नई दिल्ली [ TNN ] उत्तर प्रदेश के आगरा में धर्म परिवर्तन कर हिंदू बनाने और भगवद् गीता को राष्ट्रीय ग्रंथ घोषित करने की उठ रही मांग को लेकर विपक्ष मोदी सरकार को घेरने में जुट गया है।
विपक्षी दलों ने मंगलवार को बजरंग दल समेत तमाम हिंदू संगठनों की सक्रियता बढ़ने के मुद्दे को उछालते हुए सरकार पर देश में सांप्रदायिक माहौल खराब करने का आरोप लगाया। विपक्ष इस मसले पर बुधवार को राज्यसभा में चर्चा कराने का नोटिस दे सकता है।
बसपा सुप्रीमो मायावती ने भगवद् गीता को राष्ट्रीय ग्रंथ घोषित किए जाने के विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के बयान पर ऐतराज जताते हुए कहा कि इस तरह की मांग सभी धर्मों की ओर से उठ सकती हैं और देश में टकराव की स्थिति बन सकती है।
बसपा, जदयू और वामदल इस मुद्दे पर राज्यसभा में प्रस्ताव ला सकते हैं। उधर, राज्यसभा में भाकपा नेता डी राजा ने भी सुषमा के बयान पर आपत्ति जाहिर की है। शून्यकाल में इस मामले को उठाते हुए उन्होंने कहा कि धर्मनिरपेक्ष देश में इस तरह का बयान देना आपत्तिजनक है। इस तरह के बयानों से विवाद बढ़ते हैं।
उन्होंने कहा कि भारत में अनेक धर्म को मानने वाले लोग रहते हैं। किसी एक धार्मिक ग्रंथ को राष्ट्रीय ग्रंथ या किताब घोषित नहीं किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि सदन को मिलकर इस बयान को खारिज करना चाहिए।
इस बीच दिग्विजय सिंह ने गीता को भारत की आत्मा बताते हुए उसे बांटने की निंदा की। कांग्रेस, तृणमूल और वामदल ने भी इससे खुद को संबद्ध किया।
संसदीय कार्य राज्य मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने सुषमा के बयान के पक्ष में कहा कि बचपन से ही यह सुना जाता है कि गीता एक धर्म ग्रंथ नहीं बल्कि कर्म ग्रंथ है। भगवत गीता पर देश को गर्व है। अगर जरूरत पड़ी तो इस पर बहस की जा सकती है। इस पर वामदल के नेता सीताराम येचुरी ने गीता प्रकरण पर अलग से चर्चा कराने की बात भी कही।