अमेरिका ने अपने शक्तिशाली ड्रोन को गिराए जाने को लेकर ईरान को खुली चेतावनी दी है। राष्ट्रपति ट्रंप ने कहा है कि तेहरान ने बहुत बड़ी गलती कर दी है।
आपको बता दें कि सामरिक रूप से महत्वपूर्ण हॉर्मूज जलडमरूमध्य के करीब ईरान ने अमेरिका के एक जासूसी ड्रोन को मार गिराया है।
इसके बाद से दोनों देशों में तनाव बढ़ गया है। उधर, ईरान आर्मी के चीफ ने ऐलान कर दिया है कि उनकी सेना जंग के लिए तैयार है।
गुरुवार को ट्रंप ने ट्वीट किया, ‘ईरान को खुली चेतावनी ट्रंप की इस चेतावनी और सख्त लहजे से समझा जा रहा है कि अमेरिका ईरान के खिलाफ कोई बड़ा ऐक्शन ले सकता है।
गौरतलब है कि आर्थिक प्रतिबंध और हाल में तेल टैंकरों पर हमले के बाद से गल्फ क्षेत्र में तनाव पहले से है। ऐसे में तेहरान की इस आक्रामक कार्रवाई ने अमेरिका को नाराज कर दिया है।
इससे पहले ईरान की इस्लामिक रेवलूशनरी गार्ड कॉर्प्स ने कहा था कि सेना ने अपने देश के हवाई क्षेत्र में घुसे अमेरिका के एक सर्विलांस ड्रोन को मार गिराया है। हालांकि पेंटागन ने कहा है कि यह घटना अंतरराष्ट्रीय हवाई क्षेत्र में घटी है।
पहली बात ईरान ने अमेरिका के MQ-4C ट्राइटन ड्रोन को गिराकर सीधे तौर पर उसे चुनौती दी है। इसके साथ ही अमेरिका के लिए यह शर्मिंदगी और प्रतिष्ठा का सवाल है कि जिस ड्रोन को वह अपना सबसे मॉडर्न और शक्तिशाली मानता है उसे तेहरान ने गिरा दिया।
अमेरिका 2032 तक अपने बेड़े में ऐसे 68 ड्रोन शामिल करना चाहता है। MQ-4C ड्रोन 30 घंटे 56,000 फीट की ऊंचाई पर उड़ने में सक्षम है।
इस ड्रोन में जबर्दस्त सेंसर लगे हैं जो फुल मोशन विडियो रिकॉर्ड कर सकते हैं और सटीक तरीके से टारगेट को ट्रैक कर सकते हैं। इसमें रॉल्स रॉयस के इंजन लगे हैं। ड्रोन 50 फीट लंबा है और पंख की लंबाई 130 फीट है। यह 368 मील प्रति घंटे की रफ्तार से उड़ सकता है।
अमेरिका के ड्रोन को गिराने में रूस का कनेक्शन भी सामने आया है। दरअसल, अमेरिका के MQ-4C ट्राइटन ड्रोन को किसी आम मिसाइल से नहीं गिराया जा सकता है।
इसके लिए दमदार रेडार गाइडेड मिसाइल होना जरूरी है। गौर करने वाली बात यह है कि ईरान के पास रूस से मिला S-300 सिस्टम है, जो ऐसे ड्रोन को टारगेट कर सकता है।
माना जा रहा है कि अमेरिका इस बात से ज्यादा भड़का हुआ है। बताया जा रहा है कि अमेरिका के ट्राइटन ड्रोन को पहली बार किसी ने गिराया है।