नई दिल्ली- रेलगाड़ियों में आवश्यक सुविधाओं की जवाबदेही तय कर दी गई है। रेल मंत्रालय ने अपने एक नए आदेश में कहा है कि रेलगाड़ियों में दी जाने वाली सभी सुविधाओं के लिए ट्रेन सुपरिटेंडेंड यानी टीएस की जवाबदेही होगी। नए आदेश के मुताबिक सबसे पहल इस व्यवस्था को दिल्ली डिवीजन के अंतर्गत मेंटीनेंस की जाने वाली राजधानी एक्सप्रेस ट्रेनों में लागू किया गया है। पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर इस व्यवस्था को राजधानी ट्रेनों में चलाकर देखा जा रहा है और इससे मिलने वाले फीडबैक के बाद इसको दूसरी सभी ट्रेनों में लागू किया जाएगा।
रेल मंत्रालय के आदेश के मुताबिक ट्रेन सुपरिटेंडेंट रेलगाड़ी में मौजूद सभी सुविधाओं को सुचारू ढ़ंग से संचालित करने के जिम्मेवार होगा। इसका सीधा सा मतलब ये हुआ कि अगर गाड़ी में सुविधाओं में कोई कमी है तो आप ट्रेन सुपरिटेंडेंट को शिकायत कर सकते हैं और इसके लिए संबंधित गाड़ी में ट्रेन सुपरिटेंडेंट का फोन नंबर चस्पा किया जाएगा। ट्रेन पर मौजूद सभी रेल कर्मचारी और बाहरी एजेंसीज के सभी सुपरवायजर ट्रेन सुपरिटेंडेंट को रिपोर्ट करेंगे। ऑनबोर्ड सर्विसेज का पूरा कंट्रोल ट्रेन सुपरिटेंडेंट के हाथों में होगा।
ट्रेन के रख रखाव में शामिल सभी विभागों में तालमेल बनाए रखने के लिए रेल मंत्रालय के आदेश में स्पष्ट रुप से कहा गया है कि कैरिज एंड वैगन डिपार्टमेंट और इलेक्ट्रिकल डिपार्टमेंट के इंचार्ज अब असिस्टेंट ट्रेन सुपरिटेंडेंट यानी एटीएस के तौर पर पदनामित किए जाएंगे। ये दोनों अधिकारी ट्रेन सुपरिटेंडेंट के अधीन होंगे और ट्रेन सुविधाओं को बेहतर करने में मदद करेंगे। संबंधित रेलवे जोनों को टीएस और एटीएस के कामकाज का स्पष्ट बंटवारा करने को कहा गया है। टीएस का संपर्क नंबर हर एक कोच में लगाया जाएगा ताकि रेलयात्री अपनी शिकायतों को सीधे पहुंचा सके।
रेल मंत्रालय ने फिलहाल ये व्यवस्था दिल्ली डिवीजन के अंतर्गत मेंटीनेंस की जाने वाली सभी राजधानी एक्सप्रेस ट्रेनों में लागू कर दी है। दिल्ली डिवीजन के सीनियर डीसीएम को इन ट्रेनों का प्रोडक्ट मैनेजर बनाया गया है। ये रेल अधिकारी निजामुद्दीन, नई दिल्ली और पुरानी दिल्ली से चलने वाली या आने वाली सभी राजधानी एक्सप्रेस ट्रेनों की सुविधाओं की मॉनीटरिंग करेगा।
पानी, एसी, कंबल-चादर, मोबाइल चॉर्जर, खाना-पीना, टाइम टेबल जैसी तमाम चीजों के लिए ट्रेन सुपरिटेंडेंड के लिए प्रोडक्ट मैनेजर सिंगल विंडो सिस्टम की तरह काम करेगा। इस पूरे सिस्टम की मॉनीटरिंग और व्यवस्था के लिए रेल मंत्रालय ने क्रिस (CRIS) को एक मोबाइल एप बनाने का भी आदेश दिया है।