नई दिल्ली : भारत पहली बार इतिहास में अफगानिस्तान में सक्रिय आतंकी संगठन तालिबान के साथ अनाधिकारिक तौर पर वार्ता करेगा। शुक्रवार का एक बहुपक्षीय मीटिंग के दौरान भारत वार्ता का हिस्सा होगा। विदेश मंत्रालय की ओर से इस बात की जानकारी दी गई है। अफगानिस्तान में शांति कायम करने के मकसद से रूस इस वार्ता की मेजबानी कर रहा है। रूस की ओर से कई देशों जैसे अमेरिका, पाकिस्तान और चीन के साथ भारत को भी इसका आमंत्रण दिया गया है। तालिबान भी इस मीटिंग का हिस्सा होगा।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार की ओर से एक सवाल के जवाब में कहा गया, ‘हम जानते हैं कि रूस की सरकार की ओर से अफगानिस्तान पर नौ नवंबर को एक मीटिंग की मेजबानी की जा रही है। भारत इस वार्ता में गैर-आधिकारिक तौर पर शामिल होगा। भारत की तरफ अफगानिस्तान में पूर्व राजदूत रहे अमर सिन्हा के अलावा पाकिस्तान में पूर्व भारतीय उच्चायुक्त टीसीए राघवन वार्ता में शामिल होंगे।’ अक्टूबर माह में रूस के राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन भारत के दौरे पर आए थे। उनके भारत दौरे के बाद ही यह कदम नई दिल्ली की ओर से उठाया गया है
रवीश कुमार ने कहा, ‘भारत, अफगानिस्तान में हर उस तरह की शांति प्रक्रिया की कोशिशों का समर्थन करता है जिसके जरिए देश में शांति, सुरक्षा और स्थायीत्व का माहौल कायम हो सके।’ यह पहली बार है जब अफगानिस्तान में शांति प्रक्रिया की कोशिशों के लिए भारत को भी हिस्सेदार बनाया गया है। रूस की न्यूज एजेंसी स्पूतनिक की ओर से बताया गया है कि मीटिंग के लिए ईरान, कजाखस्तान, किर्गिस्तान, तजाकिस्तान, तुर्केमिनिस्तान और उजबेकिस्तान को भी आमंत्रण भेजा गया है। सितंबर माह में अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ घनी भारत आए थे और उनके साथ मुलाकात में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि भारत हमेशा से ही शांति के लिए अफगानिस्तान की सरकार की कोशिशों को आगे बढ़ाने में प्रतिबद्ध रहा है