खंडवा – नगर निगम खंडवा क्षेत्र में अनुमति के विपरीत होटल, शॉपिंग काम्पलेक्स, मल्टीपैक्स और व्यवसायिक काम्पलेक्स निर्मित है जिसके कारण शहर में यातायात, प्रदुषण एवं पर्यावरण प्रभावित हो रहा था और खंडवा के नागरिकों का जीवन इन परिस्थितियों में जीना दुभर हो रहा था और खंडवा नगर के नागरिक अनेक परेशानियों से जूझ रहे थे। इसलिए पूर्व एल्डरमेन एवं सामाजिक कार्यकर्ता जगन्नाथ माने द्वारा माननीय उच्च न्यायाधीश जबलपुर हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका क्रमांक-डब्ल्यूपी-14692/2014 दायर की थी।
जिसमें माननीय न्यायालय द्वारा विषय की गंभीरता को देखते हुए याचिका को स्वीकार कर निराकरण करते हुए अपने आदेश में कहा कि आयुक्त नगर निगम खंडवा याचिकाकर्ता ने शिकायत की है उसकी जांच करते हुए नियमों के विपरीत किए गए निर्माण एवं अतिक्रमण को नियमों के अनुसार कार्यवाही करें और याचिकाकर्ता को भी निर्देशित करते हुए कहा कि स्वयं दो सप्ताह के भीतर जहां-जहां भी अतिक्रमण एवं अनुमति के विपरीत नियमों को ताक में रखते हुए निर्माण किए है उनकी सूची, विवरण, स्थान जहां की पब्लिक प्रापर्टी या अन्य निर्माण जो कानून के परे निर्माण किए हुए हैं उसकी सूची कमीश्नर को दें। साथ ही माननीय न्यायालय द्वारा खंडवा कमीश्नर को निर्देशित किया कि स्वयं नगर निगम इस संबंध में कानून के मद्देनजर गुण दोष के आधार पर कार्यवाही करने के लिए स्वतंत्र है।
माननीय न्यायालय द्वारा 12 जनवरी 15 को अपने निर्णय में स्पष्ट रूप से खंडवा कमीश्नर को दिशा निर्देश देते हुए खंडवा नगर निगम को मामले की गंभीरता को देखते हुए आदेशित किया कि स्वयं भी विशिष्ट जानकारी एकत्रित करते हुए जहां-जहां भी अतिक्रमण के स्थान को चिंहित करें एवं जहां-जहां भी पब्लिक प्रापर्टी का निर्माण नियमों एवं विकास नियमों के तहत नहीं हुआ है उसे याचिकाकर्ता को बताते हुए तीन महीनों के अंदर उसका निराकरण करें। याचिकाकर्ता की ओर से जबलपुर के अधिवक्ता जितेन्द्र कुमार तिवारी ने पैरवी की एवं याचिका पर माननीय न्यायालय की युगलपीठ के मुख्य न्यायाधीश माननीय एएम खानवीलकर एवं सीवी सिरपुरकर द्वारा फैसला दिया गया।
याचिकाकर्ता जगन्नाथ माने ने बताया कि खंडवा शहर की यातायात व्यवस्था अत्यंत ही दिन प्रतिदिन जटिल हो रही थी जिसके कारण पर्यावरण एवं प्रदुषण असंतुलित हो रहा था एवं आवासीय क्षेत्रों में व्यवसायिक गतिविधियां बढ़ रही थी एवं व्यवसायिक काम्पलेक्सों का निर्माण किया जा रहा था जिसमें नगर निगम एवं अन्य द्वारा भी नियमों को ताक में रखकर गोडाउन एवं पार्किंग की जगह दुकानों का निर्माण कर व्यवसाय किया जा रहा था।
कालोनियों में भी व्यवसायिक परिसर बनाकर नियमों का उल्लंघन हो रहा था जिसके कारण छात्र-छात्राओं की पढ़ाई में शोरगुल के कारण व्यवधान उत्पन्न हो रहा था। खंडवा शहर के मुख्य मार्गो पर भी अनेक शॉपिंग काम्पलेक्सों का निर्माण नियमों के विपरीत किया गया है इसकी सूची भी माननीय कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत की गई है। साथ ही दो सप्ताह के भीतर भी इस प्रकार के व्यवसायिक काम्पलेक्स, होटल, व्यवसायिक परिसर एवं अन्य निर्माण एवं अतिक्रमण की सूची खंडवा कमीश्नर को सौंपी जाएगी।