नई दिल्ली : इसरो ने बुधवार को अंतरिक्ष में अब तक की सबसे ऊंची उड़ान भरते हुए श्रीहरिकोटा के सतीश धवन लॉन्चिंग सेंटर से पीएसएलवी-सी37 लॉन्च किया। 9 बजकर 28 मिनट पर 104 सैटेलाइट्स का प्रक्षेपण हुआ। 10:02 बजे पर इसरो की ओर से इस मिशन के कामयाब होने का ऐलान किया गया।
ये पहला मौका है जब एक साथ 104 उपग्रह अंतरिक्ष में छोड़े गए। इनमें अमेरिका के अलावा इजरायल, हॉलैंड, यूएई, स्विट्जरलैंड और कजाकिस्तान के छोटे आकार के सैटेलाइट शामिल हैं। भारत के सिर्फ तीन सैटेलाइट शामिल हैं।
एक समय था जब अमेरिका भारत को स्पेस, मिसाइल समेत किसी भी प्रकार की एडवांस तकनीक नहीं देता था और दूसरे देशों को भी नहीं देने देता था। रूस जब भारत को क्रायोजेनिक ईंधन तकनीक देना चाहता था, तो यूएस ने नहीं देने दिया। आगे चलकर भारत ने अपने दम पर स्पेस, मिसाइल क्षेत्र में कामयाबी के झंडे गाड़े और खुद क्रायोजेनिक ईंधन तकनीक भी विकसित की। यूएस, रूस के बाद अब भारत स्पेस में तीसरी बड़ी ताकत बन गया है। इसरो ने एक साथ 104 सैटेलाइट लॉन्च कर रूस का रिकॉर्ड तोड़ दिया है।
अहम है सैटेलाइट की सेंचुरी
– ऐसा पहली बार है जब एक ही प्रक्षेपण में 7 देशों के 104 उपग्रह अंतरिक्ष में छोड़े जाएंगे। इससे पहले रूस ने 2014 में एक ही रॉकेट के जरिये 37 उपग्रह भेजे थे। पिछले साल जून में इसरो ने एक साथ 20 सेटेलाइट्स का प्रक्षेपण किया था।
– 104 उपग्रहों में से 88 अमेरिकी कंपनी Planet Labs के हैं।
– ‘डव सेटेलाइट्स’ कहलाने वाले ये छोटे उपग्रह 100 ऐसे उपग्रहों का हिस्सा हैं जिनकी मदद से धरती की सटीक और उच्च-क्वालिटी की तस्वीरें खीचीं जा सकें।
– इतने सारे उपग्रहों को एक साथ अंतरिक्ष में छोड़ना आसान काम नहीं है।
– बेहद तेज गति से चलने वाले अंतरिक्ष रॉकेट के साथ एक-एक सैटेलाइट के प्रक्षेपण का तालमेल बिठाने के लिए बेहद काबिल तकनीशियनों और इंजीनियरों की जरुरत पड़ती है।
– हर सैटेलाइट तकरीबन 7.5 किलोमीटर प्रति सेकेंड की रफ्तार से प्रक्षेपित होगा।
– अंतरिक्ष प्रक्षेपण के बेहद फायदेमंद बिजनेस में इसरो को नया खिलाड़ी माना जाता है।
– इस कीर्तिमान के साथ सस्ती और भरोसेमंद लॉन्चिंग में इसरो की ब्रांड वैल्यू में इजाफा होगा।
– इससे लॉन्चिंग के कई और कॉन्ट्रेक्ट एजेंसी की झोली में गिरने की उम्मीद है।