अहमदाबाद- मंगलवार को अहमदाबाद के कोर्ट में जैन संत आचार्य कीर्ति यशसूरीश्वरजी महाराज के मुकदमे की सुनवाई थी जो फिलहाल कोलकाता में हैं, 7 सितंबर को आचार्य कीर्ति यशसूरीश्वरजी महाराज के खिलाफ एक वॉरंट जारी हुआ था और बच्चों को जबरन दीक्षा देने के साथ-साथ धोखाधड़ी के केस मे इन्हें कोर्ट में हाजिर होने का आदेश दिया गया था।
लेकिन ये नहीं पहुंचे और मंगलवार को इन्होंने जज व्यास की अदालत में एक हलफनामा दिया जिसमे उन्होने जो वजहें बताई है कि “ वे सासारिक चीजों का इस्तेमाल नहीं कर सकते, इसलिए वे कोलकाता से अहमदाबाद पैदल आएंगे।
RTI से फंसे जैन संत
सामाजिक कार्यकर्ता जस्मिन शाह ने बाल दीक्षा संबंधीत खबर को एक विज्ञापन कटींग के साथ देखकर एक आरटीआई लगाई थी जो जैन संत ने 2009 में बाल दीक्षा से संबंधित खबर एक धार्मिक मैगजीन में छपवाई थी जिसमे उन्होंने इसमें बाल दीक्षा पर केंद्र सरकार की ओर से जारी एक विज्ञापन की कटिंग भी लगाई थी
इस विज्ञापन का सार ये था कि बाल दीक्षा कानूनी है, साथ ही केंद्र सरकार इसके पक्ष में है। आरटीआई के जवाब में केंद्र ने कहा कि “ उसने न तो कभी ऐसा विज्ञापन जारी किया है और नही बाल दीक्षा को कानूनी बताया, या उसका पक्ष लिया, RTI से जवाब आते ही सामाजीक कार्यकर्ता जश्मीन शाह ने जैन संत के खीलाफ़ केस दर्ज कीया जीसके चलते जसमीन शाह को सामाजीक लोगो के वीरोध का सामना करना पड़ा था
जैन संत ने क्या कहा कोर्ट से?
कीर्तियशसूरीश्वरजी ने कहा, ‘‘जज साहब, मैं संन्यासी हूं। परंपराओं और धार्मिक आस्थाओं से बंधा हूं, सांसारिक चीजों का उपयोग नहीं कर सकता, इसलिए न तो बस, न ट्रेन और न ही हवाई जहाज की सेवा ले सकता हूं। मैं सिर्फ पैदल चलता हूं, इसलिए 8 महीने का वक्त दीजिए, तब तक पहुंच ही जाऊंगा ।
इसलिए मेरा वॉरंट खारिज कर मुझे मोहलत दी जाए, मेरी गैर हाजरी से अदालती कार्यवाही में कोई बाधा नहीं होगी जैन संत ने हलफनामे में कहा कि मैं कोलकाता में हूं और कोर्ट अहमदाबाद में है और दो शहरों के बीच दूरी करीब 2200 किलोमीटर है, पैदल आने में समय लगेगा क्यू की मेरी उम्र भी ज्यादा है और उस पर रीढ़ की हड्डी में तकलीफ भी है इसलिए रोज 10-12 किलोमीटर से अधीक नहीं चल सकता।
कोर्ट ने कीया संत का हलफनामा खारीज़
जैन संत की दलीलों वाले हलफनामे को कोर्ट ने खारिज करते हुवे जज ने कहा , ‘‘आपको फौरन पेश होना ही होगाआप कैसे पहुंचेंगे , ये आप जाने और आपका हलफनामा खारिज किया जाता है और अगली तारीख पर हर हाल में पेश होने का आदेश दिया जाता है।
रिपोर्ट :- तुलसीभाई पटेल