ पहली बार वन-डे सीरीज हार गई।
एक सूत्र के अनुसार रविवार को बांग्लादेश से दूसरा वन-डे हारने के साथ ही सीरीज गंवानी वाली भारतीय टीम के प्रशासनिक प्रबंधक विश्वरूप डे बीसीसीआई अध्यक्ष जगमोहन डालमिया को जब सीरीज की अपनी रिपोर्ट सौंपेगे तो इन तीन कारणों पर प्रमुखता से प्रकाश डालेंगे।
हालांकि जानकारी मिली है कि एमएस धोनी की कप्तानी खतरे में नहीं है। सूत्र ने बताया कि मेरे ख्याल से बोर्ड सिर्फ एक सीरीज के आधार पर धोनी को कप्तानी से हटाने के बारे में कोई फैसला नहीं लेगा।
बांग्लादेश के खिलाफ दूसरे वन-डे में हारने के बाद रविवार की रात को कप्तान धोनी ने कप्तानी छोड़ने के संकेत दिए थे। उन्होंने कहा था कि अगर आप मुझे हटाते है और भारतीय क्रिकेट अच्छा करना शुरू करता है, तो निश्चित ही मैं कप्तानी छोड़ दूंगा और एक खिलाड़ी बनकर खेलूंगा। धोनी ने आगे कहा था कि अगर वो मुझसे कप्तानी छीनते है तो भी मैं खुश रहूंगा।
सूत्र ने बताया कि वो से धोनी का मतलब चयनकर्ता और क्रिकेट बोर्ड से था। धोनी का यह बयान हार के कारण मिली निराशा में आया था। सूत्र ने आगे बताया कि ऐसी कोई सलाह नहीं आई आई उन्होंने ड्रेसिंग रूम खो दिया है। वहां सभी एकसाथ हैं। ड्रेसिंग रूम में निराशा है, लेकिन नकारात्मकता नहीं।
सूत्र ने शालीनता के मसले को दरकिनार करते हुए कहा कि यह समझ आया कि नए चेहरों के साथ टीम का प्रदर्शन हो सकता था। मौजूदा खिलाड़ी शारीरीक और मानसिक तौर पर थके हुए हैं। यह खिलाड़ी लगभग पिछने नौ महीने से लगातार क्रिकेट खेल रहे हैं। मानसिक रूप से वह अपने सर्वश्रेष्ठ आकार में नहीं है और अपने खेल का स्तर बढ़ाने में नाकाम रहे हैं।
सूत्र ने कहा- पेशेवर खिलाड़ी शालीन नहीं हो सकते। पहला मैच हारने के बाद खिलाड़ी वापसी करना चाहते थे। मगर मानसिक तौर पर वे लोग वहां मौजूद नहीं थे जिससे उनके प्रदर्शन पर असर पड़ा।
पिछले साल, भारत ने बांग्लादेश दौरे पर अपनी रिजर्व टीम भेजी थी। युवा टीम की कमान सुरेश रैना संभाली थी, जिन्होंने पहले दो मैच जीते थे। आखिरी मैच बारिश की भेंट चढ़ा था।
इसके बाद भारत ने इंग्लैंड दौरा किया, और फिर वेस्टइंडीज तथा श्रीलंका के साथ घरेलू सीरीज खेली। इसके बाद वह ऑस्ट्रेलिया दौरे पर चार टेस्ट मैचों की सीरीज, त्रिकोणीय सीरीज और विश्व कप खेलने के लिए चली गई।
कुछ ही दिनों बाद सभी खिलाड़ी आईपीएल खेलने में व्यस्त हो गए। इसके बाद विराट कोहली ने बांग्लादेश दौरे से अपना नाम वापस लेने के लिए बीसीसीआई को सूचित किया। मगर बीसीसीआई ने बांग्लादेश के खिलाफ एक टेस्ट और तीन वन-डे के लिए अपनी सबसे मजबूत टीम भेजी।
सूत्र ने सलाह दी कि टीम को प्रमुख कोच की कमी भी खली। सूत्र के मुताबिक विश्व कप के बाद डंकन फ्लेचर के जाने के बाद मुख्य कोच का पद खाली है और बीसीसीआई ने बांग्लादेश दौरे पर टीम को रवि शास्त्री (टीम निदेशक) तथा सपोर्ट स्टाफ के साथ भेज दिया। संजय बांगर, भरत अरुण और आर श्रीधर टीम निदेशक रवि शास्त्री की निगरानी में काम कर रहे हैं।
शास्त्री तो बांग्लादेश दौरे पर जाने से पहले ही कह चुके हैं कि हमारे पास तीन कोच हैं और टीम को एक और कोच की जरूरत नहीं है। अगर जरूरत पड़ी तो मैं दोहरी भूमिका (प्रमुख कोच) निभा सकता हूं।
मगर रविवार की रात धोनी ने संकेत दिए थे कि टीम को मुख्य कोच की कमी खल रही है। सूत्र ने कहा- शास्त्री ने टीम के साथ अच्छा काम किया है, लेकिन टीम निदेशक बनकर। हमे प्रमुख कोच की जरूरत है विशेषतौर पर ऐसी परिस्थिति में जब खिलाड़ी का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन बाहर निकालना हो तो। बांगर, अरुण और श्रीधर टीम को तैयार करने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं, लेकिन प्रमुख कोच की नियुक्ति जल्द ही कर लेनी चाहिए।
सूत्र ने ऐसा इसलिए कहा क्योंकि आईपीएल के प्रदर्शन पर ध्यान रखने की जरूरत है। शायद हम आईपीएल के प्रदर्शन को ज्यादा महत्व दे रहे हैं। यह शानदार टूर्नामेंट है, लेकिन आप क्रिकेट के इस प्रारूप में किसी प्रतिभा को ढंग से नहीं पहचान सकते। अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट का स्तर अलग है और खिलाड़ी इस जगह को भरने में संघर्ष करते हैं। हम इसके बजाय फर्स्ट क्लास क्रिकेट पर ध्यान देना चाहिए। यह किसी खिलाड़ी को आंकने का सही पड़ाव है।
आईपीएल की खोज अंबाती रायुडू ने इस वर्ष सिर्फ चार वन-डे खेले जिसमें उन्होंने 14.50 की औसत से 58 रन बनाए। 2014 आईपीएल में अपनी पहचान बनाने वाले अक्षर पटेल ने इस वर्ष पांच वन-डे खेले हैं। उन्होंने एक रन बनाया और 54.66 की औसत से तीन विकेट हासिल किए। रविवार को बांग्लादेश के खिलाफ वह पहली गेंद पर आउट हो गए और बाद में स्पिनरों की मददगार पिच पर सात ओवर गेंदबाजी करके 48 रन खर्च किए।
दूसरे वन-डे में धोनी ने रहाणे के बजाय रायुडू को खिलाने का फैसला किया। इसकी सफाई देते हुए कप्तान ने कहा कि हम सबका मानना है कि रहाणे तेज पिच पर अच्छा प्रदर्शन करते हैं। मगर धीमी पिचों पर पारी की शुरुआत के समय उन्हें स्ट्राइक रोटेट करने में तकलीफ होती है। सूत्र ने इस बात की पुष्टि करते हुए बताया कि रहाणे को बाहर बैठाने का फैसला सभी ने मिलकर लिया था।