तिरुवनंतपुरम- केरल से अचानक गायब हुए जिन 23 मुस्लिमों के आतंकी संगठन आईएस से जुड़ने की खबर आई, उनमें से ज्यादातर धर्मांतरित हैं। इनमें से कोई हिंदू से मुसलमान बना तो कोई ईसाई से मुसलमान। आईएस में शामिल हुई निमिषा से फातिमा बनी युवती पहले हिंदू से ईसाई बनी और बाद में पति और देवर के साथ मुसलमान बनने के बाद आतंकी संगठन आईएस से जुड़ गई।
तिरुवनंतपुरम की रहने वाली निमिषा उर्फ फातिमा की मां बिंदू अट्टुकल ने इसी हफ्ते गृह मंत्री राजनाथ सिंह, विदेश मंत्री सुषमा स्वराज और विदेश राज्य मंत्री वीके सिंह से मिल कर अपनी डेंटिस्ट पुत्री के हिंदू से ईसाई और फिर मुसलमान बनने की पूरी दास्तां सुनाई।
अब पूरे मामले में कासरगोड स्थित एक डेंटल कॉलेज के पूर्व प्राचार्य, एक एमबीबीएस डॉक्टर की भूमिका की जांच की जा रही है। इसके अलावा इस मामले में विवादास्पद मुस्लिम उपदेशक जाकिर नाइक की भी भूमिका खंगाली जा रही है।
बिंदु ने अपनी पुत्री के डेंटिस्ट से आईएस बनने के सफर की जो दास्तां सुनाई है, उसमें धर्मांतरण के जरिये आईएस का ढांचा खड़ा करने और इसके लिए लव जेहाद का रास्ता अपनाए जाने का जिक्र है।
अफगानिस्तान जाते समय गर्भवती थी निमिषा, इसी हफ्ते दिया बच्चे को जन्म
बिंदु ने अपनी पुत्री के डेंटिस्ट से आईएस बनने के सफर की जो दास्तां सुनाई है, उसमें धर्मांतरण के जरिये आईएस का ढांचा खड़ा करने और इसके लिए लव जेहाद का रास्ता अपनाए जाने का जिक्र है। मसलन निमिषा उर्फ फातिमा डेंटिस्ट की पढ़ाई के दौरान एक मुस्लिम एमबीबीएस डॉक्टर के संपर्क में आई। उसके बाद उससे गर्भवती हो गई। बाद में धर्मांतरण से इंकार के बाद उसका गर्भपात कराया गया। इसके बाद उसने एक ईसाई युवक बेक्सेन से शादी की और ईसाई बनने के बाद उसके परिवार ने इसलाम धर्म स्वीकार कर लिया।
फिलहाल बेक्सेन अपने भाई और पत्नी के साथ अफगानिस्तान में आईएस से जुड़ गया है। वह गर्भवती रहते वहां गई और इसी हफ्ते मां बनी। इसका खुलासा तब हुआ जब उसने व्हाट्स एप के जरिए अपने नवजात शिशु की तस्वीर अपनी सौतेली मां को भेजा।
बिंदु के मुताबिक आतंकी संगठन आईएस में भर्ती करने के अभियान में एक एमबीबीएस डॉक्टर शामिल है जो फिलहाल संघ लोकसेवा आयोग की परीक्षा की तैयारी भी कर रहा है। इसके अलावा कासरगोड स्थित एक डेंटल कॉलेज के पूर्व उप प्राचार्य पर भी आईएस के लिए काम करने का आरोप है। आरोप है कि यह उपप्राचार्य पहले तो इंडोसल्फान से पीड़ित बच्चों को सामाजिक कार्य से जोड़ता था, फिर वहां कुरान की शिक्षा के साथ जाकिर नाइक के भाषण सुनाए जाते थे। [एजेंसी]